प्रसाद से आर्थिकी संवार रही केदारघाटी की महिलाएं
केदारघाटी की दो सौ से अधिक महिलाएं यात्रा सीजन के दौरान स्थानीय उत्पादों से श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद तैयार करती हैं।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 03 Jan 2021 02:58 AM (IST)
बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग
केदारघाटी की दो सौ से अधिक महिलाएं यात्रा सीजन के दौरान स्थानीय उत्पादों से श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद तैयार करती हैं। इससे उनकी आर्थिकी तो मजबूत हुई ही है, क्षेत्र में रोजगार का एक बेहतर विकल्प भी मिल गया है। रुद्रप्रयाग के तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की प्रेरणा से घाटी की महिलाएं बीते तीन वर्र्षो से प्रसाद बनाने का कार्य कर रही हैं। हालांकि, कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष मात्र 20 लाख रुपये के प्रसाद की ही बिक्री हो पाई, जबकि वर्ष 2019 में पांच करोड़ रुपये से अधिक का प्रसाद बिका था। केदारनाथ में वर्ष 2017 से स्थानीय उत्पादों का प्रसाद तैयार किया जा रहा है। तब तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की पहल पर जिलेभर के महिला समूहों को इस योजना से जोड़ा गया। वर्ष 2018 व 2019 में समूहों ने चार व पांच रुपये करोड़ से अधिक का प्रसाद मंदिर समिति के सहयोग से बेचा। इससे प्रत्येक महिला को 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की आमदनी हुई। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा काफी विलंब से शुरू हो पाई। सो, यात्रा से जुड़ी सभी गतिविधियां भी ठप रही। लॉकडाउन में ढील मिलने पर 20 जुलाई से प्रशासन ने प्रसाद की ऑनलाइन बिक्री शुरू की। बावजूद इसके देशभर सेयात्रियों ने इसे हाथोंहाथ लिया और दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ केदारनाथ प्रसाद के तीन हजार से अधिक पैकेट ऑनलाइन भेजे गए। -------------------
प्रसाद योजना से बड़ी संख्या में जुड़ रही महिलाएं जखोली ब्लॉक के ग्राम मेधनपुर निवासी सरिता सजवाण के अनुसार उनके पति मजदूरी करते हैं। उनकी कमाई से घर का खर्चा नहीं चल पा रहा था, लेकिन प्रसाद योजना से जुड़ने के बाद अच्छी आमदनी हो जा रही है। यात्रा सीजन में वह 50 हजार रुपये से अधिक कमा लेती हैं। समूह की अध्यक्ष सरिता देवी बताती हैं कि प्रसाद की बिक्री से बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ रही हैं। धीरे-धीरे यह रोजगार का मजबूत आधार साबित हो रहा है।
--------------------- प्रसाद में शामिल स्थानीय उत्पाद प्रसाद में चौलाई के लड्डू व बिस्कुट, हवन सामग्री, त्रियुगीनारायण के हवन कुंड की राख व बेलपत्र शामिल हैं। एक पैकेट की ऑफलाइन कीमत 201 रुपये और ऑनलाइन कीमत 451 रुपये रखी गई है। --------------------- 'कोरोना काल में केदारनाथ प्रसाद की ऑनलाइन बिक्री के अच्छे परिणाम मिले हैं। इससे स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन और गरीब महिलाओं को रोजगार मिला है। यही वजह है कि प्रसाद योजना से जुड़ने वाली महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।' -भावना पंवार, जिला विशेषज्ञ, एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना -------------------- 'केदारनाथ प्रसाद की यात्रा सीजन में भारी डिमांड रहती है। खासकर ऑनलाइन प्रसाद के लिए तो देश के सभी राज्यों से बुकिंग आती है। इससे प्रसाद से जुड़ी महिलाओं को अच्छी आमदनी हो जाती है।' -भरत चंद्र भट्ट, मुख्य विकास अधिकारी, रुद्रप्रयाग
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