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काली मां ने यहां किया था रक्तबीज का संहार, पढ़ें खबर

रुद्रप्रयाग जिले में कालीमठ घाटी में स्थित कालीमाई का भव्य मंदिर स्थित है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि इस स्थान पर शक्ति ने काली रूप में रक्तबीज राक्षस का वध कर अंर्तध्यान हो गई।

By sunil negiEdited By: Updated: Tue, 12 Apr 2016 04:00 AM (IST)
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रुद्रप्रयाग। जिले में कालीमठ घाटी में स्थित कालीमाई का भव्य मंदिर स्थित है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि इस स्थान पर शक्ति ने काली रूप में रक्तबीज राक्षस का वध कर अंर्तध्यान हो गई। इसके बाद से यही पर शक्ति के रूप में काली मां की पूजा-अर्चना होती है। इस स्थान पर महाशक्ति, महालक्ष्मी व महासरस्वती त्रिशक्ति विराजमान है। जिनकी पूजा करने से भक्तों की मनइच्छा पूरी हो जाती है।


ऊखीमठ ब्लाक के कालीमठ घाटी में स्थित सिद्धपीठों में शामिल काली माई का मंदिर के प्रति भक्तों में भारी श्रद्धा है। कालीमठ मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण के अन्तर्गत केदारखंड में उल्लेख मिलता है। साथ ही मार्कण्डेय पुराण व देवी भागवत महापुराण में भी कालीमठ मंदिर का वर्णन मिलता है।

इस संबंध में कालीमठ मंदिर के पुजारी आचार्य सुरेशानंद गौड़ ने बताया कि नवरात्रों में कालीमाई की विशेष-पूजा अर्चना होती है। इन दौरान जो भी भक्त यहां सच्ची सद्धा भक्ति के साथ मनौती मांगता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।

यह है विशेषता
नवरात्रों के अवसर पर कालीमठ में विशेष पूजा अर्चना होती है। दुर्गा सप्तसती पाठ के साथ ही शक्ति से जुड़ी अन्य पूजा अर्चनाएं भी होती हैं। अष्ठमी की रात्रि को मंदिर में पूरी रातभर पूजा अर्चना होती है। यहां स्थित कुंड प्रक्क्षालन (कुंड की सफाई) की जाती है। और विशेष मंत्रों से भगवती की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि रक्तबीज के संहार के बाद काली माई इसी स्थान पर से अन्र्तध्यान हो गई। कालीमठ मंदिर का मंदिर पूर्व में लकड़ी से निर्मित किया गया था। जिससे स्थानीय शैली में बनाया गया है। अब इस मंदिर का जीर्णोद्वार कर इसे सीमेंट से निर्मित किया गया है।

कैसे पहुंचे कालीमठ
कालीमठ रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड हाईवे पर 40 किमी दूर गुप्तकाशी के पास स्थित है। गुप्तकाशी से आठ किमी दूर चौमासी वाले मोटर मार्ग पर यहां पहुंचा जा सकता है। मंदाकिनी नदी के तट पर झूला पुल से लगभग 100 मीटर पैदल चलकर मंदिर में पहुंचा जा सकता है।

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