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खतरे में केदारघाटी को जोड़ने वाली सुरंग, आजादी के बाद हुआ था निर्माण

केदारघाटी को जोड़ने के लिए सुरंग का निर्माण किया गया। 1952 में रुद्रप्रयाग गौरीकुंड हाईवे पर बनी यह सुरंग जर्जर स्थिति में है।

By Edited By: Updated: Wed, 13 Mar 2019 02:12 PM (IST)
खतरे में केदारघाटी को जोड़ने वाली सुरंग, आजादी के बाद हुआ था निर्माण
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। आजादी के बाद केदारघाटी को जोड़ने के लिए सुरंग का निर्माण किया गया। 1952 में रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर बनी यह सुरंग जर्जर स्थिति में है। सुरंग के ऊपरी सतह पर लगी सीमेंट की ईंटें नीचे गिरने लगी है। वर्ष 2012 एवं 2017 में भी यह सुरंग क्षतिग्रस्त हुई, जिसे अस्थाई तौर पर लीपापोती कर ठीक किया गया। विभाग ने सुरंग की मरम्मत के लिए कोई ठोस कार्ययोजना तैयार नहीं की। लिहाजा सुरंग खोखली होने से उसके अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
वर्ष 1952 में जिला मुख्यालय से केदारघाटी को यातायात सुविधा से जोड़ने के लिए संगम बाजार में सुरंग का निर्माण किया गया था। यह सुरंग रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर स्थित है। सुरंग से प्रतिवर्ष हजारों वाहनों के साथ ही सैकड़ों राहगीर आवाजाही करते हैं, जिससे सुरंग के अंदर हर समय खतरा बना रहता है। यात्र सीजन में वाहनों का दबाव बढ़ने से समस्या और जटिल हो जाती है। केदारनाथ धाम के लिए यहीं से वाहनों का संचालन होता है। खास बात यह है कि सुरंग के अंदर बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है। 
साढे छह दशक से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद सुरंग के पुनर्निर्माण को लेकर शासन-प्रशासन एवं विभागीय स्तर पर कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की गई। वर्ष 2012 में पहली बार सुरंग के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हुए थे। लगभग 50 मीटर लंबी सुरंग के एक छोर के ऊपर हिस्सा खोखला होने से ऊपरी सतह पर लगी ईंटें बाहर निकल कर नीचे गिरनी शुरू हो गई थी, जिससे लगभग आधा मीटर हिस्सा खोखला हो गया। 
तत्कालीन निर्माणदायी संस्था बीआरओ ने जैसे-तैसे कर खोखले स्थान पर सीमेंट भरकर अस्थाई तौर पर ठीक तो कर दिया था, लेकिन स्थाई समाधान नहीं हो सका। मार्च 2017 में एक बार फिर सुरंग में लगी ईंटें नीचे गिरने लगी। इसके बाद इस समस्या को देखते हुए लोनिवि एनएच ने यहां पर एक साइन बोर्ड लगाकर खोखले स्थान की सभी ईंटें व मलबे को यहां से साफ कर दिया।
अस्थाई तौर पर सुरंग में लोहे के गार्डर लगाकर ठीक किया था। लेकिन फिर भी इसका स्थाई समाधान नहीं हो सका। एक बार फिर से सुरंग के ऊपर सतह पर लगी ईंटें नीचे गिरने शुरू हो गई हैं, जिससे कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। यदि समय से सुरंग का स्थाई हल नहीं निकाला गया तो भविष्य में बड़ी जनहानि हो सकती है। गौरतलब है कि जल्द ही प्रदेश में चारधाम यात्र शुरू होने वाली है, ऐसे में शासन-प्रशासन को इस ओर ध्यान देना जरूरी है। 
वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की ओर से पूर्व में इस संबंध में एनएच लोनिवि को निर्देशित किया जा चुका है। लोनिवि एनएच केईई को शीघ्र सुरंग का स्थाई समाधान निकालने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे समस्या का समय से समाधान हो सके।
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