केदारनाथ में यात्रियों को भा रहा पहाड़ी रसोई का स्वाद, पढ़िए पूरी खबर
केदारनाथ आने वाले देश-विदेश के यात्री पहाड़ी व्यंजनों का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। सोनप्रयाग में पहाड़ी रसोई में अब तक दो लाख ज्यादा यात्री भोजन का लुत्फ उठा चुके हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 03 Oct 2019 07:25 PM (IST)
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। केदारनाथ आने वाले देश-विदेश के यात्री पहाड़ी व्यंजनों का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। यात्रा के प्रमुख पड़ाव सोनप्रयाग में पहाड़ी रसोई में अब तक दो लाख ज्यादा यात्री भोजन का लुत्फ उठा चुके हैं। इस रसोई का संचालन स्थानीय युवा ही कर रहे हैं।
गौरीकुंड से छह किलोमीटर दून सोनप्रयाग में पहाड़ी रसोई का संचालन कर रहे फाउंडेशन के प्रभारी मनोज सेमवाल बताते हैं कि केदारनाथ में हर वर्ष लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते है। ऐसे में उनकी संस्था ने विचार किया कि तीर्थयात्रियों का उत्तराखंड की संस्कृति से परिचित कराया जाना चाहिए। इसीलिए उन्होंने पहाड़ी खान-पान पर फोकस किया। इस पर पहली बार सोनप्रयाग में किराए पर भवन लेकर 15 युवाओं के सहयोग से पहाड़ी रसोई की शुरुआत की। वह बताते हैं कि यहां हर तरह के पहाड़ी व्यंजन परोसे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक थाली का मूल्य 100 रुपये रखा गया है। थाली में मंडुवे की रोटी, पहाड़ी दाल, पहाड़ी चावल, सलाद और चटनी के साथ ही झंगोरे की खीर भी परोसी जा रही है। यादगार के तौर पर यात्रियों को अरसे (चावल की मिठाई) भी डिब्बे में पैक कर दी जा रही है। मनोज कहते हैं कि किचन में इस्तेमाल होने वाला सामान वह स्थानीय किसानों से खरीद रहे हैं। इससे किसानों में भी उत्साह है।
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गुजरात के अहमदाबाद से परिवार के साथ आए 55 वर्षीय केशु पटेल कहते हैं कि यात्रा में भोले बाबा के दर्शन के साथ ही पहाड़ी स्वाद भी चखने को मिला। वह कहते हैं यह एक अच्छा प्रयास है, इससे उत्तराखंड के उत्पादों के बारे में भी जानकारी मिली। कर्नाटक से आए 43 वर्षीय शिक्षक रामबाबू कहते हैं कि युवाओं का यह प्रयास सराहनीय है, प्रदेश सरकार को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
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