मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में भगवान शिव और माता पार्वती ने त्रियुगीनारायण मंदिर में सात फेरे लिए थे। ऊखीमठ ब्लाक में बसा ये आस्था स्थल नैसर्गिक सौंदर्य के लिए ख्यात है। 2021 में 48 2022 में 101 जोड़ों ने यहां ब्याह रचाया। इस वर्ष मार्च तक 55 पंजीकरण हुए हैं।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 17 Feb 2023 06:40 PM (IST)
बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग। त्रियुगीनारायण रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ ब्लाक का एक ऐसा मंदिर है, जहां विवाह बंधन में बंधना युवा, खासकर सेलेब्रिटी अपना सौभाग्य मानते हैं। इस मंदिर में भगवान नारायण भूदेवी व देवी लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं।
मान्यता है कि देवी पार्वती से भगवान शिव का विवाह इसी स्थान पर संपन्न हुआ था। भगवान नारायण ने इस दिव्य विवाह में देवी पार्वती के भाई का कर्तव्य निभाया, जबकि ब्रह्मा इस विवाहयज्ञ के आचार्य बने।
यही वजह है कि यहां जल रही अखंड धूनी के सात फेरे लेने के लिए हर साल देश-विदेश से बड़ी संख्या में युवा जोड़े त्रियुगीनारायण पहुंचते हैं। बीते यहां सौ से अधिक जोड़े विवाह बंधन में बंधे और इस वर्ष मार्च तक के लिए 55 जोड़े एडवांस बुकिंग करा चुके हैं।
समुद्रतल से 6495 फीट की ऊंचाई पर केदारघाटी में स्थित जिले की सीमांत ग्राम पंचायत का त्रियुगीनारायण नाम इसी मंदिर के कारण पड़ा। 295 परिवारों वाली इस पंचायत में त्रियुगीनारायण मंदिर की स्थापना त्रेतायुग में हुई मानी जाती है।
स्थापत्य शैली में केदारनाथ मंदिर जैसे दिखने वाले इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण है यहां जल रही अखंड ज्योति। मान्यता है कि यह लौ शिव-पार्वती के दिव्य विवाह के समय से प्रज्वलित है। इसलिए इसे अखंड धूनी मंदिर भी कहा जाता है।
इसी अखंड धूनी को साक्षी मानकर गृहस्थ जीवन शुरू करने के लिए दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों के साथ ही विदेश से भी युवा जोड़े बड़ी संख्या में यहां आते हैं।
साल-दर-साल यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। वर्ष 2021 में जहां 48 जोड़े यहां विवाह बंधन में बंधे, वहीं वर्ष 2022 में यह संख्या 101 पहुंच गई। इनमें से 32 शादियां अक्टूबर में नवरात्र के दौरान हुईं।
शादी का पंजीकरण शुल्क सिर्फ 1100 रुपये
तीर्थ पुरोहित समिति त्रियुगीनारायण के सचिव सर्वेश्वर भट्ट वर्ष 2023 में विवाह के लिए अब तक 55 पंजीकरण हो चुके हैं। सभी विवाह मार्च तक संपन्न होने हैं। आगे के लिए एडवांस बुकिंग जारी है। विवाह के लिए समिति को 1100 रुपये पंजीकरण के अलावा अन्य कोई शुल्क नहीं देना पड़ता।
इस शुल्क से विवाह मंडप की व्यवस्था की जाती है। रहने-खाने की व्यवस्था वर-वधू के परिवारों को स्वयं करनी पड़ती है। भोजन पूरी तरह शाकाहारी होता है।वर-वधू पक्ष की मांग पर पहाड़ी भोजन की व्यवस्था भी मंदिर समिति की ओर से की जाती है। बताया कि दस्तावेज के रूप में सिर्फ और आधार कार्ड की प्रमाणित कापी ली जाती है।
प्रकृति की गोद में संस्कृति का समागम
चारों ओर पहाड़ों से घिरा त्रियुगीनारायण गांव आपको प्रकृति की गोद में होने का एहसास कराता है। आप सर्दी का मौसम शादी के लिए चुनते हैं तो बर्फ की मनमोहक फुहारें भी आपका स्वागत कर सकती हैं।
शादी में गढ़वाली मांगल गीतों के साथ लोक वाद्य ढोल-दमाऊ और मसकबीन की सुमधुर लहरियां आपको पहाड़ी संस्कृति के और करीब ले जाती हैं। अगर आप चाहें तो शादी में पारंपरिक गढ़वाली व्यंजन परोसने का अनुरोध भी कर सकते हैं।इनमें गहत, पहाड़ी उड़द, राजमा व तोर की दाल, चैंसू, काफली, झंगोरे की खीर, झंगोरे का भात, मंडुवे की रोटी, आलू के गुटखे, तिल-भट की चटनी आदि प्रमुख हैं। विशेष अवसरों पर मंदिर में भंडारे का आयोजन भी होता है।
ऐसे पहुंचते हैं त्रियुगीनारायण
त्रियुगीनारायण मंदिर सड़क मार्ग से जुड़ा है। यहां आने के लिए ऋषिकेश से 175 किमी की दूरी तय कर सोनप्रयाग पहुंचा जाता है। यहां से 12 किमी की दूरी पर त्रियुगीनारायण मंदिर अवस्थित है।मंदिर में सात कुंड हैं, जिन्हें ब्रह्मकुंड, रुद्रकुंड, विष्णु कुंड, सूरज कुंड, सरस्वती कुंड, नारद कुंड व अमृत कुंड नाम से जाना जाता है। त्रियुगीनारायण से आसपास गौरीकुंड, सोनप्रयाग, ऊखीमठ व कालीमठ जैसे दर्शनीय स्थल मौजूद हैं।
ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर भगवान केदारनाथ का शीतकालीन प्रवास स्थल भी है। यहां आप पांचों केदार (केदारनाथ, मध्यमेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ व कल्पेश्वर) के दर्शन कर सकते हैं।
त्रियुगीनारायण में सात फेरे लेने वाले सेलेब्रिटी
तीर्थ पुरोहित समिति के सचिव सर्वेश्वर भट्ट ने बताया कि त्रियुगीनारायण में मंदिर में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत, आइएएस दंपती ललित मोहन रयाल व रश्मि रयाल, ऊखीमठ के एसडीएम जितेंद्र वर्मा, एफआइआर फेम टीवी अभिनेत्री कविता कौशिक, दो दिल एक जान फेम अभिनेत्री निकिता शर्मा, अभिनेता जितेंद्र असेड़ा, आइपीएस अपर्णा गौतम आदि सात फेरे ले चुके हैं।
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