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Uttarakhand lockdown: लॉकडाउन से पहाड़ में सब्जी उत्पादन के प्रति बढ़ा लोगों का रुझान

लॉकडाउन के चलते जनपद के कई क्षेत्रों में युवा और महिलाओं की सब्जी उत्पादन की ओर रुचि बढ़ गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 13 Apr 2020 07:05 PM (IST)
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Uttarakhand lockdown: लॉकडाउन से पहाड़ में सब्जी उत्पादन के प्रति बढ़ा लोगों का रुझान
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन के चलते जनपद के कई क्षेत्रों में युवा और महिलाओं की सब्जी उत्पादन की ओर रूचि बढ़ गई है। बड़ी मात्र में सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। इससे युवाओं को अच्छी आमदनी होने की भी उम्मीद है। आम लोग भी बाहरी सब्जी के बजाय स्थानीय उत्पादन ही खरीदना पसंद कर रहे हैं।

कोरोना संक्रमण से जनपद में भी सभी प्रकार के कारोबार पूरी तरह ठप पड़े हैं, लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं, ऐसे में जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों, केदारघाटी में युवा व महिलाएं सब्जी उत्पादन कार्य कर लॉकडाउन का फायदा भी उठा रहे हैं। जखोली विकास खंड मुख्यालय में सातौली के महेन्द्र भट्ट अपने बगीचे में पहले से ही बड़ी मात्र में सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं। उनकी सब्जी पूरे क्षेत्र में लोग ले रहे है, वह इस क्षेत्र के युवाओं के लिए प्ररेणास्नोत भी बने हैं। 

जिला मुख्यालय के विजय सेमवाल भी इन दिनों बाजार में स्थानीय सब्जी को बेच कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं। जिले में महिला स्वयं सहायता समूहों भी सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। बैंजी गांव के मनोज बैंजवाल भी स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। बाहरी क्षेत्रों से इस समय सीमित मात्र में सब्जी की आपूर्ति हो रही है। वहीं, आम लोगों की सब्जी की डिमांड को यह स्थानीय युवा पूरी कर रहे हैं। गुप्तकाशी के नाला गांव की सेवा नर्मदा और जाख राजा स्वयं सहायता समूहों की महिलाए राई, मटर, गोबी की खेती कर रहे हैं। 

नारायणकोटी में फूलगोभी व पत्ता गोभी की अच्छी पैदावार होती है। इसके साथ ही विभिन्न गांवों में आलू और मटर की खेती की जा रही है। सेवा इंटर नेशनल संस्था के डेढ़ सौ से अधिक स्वयं सहायता समूह से जुड़े मनोज बेजवाल ने बताया कि संस्था द्वारा महिला समूहों को सब्जी का बीज, खाद और कीटनाशक दवा उपलब्ध करवाई जाती हैं। ताकि वह अधिक और अच्छा उत्पादन कर सकें।

काश्तकारों पर दोहरी मार

लॉकडाउन के चलते रवाईं क्षेत्र में मटर के सैकड़ों काश्तकारों पर महंगाई की दोहरी मार पड़ रही है। समय पर मटर मंडी तक नहीं पहुंच पा रही है। मंडी से भी काश्तकारों को सही मूल्य नहीं मिल रहा है। इसके अलावा ट्रक संचालकों ने भी प्रति बोरी का किराया-भाड़ा दोगुना कर दिया है। ऐसे में काश्तकारों की फसल बर्बाद हो रही है। उत्तरकाशी जनपद की रवाईं घाटी में 16 हजार मीटिक टन से अधिक मटर का उत्पादन होता है। उद्यान विभाग के अनुसार इस बार अधिक और अच्छी पैदावार हुई है। परंतु काश्तकार के सामने बीज का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है। पुरोला खलाडी गांव के मटर उत्पादक कबुलचंद रावत और धनवीर सिंह कहते कि देहरादून और विकासनगर मंडी तक पहुंचाने के बाद भी 10 से 11 रुपये प्रति किलो मटर के दाम मिल रहे हैं। 

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इसमें मंडी तक पहुंचाने का किराया भाड़ा भी देना होता है। बीते वर्ष देहरादून मंडी तक पहुंचाने पर ट्रक संचालक प्रति किलो एक रुपये का किराया-भाड़ा लेते थे। इस बार ट्रक संचालकों ने किराया-भाड़ा दोगुना कर दिया है। इसके साथ ही एक दूसरी समस्या यह भी है कि लॉकडाउन के कारण जगह-जगह वाहनों की तलाशी हो रही है। सुबह होने और चिकित्सकों की टीम पहुंचने तक ट्रक को अलग-अलग बैरियर पर रोका जा रहा है। इसमें भी काफी समय लग रहा है, जिससे मटर मंडी से पहले खराब होने की स्थिति में हैं।

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