Kedarnath Dham: जंगल में फंसे यात्रियों के लिए देवदूत बने त्रियुगीनारायण के युवा, 13 की बचाई जान
Kedarnath Dham बीती 31 जुलाई को आई आपदा ने सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचोली तक भारी तबाही मचाई। पैदल मार्ग के विभिन्न पड़ावों पर ठहरे यात्रियों को जान बचाने के लिए जंगल की ओर भागना पड़ा। त्रियुगीनारायण के युवाओं ने केदारघाटी के दूरस्थ गांव तोषी के जंगल में सर्च आपरेशन चलाकर एक दर्जन से अधिक यात्रियों को सुरक्षित निकालने में सफलता हासिल की।
रमेश चंद्र जमलोकी, जागरण फाटा (रुद्रप्रयाग)। Kedarnath Dham: आपदा के बाद केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने में सरकारी एजेंसियों के साथ स्थानीय युवाओं ने भी अहम भूमिका निभाई।
इनमें त्रियुगीनारायण के युवाओं की 15-सदस्यीय टीम भी शामिल है, जिसने केदारघाटी के दूरस्थ गांव तोषी के जंगल में सर्च आपरेशन चलाकर एक दर्जन से अधिक यात्रियों को सुरक्षित निकालने में सफलता हासिल की।
केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचोली तक भारी तबाही
बीती 31 जुलाई को आई आपदा ने सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचोली तक भारी तबाही मचाई। ऐसे में पैदल मार्ग के विभिन्न पड़ावों पर ठहरे यात्रियों को जान बचाने के लिए जंगल की ओर भागना पड़ा।
रविवार रात जब त्रियुगीनारायण के ग्रामीणों को सूचना मिली कि तोषी गांव की ओर चोड़ी तोक के जंगल में कुछ लोग फंसे हुए हैं तो बिना विलंब किए गांव के 15 युवा बिना संसाधनों के ही उन्हें रेस्क्यू करने निकल पड़े।
इनमें रमेश भट्ट, मानवेंद्र गैरोला, विनोद सेमवाल, नितेश भट्ट, अनूप गैरोला, रजनीश गैरोला, पारेश्वर भट्ट, वेदप्रकाश सेमवाल आदि शामिल थे। मार्ग में ही सोम नदी पड़ती है, जिसे पार किए बिना आगे बढ़ पाना संभव नहीं था। लेकिन, नदी उफान पर थी, इसलिए तमाम प्रयासों के बाद भी युवा उसे पार नहीं कर पाए।
बावजूद इसके उन्होंने इस छोर से ही पैकेट फेंककर यात्रियों तक भोजन पहुंचाया। साथ ही रातभर उन्हें हौसला भी देते रहे कि सभी को जल्द सुरक्षित निकाल लिया जाएगा, वह उनके साथ हैं।
13 यात्रियों को सुरक्षित निकाला
सोमवार सुबह एसडीआरएफ की टीम भी वहां पहुंच गई। इसके बाद रस्से की सहायता से सभी ने नदी को पार किया और वहां फंसे 13 यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया। युवाओं की टीम के सदस्य त्रियुगीनारायण निवासी रमेश भट्ट ने बताया कि उनके पास संसाधन नहीं थे, इसलिए उन्हें यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए एसडीआरएफ का इंतजार करना पड़ा।
हालांकि, उन्होंने भोजन के पैकेट सभी यात्रियों तक पहुंचा दिए थे और नदी के इस छोर से बराबर उन्हें धैर्य बंधाते रहे। वहीं, सुरक्षित निकलने के बाद सभी यात्रियों ने एसडीआरएफ व इन युवाओं के प्रति आभार जताया।