Kedarnath By Election Result: केदारघाटी के लोगों की नाराजगी के बावजूद कैसे जीत गई भाजपा? ये हैं तीन बड़े कारण
Kedarnath By Election Result 2024 केदारनाथ उपचुनाव 2024 के नतीजे आ गए हैं और बीजेपी की आशा नौटियाल ने जीत हासिल की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कड़ी मेहनत और आशा नौटियाल की स्वच्छ छवि ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई। आशा नौटियाल अपने दो कार्यकालों में क्षेत्र में काफी लोकप्रिय रही हैं और आम जनता खासकर महिलाओं से उनका सीधा संपर्क रहा है।
बृजेश भट्ट, जागरण रुद्रप्रयाग। Kedarnath By Election Result 2024: भाजपा की जीत के भले ही कई फैक्टर गिनाए जा रहे हों लेकिन उन सब में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मेहनत और प्रत्याशी आशा नौटियाल की छवि भी रही, जिसने जीत की पटकथा लिखने में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस की ओर से आक्रामक प्रचार और आरोप-प्रत्यारोपों के बावजूद सीएम धामी लगातार केदारानाथ का दौरा करते रहे।
उन्होंने केदारघाटी के लोगों की नाराजगी के बावजूद व्यक्तिगत रूप से लोगों से संपर्क किया और क्षेत्रीय मुद्दों पर खुलकर मंचों से चर्चा कर जीत की राह को आसान बनाया। भाजपा प्रत्याशी की स्वच्छ छवि ही रही कि कांग्रेस पूरे चुनाव अभियान के दौरान एक बार भी उन पर कोई आरोप नहीं लगा पाई।
लोगों की नाराजगी को कांग्रेस ने बनाया मुद्दा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ लोगों की नाराजगी को कांग्रेस ने मुद्दा बनाया। साथ ही कई गंभीर आरोप भी लगाए। यात्रा व्यवस्थाओं के कुप्रबंधन के साथ ही केदारनाथ यात्रा को कैंची धाम डायवर्ट करने का आरोप भी लगते रहे।यह भी पढ़ें- 20 हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना हुई थी लॉन्च, लेकिन आठ साल बाद भी 'राम तेरी गंगा मैली'
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तो धामी पर गढ़वाल विरोधी होने तक का आरोप लगाया, लेकिन इसके मुख्यमंत्री धामी पूरी नाराजगी को हैंडल करने में सफल रहे। मुख्यमंत्री मंचों से कहते रहे कि यदि कोई गलती हुई तो उसे सुधारा जाएगा। उनका सीधे केदारघाटी के लोगों से संपर्क करना भी भाजपा के लिए फायदेमंद रहा।
दो बार के कार्यकाल में क्षेत्र में काफी लोकप्रिय रहीं
भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल अपने दो बार के कार्यकाल में क्षेत्र में काफी लोकप्रिय रहीं। आम जनता विशेषकर महिलाओं से उनका सीधा संपर्क रहा। दस वर्ष के कार्यकाल में वह कभी भी विवादों में नहीं रहीं।
केदारनाथ यात्रा से जुड़े व्यापारियों, घोड़े-खच्चर स्वामियों व तीर्थ पुरोहितों की प्रदेश सरकार से नाराजगी के बावजूद वह उनसे संवाद कायम करती रहीं। इधर, पार्टी का दामन थामने वाले कुलदीप रावत से भी भाजपा बड़ी उम्मीद पाले हुई थी, लेकिन उनका जलवा भी चुनाव में नहीं दिखा। एश्वर्या रावत के चुनाव के दौरान लगातार इंटरनेट मीडिया में किए गए पोस्ट से भी भाजपा असहज हुई, लेकिन परिणाम पक्ष में आया।
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