केदारनाथ आपदा के पांच सालः संघर्षों से बदली देवलीभणी ग्राम की सूरत
केदारघाटी में स्थित ऊखीमठ ब्लाक के देवलीभणी ग्राम की तस्वीर अब पूरी तरह बदल चुकी है। यहां की महिलाओं का संघर्ष काम आया और अब हर हाथ के पास काम है।
By BhanuEdited By: Updated: Sun, 17 Jun 2018 05:43 PM (IST)
रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]: केदारघाटी में स्थित ऊखीमठ ब्लाक के देवलीभणी ग्राम की तस्वीर अब पूरी तरह बदल चुकी है। यहां आपदा पीडि़त महिलाओं के हाथों में न सिर्फ काम है, बल्कि वह ठीकठाक आमदनी भी कर रही हैं। यह वही गांव है, जहां 2013 की केदारनाथ आपदा ने 54 लोगों की जिंदगी लील ली थी। जबकि, 33 महिलाओं की मांग से सिंदूर मिट गया तो कई मांओं की कोख सूनी हो गई।
आपदा के बाद करीब डेढ़ सौ परिवारों वाले देवलीभणी ग्राम में ऐसा मंजर था कि किसी का दिल भी जार-जार हो उठे। जवान महिलाओं का सुहाग उजडऩे के साथ ही उनकी गोद में छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था। परिवार के कमाऊ पूत के असमय चले जाने से लोगों के पास रोजी-रोटी का जरिया भी नहीं बचा। तब इस गांव की महिलाओं ने हिम्मत बांधी और सरकार एवं गैर सरकारी संस्थाओं से मिले संबल के बूते जुट गईं फिर जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने में।
गांव के ही डॉ. हरिकिशन बगवाड़ी ने मंदाकिनी बुनकर समिति के माध्यम से विधवा महिलाओं को सिलाई-कढ़ाईऔर युवाओं का कंप्यूटर का निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया। नतीजा, आज महिलाएं बुनकर समिति से जुड़कर कार्य कर रही हैं।
इससे उन्हें प्रति माह चार हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है। पति को खो चुकी 40-वर्षीय रीता देवी कहती हैं कि वह पूरे परिवार की आजीविका खुद ही चला रही हैं। आपदा पीड़ित 31-वर्षीय पूनम देवी कहती हैं कि गांव की सभी महिलाओं ने हिम्मत के साथ कार्य किया। जिससे आज वह भविष्य की चुनौतियों का मुकाबला कर सकती हैं।
सांसद ने गोद लिया है गांव
आपदा के बाद गढ़वाल सांसद ने इस गांव को गोद लिया और यहां विकास के कई कार्य भी किए। आज गांव तक सड़क पहुंच चुकी है और पर्यटन विभाग की ओर से यहां सुंदरीकरण का कार्य भी किया जा रहा है। इसके अलावा हर पीडि़त परिवार को एक हजार रुपये मासिक पेंशन भी दी जा रही है। जलागम की ओर से भी पांच आपदा पीड़ित परिवारों को टेंट दिए गए, जिसमें वह अपना रोजगार कर रहे हैं।यह भी पढ़ें: केदारनाथ आपदा के पांच सालः नए रूप में निखर रहा महादेव का धाम केदारनाथ
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