Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में 'नारी शक्ति' का कमाल, भूस्खलन रोकने के लिए तैयार कर दिया मिश्रित वन- अब तक लगाए एक हजार पौधे

वहीं पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेंद्र सिंह महिलाओं को समय-समय पर पर्यावरण संबंधी प्रशिक्षण देने का कार्य भी करते हैं। वह कहते हैं कि ‘सिंगलास वन’ में बांज समेत मिश्रित चौड़ी पत्ती वाले पौधों का रोपण किया जाएगा। इससे जल संरक्षण के साथ जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी। वहीं अधिक पेड़ उगने से पर्यावरण को काफी बल मिलेगा।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sun, 14 Jul 2024 06:54 PM (IST)
Hero Image
अब तक 1,000 चाल-खाल, खंती व रिसाव पिट भी तैयार कर भूमिगत कर चुकी हैं 50 हजार लीटर वर्षाजल

रविन्द्र कप्रवान, जागरण, रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले में नारी शक्ति जल और पर्यावरण संरक्षण में जुटी हुई है। जिले की कोट ग्राम पंचायत में पर्यावरणविद जगत सिंह चौधरी ‘जंगली’ के मिश्रित वन की तर्ज पर ‘सिंगलास वन’ विकसित किया जा रहा है।

इसके तहत 30 महिलाएं पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेंद्र सिंह के निर्देशन में पिछले एक माह से पंचायत की खाली पड़ी पांच हेक्टेयर वन भूमि पर एक हजार चाल-खाल, खंती व रिसाव पिट तैयार कर अब तक लगभग 50 हजार लीटर वर्षाजल को भूमिगत कर चुकी हैं। इसके साथ ही अब इस भूमि पर 25 से अधिक प्रजाति के एक हजार पौधों का रोपण किया जा रहा है।

‘वन देवता सिंगलास महिला समिति’ दिया गया है नाम

रुद्रप्रयाग जिले के कोट गांव की इन महिलाओं ने इस माडल वन को विकसित करने के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसे नाम दिया गया है ‘वन देवता सिंगलास महिला समिति’। समिति का यह नाम क्षेत्र के वन देवता सिंगलास के सम्मान में रखा गया है। यह समिति ही जल संरक्षण व पौधरोपण की जिम्मेदारी संभाल रही है।

पहले चरण में रुद्राक्ष, रीठा, चीनी बांस, चम खड़ीक, टिमरू, चायपत्ती, देवदार, पारीजात, भमोरा, च्यूरा, पंय्या, काफल, पिंक बुरांश, तेजपत्ता, नींबू, माल्टा आदि प्रजाति के 500 पौधों का रोपण किया जा रहा है। महिलाएं यह कार्य मनरेगा के तहत कर रही हैं, जिससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है। इसमें ग्राम पंचायत कोट की प्रधान सुमन देवी पूरा सहयोग कर रही हैं।

समिति से जुड़ीं ममता देवी, पूजा देवी, सरोजनी देवी ने बताया कि जंगल तैयार करने के इस कार्य में कई लोग सहयोग कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता जयकृत सिंह चौधरी ने खोदाई के लिए उपकरणों की व्यवस्था की है। अन्य लोग भी अपने-अपने स्तर से भागीदारी निभा रहे हैं।

यह है जंगली का मिश्रित वन माडल 

पर्यावरणविद जगत सिंह चौधरी ‘जंगली’ ने वर्ष 1974 में अगस्त्यमुनि ब्लाक के जसोली-कोट गांव की पांच हेक्टेयर से अधिक भूमि पर मिश्रित वन लगाने की शुरुआत की। इसके तहत संबंधित क्षेत्र के भूगोल के अनुरूप विभिन्न प्रजाति के पौधे वहां लगाए गए, जो आज विशालकाय वृक्ष का आकार ले चुके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मिश्रित वन पहाड़ी क्षेत्र में भूस्खलन से होने वाली आपदाओं को रोकने में पूरी तरह सक्षम हैं। जिन क्षेत्रों में मिश्रित वन हैं, वहां भूस्खलन की घटनाएं नहीं होती हैं।

मनरेगा के बजट का उपयोग जल संरक्षण के लिए होना अच्छी पहल है। कोट रुद्रप्रयाग जिले के पहली ग्राम पंचायत होगी, जहां मनरेगा में जल के साथ वन संरक्षण का कार्य भी किया जा रहा है। ‘सिंगलास वन’ को तैयार करने में महिलाओं का पूरा सहयोग किया जाएगा। प्रदेश के अन्य गांवों में भी इस तरह की पहल की जानी चाहिए, ताकि जल, जंगल, जमीन सुरक्षित रहे।

- पर्यावरणविद जगत सिंह चौधरी ‘जंगली’, रुद्रप्रयाग

यह भी पढ़ें : Uttarakhand Flood: आपदा प्रभावितों को राहत सामग्री बांटने गई थीं ग्राम प्रधान, गुस्‍साए लोगों ने पहना दी जूतों की माला; नौ लोगों पर केस