बारिश के दिनों में जोखिम भरी हो जाती है केदारनाथ मार्ग पर पैदल यात्रा, 8 सालों में 19 लोग गंवा चुके हैं जान
केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। यह मार्ग भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। चीरबासा छौड़ी जंगलचट्टी रामबाड़ा लिनचोली व छानी कैंप में भूस्खलन जोन सक्रिय होने से मार्ग पर हर वक्त पत्थर गिरने का खतरा बना रहा है। इससे कई बार तो तीर्थयात्रियों की जान पर भी बन आती है।
बृजेश भट्ट l जागरण रुद्रप्रयाग: वर्षाकाल में केदारनाथ पैदल मार्ग पर आवाजाही बेहद खतरनाक हो जाती है। भूस्खलन और पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण कब, कहां अनहोनी घट जाए, कहा नहीं जा सकता। बीते आठ वर्षों में वर्षाकाल के दौरान इस मार्ग पर कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें 19 व्यक्तियों को जान गंवानी पड़ी। वहीं, पत्थर व मलबे की चपेट में आकर 150 से अधिक लोग घायल भी हो चुके हैं। इसलिए जरूरी है कि वर्षाकाल में केदारनाथ आने वाले तीर्थयात्री मार्ग पर बेहद संभलकर चलें और मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ हो तो यात्रा करने से बचें।
केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। यह मार्ग भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। चीरबासा, छौड़ी, जंगलचट्टी, रामबाड़ा, लिनचोली व छानी कैंप में भूस्खलन जोन सक्रिय होने से मार्ग पर हर वक्त पत्थर गिरने का खतरा बना रहा है। इससे कई बार तो तीर्थयात्रियों की जान पर भी बन आती है।
केदारनाथ पैदल मार्ग पर चीरवासा में मृतकों के शवों को ले जाती एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ के जवान। जागरण
भूस्खलन व पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आकर बीते आठ वर्षों के दौरान पैदल मार्ग पर 19 व्यक्तियों की जान जा चुकी है। यही वजह है कि वर्षाकाल में केदारनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या बहुत कम हो जाती है। हालांकि, सावन इसका अपवाद है। इस दौरान अच्छी-खासी संख्या में तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंचते हैं। इसके अलावा केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में भी बीते वर्ष भूस्खलन की चपेट में आकर 16 व्यक्तियों की मौत हो गई थी।
भूस्खलन व पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आकर बीते आठ वर्षों के दौरान पैदल मार्ग पर 19 व्यक्तियों की जान जा चुकी है। यही वजह है कि वर्षाकाल में केदारनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या बहुत कम हो जाती है। हालांकि, सावन इसका अपवाद है। इस दौरान अच्छी-खासी संख्या में तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंचते हैं। इसके अलावा केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में भी बीते वर्ष भूस्खलन की चपेट में आकर 16 व्यक्तियों की मौत हो गई थी।
वर्षवार केदारनाथ पैदल मार्ग पर हुई दुर्घटनाएं
वर्ष |
मृतक |
2024 | 3 (अब तक) |
2023 | 4 |
2022 | 6 |
2019 | 2 |
2018 | 2 |
2017 | 2 |
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भी जान का जोखिम कम नहीं
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भी तीर्थयात्री वर्षाकाल के दौरान जान जोखिम में डालकर आवाजाही करते हैं। छह किमी लंबे इस मार्ग पर नौकैंची से भैरव मंदिर के बीच, भंगेलीगाड के पास और राम मंदिर से झरना तक पहाड़ी से आए दिन पत्थर गिरते रहते हैं। पिछले 13 वर्षों के दौरान इस मार्ग पर पत्थरों की चपेट में आकर पांच व्यक्ति जान गंवा चुके हैं, जबकि 25 चोटिल हुए। वहीं, पांच किमी लंबे हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर वर्ष 2007 में अटलाकोटी हिमखंड के टूटने से 15 तीर्थ यात्रियों की जान चली गई थी। वर्ष 2023 में भी यहां हिमस्खलन की चपेट में एक तीर्थयात्री को जान गंवानी पड़ी।
केदारनाथ पैदल मार्ग चीरवासा में पैदल मार्ग पर आया मलबा एवं बोल्डर जागरण
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वर्षाकाल में चारधाम यात्रा मार्गों पर भूस्खलन जोन सक्रिय हो उठते हैं, जिससे इन स्थानों पर दुर्घटना का खतरा बना रहता है। सबसे ज्यादा 24 भूस्खलन जोन बदरीनाथ हाईवे पर हैं, जिनमें से ज्यादातर इन दिनों सक्रिय हैं। इसी तरह केदारनाथ हाईवे पर 13, गंगोत्री हाईवे पर नौ और यमुनोत्री हाईवे पर दो भूस्खलन जोन हैं। इन स्थानों पर वर्षाकाल में अक्सर हाईवे अवरुद्ध हो जाते हैं।केदारनाथ पैदल मार्ग पहाड़ी से पत्थर गिरने और भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। हालांकि, प्रशासन की ओर से यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजात किए गए हैं। भूस्खलन प्रभावित व संवेदनशील स्थानों पर पुलिस तैनात है, जो तीर्थ यात्रियों को सचेत करने के साथ उनकी सुरक्षित अवाजाही भी कराती है। नंदन सिंह रजवार, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी, रुद्रप्रयाग