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Rudraprayag: यात्रियों की सुरक्षा को ताक पर रख रोजाना हेली कंपनी भर रहे दौ सौ उड़ानें, जिले में नहीं है कोई बर्न यूनिट

केदारनाथ धाम के लिए केदारघाटी के विभिन्न हेलीपैड से आठ हवाई कपंनियां उड़ान भर रही हैं। रोजाना औसतन दौ सौ उड़ानें हेली कंपनियां भर रही है। इस वर्ष अब तक एक लाख से अधिक यात्री हेली से बाबा के दर्शनों को धाम पहुंच चुके हैं लेकिन किसी अनहोनी पर यात्रियों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए जिले में बर्न यूनिट तक नहीं है।

By Brijesh bhattEdited By: riya.pandeyUpdated: Thu, 19 Oct 2023 05:15 PM (IST)
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Rudraprayag: यात्रियों की सुरक्षा को ताक पर रख रोजाना हेली कंपनी भर रहे दौ सौ उड़ानें
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम के लिए केदारघाटी के विभिन्न हेलीपैड से आठ हवाई कपंनियां उड़ान भर रही हैं। रोजाना औसतन दौ सौ उड़ानें हेली कंपनियां भर रही है। इस वर्ष अब तक एक लाख से अधिक यात्री हेली से बाबा के दर्शनों को धाम पहुंच चुके हैं लेकिन किसी अनहोनी पर यात्रियों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए जिले में बर्न यूनिट तक नहीं है।

अगर कोई दुर्घटना होती है तो उसे घायलों को उपचार के लिए श्रीनगर बेस चिकित्सालय ले जाना पड़ता है। वहीं पूरी केदारघाटी में कोई भी सुविधा संपन्न चिकित्सालय तक की व्यवस्था नहीं है, जो सरकार की मानवीय सुरक्षा व्यवस्थाओं के प्रति नजरिए की पोल खोलती है।

केदारनाथ धाम के लिए 2003 से संचालित हो रही हवाई सेवा

केदारनाथ धाम के लिए वर्ष 2003 से हवाई सेवाएं संचालित हो रही हैं। शुरू में केवल पंवन हंस हवाई सेवा ही संचालित होती थी, लेकिन वर्तमान में आठ हवाई कंपनियों उड़ान भर रही हैं जो यात्रा सीजन में ढ़ाई सौ से अधिक उड़ान भर कर पन्द्रह सौ यात्रियों को प्रतिदिन हेली सेवा से केदारनाथ धाम पहुंचाते हैं।

वहीं अगर सुरक्षा की बात करें तो केदारघाटी ही नहीं पूरे जनपद में कोई अनहोनी होने पर बर्न यूनिट तक नहीं है। किसी अनहोनी पर उपचार के लिए भी कई सौ किमी दूर जाना पड़ेगा। इतना ही नहीं पूरी केदारघाटी में कोई आधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल भी नहीं है। दुर्घटना होने की स्थिति में घायल को श्रीनगर बेस चिकित्सालय या फिर जोलीग्रांट, ऋषिकेश एम्स में ही उपचार के लिए जाना होगा।

आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल निर्माण की हुई थी घोषणा

केदारनाथ आपदा वर्ष 2013 में हुई त्रासदी के बाद सरकार ने केदारनाथ घाटी में आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल के निर्माण की घोषणा की थी और इसके लिए भूमि की खोजबीन भी की गई, लेकिन फिर प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। सरकार ने हेली सेवा तो शुरू की, लेकिन अनहोनी की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने कोई व्यवस्था तक नहीं की जो सरकार की घोर लापरवाही को दर्शाता है।

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जनपद में नहीं है बर्न यूनिट

बीते मंगलवार को हुई हेली दुर्घटना में भी हेली में आग लग गई थी। हेली में बैठे सभी यात्रियों की पूरी तरह झुलस कर मौके पर ही मृत्यु हो गई थी, लेकिन अगर आग से झुलसने के बाद उपचार की जरूरत पड़ती तो घायलों को देहरादून ले जाना पड़ता, जिसमें काफी अधिक समय लग जाता। वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एससीएस मार्तोलिया ने बताया कि जनपद में कोई भी बर्न यूनिट नहीं है। कहा कि बर्न यूनिट स्थापना का कोई प्रस्ताव भी नहीं है।

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