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Tungnath Temple: भव्य और अद्भुत संरचना से बना तुंगनाथ मंदिर, विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर है स्‍थ‍ित

रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है। मंदिर के इतिहास से जुड़ी पौराणिक किंवदंती के मुताबिक महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने भाइयों व सगे संबंधियों को मारने पर पश्चाताप करने के लिए भगवान शिव की खोज में हिमालय पहुंचे।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Fri, 29 Jul 2022 04:22 PM (IST)
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रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है। जागरण

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है। यह समुद्र तल से 3690 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर भव्य एवं अद्भुत संरचना से बना है। तुंगनाथ मंदिर पंचकेदारों में शामिल है।

हर साल वैशाख पंचमी के समय बैसाखी पर मंदिर के कपाट खुलने की तारीख तय होती है। दीपावली के बाद सर्दियों के मौसम में यह मंदिर बंद कर दिया जाता है। शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में छह महीने तक भगवान तुंगनाथ निवास करते हैं।

मंदिर का यह है इतिहास

तुंगनाथ मंदिर के इतिहास से जुड़ी पौराणिक किंवदंती के मुताबिक महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने भाइयों व सगे संबंधियों को मारने पर पश्चाताप करने के लिए भगवान शिव की खोज में हिमालय पहुंचे। भगवान शिव पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, तो उन्होंने भैस का रूप धारण कर लिया। लेकिन पांडवों ने भगवान शिव को पहचान लिया, जिस पर भगवान गुप्तकाशी में जमीन में अदृश्य हो गए, लेकिन पांडवों ने पीछा नहीं छोड़ा और तुंगनाथ में भगवान शिव की भैस रूप में भुजाएं दिखाई दी, तब से यहां पर भगवान की भुजाओं की पूजा होती है।

तुंगनाथ मंदिर के कपाट खुलने व बंद होने का समय

प्रत्येक वर्ष वैशाखी के पर्व पर तुंगनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाती है। लगभग छह महीने तक भगवान तुंगनाथ भक्तों को दर्शन देते हैं। दीपावली के बाद शीतकाल के छह महीनों के लिए कपाट बंद कर दिए जाते हैं। शीतकाल में तुंगनाथ भगवान की शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कुमठ में छह महीने तक पूजा होती है।

इस तरह पहुंचे तुंगनाथ मंद‍िर

तुंगनाथ मंदिर पहुंचने के लिए ऋषिकेश पहुंचना होगा। यहां से सड़क मार्ग से पहले 140 किमी रुद्रप्रयाग पहुंचा जा सकता है। यहां से 70 किमी ऊखीमठ होते हुए सड़क मार्ग से चोपता पहुंच सकते हैं। चोपता से साढ़े तीन किमी पैदल चलकर तुंगनाथ मंदिर में पहुंच सकते हैं। पैदल मार्ग पर सुंदर बुग्यालों का आनंद भी भक्त या पर्यटक ले सकते हैं।

तुंगनाथ मंदिर क्षेत्र के साथ ही देश-विदेश के लिए आस्था का केंद्र है। हर वर्ष सावन मास में हजारों भक्तजन जलाभिषेक के लिए यहां पहुंचते हैं। साथ ही यहां पूजा अर्चना कराकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं। बद्री-केदार मंदिर समिति की ओर से तुंगनाथ मंदिर का प्रचार-प्रसार जारी है। ताकि अधिक से अधिक भक्तजन यहां पहुंच सके।

अजेन्द्र अजय, अध्यक्ष, बद्री-केदार मंदिर समिति उत्तराखंड

तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर में प्रतिवर्ष देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्तजन दर्शनों को पहुंचते हैं। जो भक्तजन सच्ची श्रद्धाभाव से भगवान तुंगनाथ मंदिर पहुंचते हैं। भगवान शिव उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं। सावन मास में यहां पूजा अर्चना का विशेष महत्व रहता है।

लम्बोदर प्रसाद मैठाणी, पुजारी, तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर

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