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Kedarnath Dham 2022: काशी व सोमनाथ जैसे दिव्य और भव्य दिखेगा केदारनाथ का गर्भगृह, चढ़ाई जानी है सोने की परत

Kedarnath Dham 2022 केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में तांबे की परत लगाने का कार्य इसी सप्ताह पूरा होगा। बता दें कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत लगाई जानी है। इस दौरान तीर्थपुरोहितों को भी विश्वास में लिया जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 20 Sep 2022 09:39 PM (IST)
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Kedarnath Dham: केदारनाथ के गर्भगृह की दीवारों में चांदी की परत उतारने के बाद सोने की परत चढ़ाई जानी है
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: Kedarnath Dham 2022: केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों में चांदी की परत उतारने के बाद अब सोने की परत चढ़ाई जानी है। इससे पूर्व नाप के लिए पिछले तीन दिन से तांबें की परत चढ़ाई जा रही है। यह कार्य इसी सप्ताह पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद सोना लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

काशी व सोमनाथ के जैसे दिव्य व भव्य बनाना

केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath Temple) को काशी व सोमनाथ के तर्ज पर दिव्य व भव्य बनाने के लिए मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत लगाई जानी है। सोने की परत लगाने से पूर्व इन दिनों तांबे की परत चढ़ाई जा रही है।

गर्भगृह में चढ़ाई जाएगी सोने की परत

इसी सप्ताह गर्भगृह की चारों दीवारों में तांबे की परत लगाने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। गर्भगृह की दीवारों के साथ ही चारों खंभों व जलहरी पर सोने की परत (Gold Plating of Kedarnath Sanctum Walls) चढ़ाई जाएगी।

वर्ष 2017 में चढ़ाई गई थी चांदी

इसके लिए पहले यहां पर चांदी की परत को उतार कर मंदिर के भंडार गृह में रखा गया। वर्ष 2017 में मंदिर के गर्भगृह में चांदी की परत चढ़ाई गई थी।

आठ से दस कारीगर कर रहे इस कार्य को

मंदिर समिति के कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि मंदिर (Kedarnath Temple ) में इन दिनों तांबे की परत चढ़ाई जा रही है। काफी बारीक व सूझबूझ से कारीगर कार्य कर रहे हैं। आठ से दस कारीगर इस कार्य को कर रहे हैं।

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नाप को ले जाया जाएगा महाराष्‍ट्र

जब तांबे की परत पूरी तरह गर्भगृह, खंभों व जलहरी पर लगा दी जाएगी, तो नाप लेने के बाद फिर से इसे उतारा जाएगा। और सोने की परत बनाने के लिए तांबे की परत की नाप को महाराष्ट्र ले जाया जाएगा।

तीर्थपुरोहितों को भी लिया जा रहा विश्वास में

उन्होंने बताया कि उम्मीद है कि आने वाले चार दिनों में तांबे की परत लगाने का कार्य पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए तीर्थपुरोहितों को भी विश्वास में लिया जा रहा है। उनकी सहमति से ही कार्य किया जा रहा है। पौराणिक परंपराओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। इस संबंध में तीर्थपुरोहितों से भी वार्ता की गई है।

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