उत्तराखंड की सबसे खतरनाक झील, जिसने डुबोए थे 37 गांव; पिता संग दो बेटों ने बिना लाइफ जैकेट किया पार
Tehri Lake टिहरी झील में तैराकी का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है। प्रतापनगर के त्रिलोक सिंह रावत और उनके दोनों बेटों ने कोटी कालोनी से छाम तक करीब 18 किमी की तैराकी की। वहीं पहली बार झील में तैराकी के लिए उतरे टीएचडीसी के जूनियर आफिसर हरीश गिरी ने भी 18 किमी की तैराकी कर सभी को प्रभावित किया।
संवाद सूत्र, जागरण, कंडीसौड़। Tehri Lake: टिहरी झील में बिना लाइफ जैकेट के टिहरी झील में दोनों बेटों साथ तैराकी करने उतरे प्रतापनगर के मोटणा निवासी त्रिलोक सिंह रावत ने कोटी कालोनी से छाम तक करीब 18 किमी तैराकी कर अपना पिछला रिकार्ड तोड़ दिया। उनका पिछला रिकार्ड 15 किमी तैराकी का था।
वहीं पहली बार झील में तैराकी के लिए उतरे टीएचडीसी के जूनियर आफिसर हरीश गिरी ने भी 18 किमी की तैराकी कर सभी को प्रभावित किया। क्षेत्रवासियों ने इन सभी का फूल-मालाओं से स्वागत किया।
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त्रिलोक रावत (52) व उनके दोनों पुत्र ऋषभ (23) व पारष (18) का यह तीसरा प्रयास है। इससे पहले वह 12 किमी और 15 किमी दूरी तैर कर पार कर चुके हैं। कोटी कालोनी से छाम कंडीसौड़ तक सबसे पहले पहुंचने वाले टीएचडीसी में जूनियर आफिसर के पद पर कार्यरत हरीश गिरी (46) ने लगभग 18 किमी की दूरी महज 8 घंटे में पूरी की। हरीश गिरी मूल रूप से पुराने टिहरी निवासी हैं।
बचपन से ही तैराकी का शौक
हरीश गिरी वर्तमान में टीएचडीसी में जूनियर आफिसर के पद पर तैनात हैं। हरीश गिरी ने बताया कि इस सफलता के लिए वे सबसे पहले भगवान का शुक्र अदा करते हैं। साथ ही बताया उनका ये सफर बहुत ही अच्छा रहा। उन्हें बचपन से ही तैराकी का काफी शौक था हालांकि तैराकी के लिए घर से अभिभावकों की तरफ से काफी डांट पड़ती थी, लेकिन आज काफी खुश हूं। इस सफलता के लिए वे अपने उच्चाधिकारियों के साथ साथ सभी प्रशंसकों का धन्यवाद अदा करते हैं।हरीश गिरी के साथ उनकी हौसला बढ़ाने के लिए साथ चल रहे टीएचडीसी के उप प्रबंधक डैम स्पीलवे अमित रावत ने बताया कि हरीश गिरी के साथ टिहरी बांध झील में चारों प्रतिभागी सुबह 8 बजे टिहरी बांध झील में उतरे थे। चारों तैराकों में सबसे पहले पहुंचे हरीश गिरी ने यह सफर 8 घंटे में पूरा किया।यह भी पढ़ें-Navratri: मुस्लिम भक्त ने रखी थी मां दुर्गा के इस मंदिर की नींव, सच्चे मन से मांगी मुराद होती है पूरी; दिलचस्प कहानी
इसके बाद पहुंचे ऋषभ ने यह सफर 9 घंटे 20 मिनट तय किया वह सायं 5 बजकर 20 मिनट में और पारस वीर ने यह सफर करीब 9 घंटे 29 मिनट में तय किया वह 5 बजकर 29 मिनट में व उनके पिता त्रिलोक सिंह रावत ने यह सफर 9 घंटे 45 मिनट में पूरा किया, वह सायं 5 बजकर 45 मिनट में कंडीसौड़ पहुंचे।
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