Move to Jagran APP

मलबे के साथ झील में समा रही एक सड़क की उम्मीद

ऑलवेदर रोड के तहत बदरीनाथ हाईवे पर बनने वाले सिरोबगड़ बाईपास का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो सका है। इसके लिए अलकनंदा झील में बनाई जा रही रणनीति फेल हो रही है।

By BhanuEdited By: Updated: Sun, 22 Apr 2018 05:19 PM (IST)
Hero Image
मलबे के साथ झील में समा रही एक सड़क की उम्मीद

रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]: ऑलवेदर रोड के तहत बदरीनाथ हाईवे पर बनने वाले सिरोबगड़ बाईपास का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो सका है। वजह है निर्माण एजेंसी की ओर से भारी मशीनों को दूसरे छोर तक ले जाने के लिए बनाई गई अटपटी रणनीति। इसके तहत बीते दो माह से सिरोबगड़ के पास अलकनंदा नदी की झील में मिट्टी-पत्थर भरकर मार्ग तैयार किया जा रहा है, लेकिन हर बार सारी मेहनत झील में समा जा रही है। 

नतीजा, अब तक कोई भी मशीन झील के दूसरे छोर पर नहीं पहुंच सकी। इससे निर्माण एजेंसी धरमराज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की कार्य प्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है। उधर लोक निर्माण विभाग की नेशनल हाईवे इकाई ने कार्य में अनावश्यक विलंब पर निर्माण एजेंसी को नोटिस देकर जवाब मांगा है। 

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत गढ़वाल के चारों जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व टिहरी में चारधाम सड़क योजना के तहत 12 हजार करोड़ के निर्माण कार्य चल रहे हैं। इसमें रुद्रप्रयाग से लगभग 15 किमी पहले श्रीनगर(पौड़ी) की ओर 500 करोड़ की सिरोबगड़ बाईपास योजना भी शामिल है। 

इस योजना में तीन बड़े पुल (दो अलकनंदा नदी और एक खांकरा गदेरे पर) और सिरोबगड़ स्लाइडिंग जोन के ठीक दूसरी ओर लगभग पांच किमी लंबे नए हाईवे का निर्माण होना है। पुल बनने में अभी समय लगना है, जबकि दूसरे छोर पर हाईवे निर्माण के लिए जेसीबी व पोकलैंड जैसी भारी और अन्य जरूरी मशीनों को तुरंत पहुंचाया जाना जरूरी है। 

इसी को देखते हुए निर्माण एजेंसी सिरोबगड़ के पास पपड़ासू गांव के नीचे पिछले दो महीने से अलकनंदा नदी पर बनी श्रीनगर जल-विद्युत परियोजना की झील में मिट्टी-पत्थर डालकर अस्थायी मार्ग तैयार कर रही है, ताकि मशीनों को झील के दूसरे किनारे पहुंचाया जा सके। 

झील पर मलबा डालकर अस्थायी मार्ग बनाने की रणनीति सिरे नहीं चढ़ रही है। यह अस्थायी रास्ता हर बार झील में समा जाता है और निर्माण एजेंसी धरमराज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड फिर मिट्टी-पत्थर भरना शुरू कर देती है। अस्थायी रास्ते के डूबने-उभारने के इसी खेल के चलते न तो अब तक कोई मशीन झील के दूसरे छोर पर पहुंच पाई और न बाईपास का निर्माण शुरू होने के आसार ही नजर आ रहे। ऐसे में निर्माण एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

सैकड़ों ट्रक मलबा डाला, पर नहीं बनी बात 

अस्थायी मार्ग बनाने के लिए झील में अब तक कई टन मिट्टी व पत्थर भरे जा चुके हैं, फिर भी मार्ग तैयार नहीं हुआ, जबकि सिल्ट (गाद) भरी होने के कारण इस स्थान पर झील की गहराई बामुश्किल आठ से दस फीट ही है। सवाल यह भी है कि यदि इस स्थान पर रास्ता तैयार करने में दिक्कत आ रही है तो किसी अन्य स्थान पर संभावनाएं क्यों नहीं तलाशी जा रही। 

नेशनल हाईवे लोनिवि ने एजेंसी से मांगा जवाब

लोक निर्माण विभाग की नेशनल हाईवे इकाई के अधिशासी अभियंता प्रवीन कुमार कहते हैं कि अस्थायी रास्ते का निर्माण एजेंसी अपने विवेक पर कर रही है। लिहाजा उसे नोटिस देकर इस संबंध में जवाब मांगा गया है। उन्होंने स्वीकारा कि कार्य में विलंब होने से मशीनें दूसरे छोर पर नहीं पहुंच पा रहीं, जिससे हाईवे का निर्माण बाधित हो रहा है। 

सिरोबगड़ स्लाइडिंग जोन का विकल्प होगा बाईपास

पपड़ासू गांव से बनने वाला पांच किमी लंबा सिरोबगड़ हाईवे खांकरा के पास नौगांव में मिलेगा। इस हाईवे पर दो पुल अलकनंदा नदी और एक पुल खांकरा गदेरे में बनाया जाएगा। 

पारिस्थितिकी के लिए खतरा

केंद्रीय गढ़वाल विवि श्रीनगर(पौड़ी) के पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष प्रो. आरसी शर्मा ने झील में मिट्टी-पत्थर डाले जाने को खतरनाक बताया है। उनका कहना है कि नियम-कानूनों को ताक पर रखकर जिस तरह सिरोबगड़ के पास अलकनंदा नदी में सैकड़ों ट्रक मिट्टी व पत्थर डाले जा चुके हैं, उससे झील का पानी तो दूषित हो ही रहा, झील में रह रहे जीव-जंतुओं का जीवन भी खतरे में पड़ गया है। लिहाजा झील में मिट्टी किसी भी दशा में नहीं डाली जानी चाहिए।

होगी जांच 

जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग मंगेश घिल्डियाल के मुताबिक झील में इस तरह से अस्थायी रास्ता बनाने का मामला गंभीर है। इसकी जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह भी पढ़ें: चीन सीमा को जोड़ने को गंगोत्री हाईवे पर बीआरओ ने तैयार किया वैली ब्रिज

यह भी पढ़ें: चीन सीमा को जोड़ने वाला पुल टूटा, बीआरओ के लिए चुनौती

यह भी पढ़ें: वैली ब्रिज टूटने से भारत चीन सीमा की चौकियों का संपर्क कटा

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।