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Kedarnath: केदारनाथ गर्भगृह को स्वर्ण जड़ित करने की पूरी कहानी, ये है सोशल मीडिया पर चल रहे विवाद का सच

भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख देख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया। बीकेटीसी द्वारा केदारनाथ मन्दिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की अनुमति दानी दाता की पावन भावना के अनुरूप दी गई।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Mon, 19 Jun 2023 07:00 AM (IST)
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Kedarnath Temple: केदारनाथ गर्भगृह को स्वर्ण जड़ित करने की पूरी कहानी, सोशल मीडिया पर चल रहा विवाद षड्यंत्र का हिस्सा

रुद्रप्रयाग, संवाद सहयोगी। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति (बीकेटीसी) ने श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने पर सोशल मीडिया में फैलाये जा रहे भ्रम को षड्यंत्र का हिस्सा बताया है। वहीं पुर्ननिर्माण कार्यो की निरीक्षण को आए विशेष कार्याधिकारी भाष्कर खुल्वे व पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने भी सोने की परत लगाने वाले कारगीरों से जानकारी ली तथा कार्य पर संतोष जताया। बीकेटीसी ने स्पष्ट किया है कि बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानी दाता से दान स्वीकारा गया है और श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए प्रदेश शासन से अनुमति ली गई।

भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख देख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया। बीकेटीसी द्वारा केदारनाथ मन्दिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की अनुमति दानी दाता की पावन भावना के अनुरूप दी गई। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी हरीश गौड की ओर जारी प्रेस बयान में यह भी स्पष्ट किया है कि गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानी दाता ने अपने स्तर से किया है।

दानी दाता द्वारा अपने स्तर से ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई गई और फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई गईं। दानी दाता ने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित कराया। सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर जड़ने तक का सम्पूर्ण कार्य दानी द्वारा कराया गया। मन्दिर समिति की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी। स्वर्ण व तांबे की प्लेटों के आधिकारिक बिल व बाउचर बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के पश्चात दे दिए गए थे।

बीकेटीसी द्वारा नियमानुसार इसे स्टॉक बुक में दर्ज किया गया है। दानस्वरूप किए गए इस कार्य हेतु दानी व्यक्ति अथवा किसी फर्म द्वारा बीकेटीसी के समक्ष किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी गई और नहीं दानी दाता ने बीकेटीसी से आयकर अधिनियम की धारा-80 जी का प्रमाण पत्र मांगा। वहीं गत 16 जून को केदारनाथ मंदिर में स्वंभू शिवलिंग में जलेई के नीचे वाली सोने की परत का एक्रेलिक ट्रासपरेंट सीट का लेमिनेशन किया गया।

कार्याधिकारी बदरी केदार मंदिर समिति आरसी तिवारी ने बताया कि मंदिर के स्वभू शिवलिंग के चारों तरफ जलेरी पर सोने की परत पर गत वर्ष कपाट बंद होने के कारण सीट नहीं लगाई जा सकी थी। जिस कारण प्रतिदिन होने वाली सफाई व लोगों के पूजा के दौरान दान से सोने नुकसान पहुंच रहा था, इसकी सूचना मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी व मंदिर समिति के अध्यक्ष को दी गई थी, जिस पर दानादाता को इसकी सूचना दी गई।

उनके द्वारा कारीगर भेजे गए, सोने नुकसान पहुंचे सोने की परत का सोने का वर्क चढ़ाया, तथा इसके पश्चात एक्रेलिक ट्रांसपरेंट सीट लगाई, ताकि भविष्य में सोने को दुबारा नुकसान न पहुंचे। इसका निरीक्षण रविवार को पर्यटन सचिव व विशेष कार्याधिकारी भाष्कर खुल्वे ने भी किया। तथा कारीगरों से भी बाचतीत की, तथा कार्य पर संतोष जताया।

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