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Uttarakhand Landslide: साल 2013 की आपदा का दंश झेल रहे उत्तराखंड के ये जिले, जोखिम में जी रहीं लाखों जान

Uttarakhand Landslide वर्ष 2013 की आपदा के बाद से उत्तराखंड जिले में प्रभावित क्षेत्रों का भू-गर्भीय सर्वेक्षण किया गया था। राजस्व विभाग की रिपोर्ट और विस्थापन नीति-2011 के आधार पर जिले में 23 गांवों के 472 परिवारों को विस्थापन के लिए चिह्नित किया गया। इन सभी गांव में साल 2001 के बाद से लगातार भूस्खलन की समस्या बनी हुई है।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Wed, 09 Aug 2023 07:44 AM (IST)
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Uttarakhand Landslide: साल 2013 की आपदा का दंश झेल रहे उत्तराखंड के ये जिले
जागरण संवाददाता, रुद्रप्रयाग। वर्ष 2013 की आपदा के बाद से जिले में प्रभावित क्षेत्रों का भू-गर्भीय सर्वेक्षण किया गया था। राजस्व विभाग की रिपोर्ट और विस्थापन नीति-2011 के आधार पर जिले में 23 गांवों के 472 परिवारों को विस्थापन के लिए चिह्नित किया गया। जिसमें 18 गांवों के 210 परिवारों को विस्थापन करने के योग्य पाया गया।

रुद्रप्रयाग। जिले में 64 परिवारों को विस्थापन का इंतजार

बीते कई सालों से जिला प्रशासन ने 136 परिवारों को विस्थापित किया। जबकि इनमें शेष 64 परिवारों का विस्थापन नहीं हो सका है। हालांकि भूस्खलन और भू-धंसाव की दृष्टि से जिले में कई गांवों खतरे की जद में है। जनपद की जखोली, ऊखीमठ एवं रुद्रप्रयाग तहसील के 64 परिवार विस्थापन की सूची में शामिल हैं।

नई टिहरी: टिहरी में 16 गांव के 455 परिवार भूस्खलन प्रभावित की श्रेणी में

नई टिहरी में में 16 गांव के 455 परिवार भूस्खलन की जद में हैं। इन सभी गांव में 2001 के बाद से भूस्खलन की समस्या है। इन सभी गांव को विस्थापन की श्रेणी में रखा गया है। टिहरी जिले में 16 गांव भूस्खलन प्रभावित श्रेणी में रखे गए हैं। इन सभी गांव में 2001 के बाद से लगातार भूस्खलन की समस्या बनी हुई है। जिसके बाद प्रशासन ने सर्वे के बाद 16 गांव के 455 परिवारों को विस्थापन की श्रेणी में रखा है।

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प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार इन सभी परिवारों को भूस्खलन से खतरा है ऐसे में उन सभी को विस्थापित करने का कार्य किया जा रहा है। 455 परिवारों के लगभग 2500 की आबादी का विस्थापन किया जाना है। प्रशासन की तरफ से प्रति परिवार चार लाख 25 हजार रूपये मकान बनाने के लिये दिये गए है।

एडीएम केके मिश्र ने बताया कि जिले के 16 गांव भूस्खलन श्रेणी में रखे गए हैं। अभी तक 455 परिवारों को मकान बनाने के लिए धनराशि दी गई है। भूस्खलन प्रभावित गांव भेलुंता, बैथाण गांव, सिलारी, त्यालनी, इंद्रोला, कोट, अगुंडा, पनेथ, हलेथ गांव, डौर, सीतापुर, तौलयाकाटल, कोकलियाल गांव, कोठार गांव, ग्वालीडांडा, डौर।

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के 57 गांवों पर भूस्खलन का खतरा

हर वर्षाकाल में पहाड़ के गांव भूस्खलन की जद में आ रहे हैं। जनपद उत्तरकाशी के 57 गांवों भूस्खलन की जद में हैं। इन गांवों के करीब 800 परिवार के विस्थापन की जरुरत है। जनपद उत्तरकाशी में भूस्खलन व भू-धंसाव का इतिहास बड़ा ही डरावना रहा रहा है। वर्ष 1997 में डुंडा तहसील का बागी गांव भी भूस्खलन के कारण जमीदोज हुआ। 2003 में वरुणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ।

जिसने उत्तरकाशी का भूगोल ही बदल डाला। 2010 में भटवाड़ी गांव और तहसील मुख्यालय भू-धंसाव हुआ। करीब 50 परिवारों के मकान जमीदोज हुए। वर्ष 2012-2013 की आपदा के बाद से भूस्खलन प्रभावित गांवों की संख्या तेजी से बढ़ती गई। उत्तरकाशी में फिलहाल 57 गांव के करीब 800 परिवारों को विस्थापन की जरूरत है। इनमें अति संवेदनशील गांवों की संख्या 27 है। इन गांवों की खतरे की स्थिति का आंकलन करने के लिए कई बार सर्वे हो चुके हैं।

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जिले में 27 गांव अति संवेदनशील श्रेणी में आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील उत्तरकाशी जनपद में भटवाड़ी, मस्ताड़ी, अस्तल, उडरी, धनेटी, सौड़, कमद, ठांडी, सिरी, धारकोट, क्यार्क, बार्सू, कुज्जन, पिलंग, जौड़ाव, हुर्री, ढासड़ा, दंदालका, अगोड़ा, भंकोली, सेकू, वीरपुर, बड़ेथी, कांसी, बाडिया, कफनौल एवं कोरना कुल 27 गांव अत्यधिक संवेदनशील चिन्हित किए गए हैं।

पिछले दस वर्षों के अंतराल में 210 परिवारों को विस्थापित किया गया है। ओल्या के छह, नरियोका व छामरोली के कुल दस परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया गतिमान है। हर वर्षाकाल में भूस्खलन प्रभावित गांवों की संख्या बढ़ जाती है। सभी प्रभावित गांवों की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है तथा भूविज्ञानियों से सर्वे करने का अनुरोध किया जाता है।

-देवेंद्र पटवाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी

 विस्थापन की श्रेणी में है पुलिंडा गांव पौड़ी

जनपद में भू-धसाव के लिहाज से विकासखंड दुगडडा का पुलिंडा गांव विस्थापन की राह देख रहा है। आपदा कंट्रोल रुम से मिली जानकारी के मुताबिक ग्रामीण 2004-5 से विस्थापन की मांग कर रहे हैं। गांव के नीचे हुए भू-कटाव के चलते पांच परिवार खतरे की जद में आ गए थे।

गांव से कुछ परिवारों ने गांव भी छोड़ दिया है तो साठ से अधिक परिवार गांव में ही हैं। इसके अलावा इस बार मानसूनी सीजन में बादल फटने से पैदा हुए हालात के चलते विकासखंड थलीसैंण के रौली गांव में भी खतरे का अंदेशा बना हुआ है। गांव में साठ से अधिक परिवार बसायत है। गत दिनों डीएम डा. आशीष चौहान ने गांव का स्थलीय निरीक्षण किया तब ग्रामीणों ने विस्थापन की मांग की थी।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी दीपेश काला ने बताया कि जनपद में केवल पुलिंडा गांव के नीचे से हुए भू कटाव के चलते यह विस्थापन की श्रेणी में है। प्रभावित पूरे गांव को विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं। इसकी रिपोर्ट पहले ही शासन को भेजी गई है।

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