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गांव वाले उड़ाते थे मजाक, आज बन गई कीवी क्वीन; पढ़िए पूरी खबर

सीता देवी ने विदेशी फल कीवी की खेती शुरू की तो लोगों ने उनका मजाक उड़ाया लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने फैसले पर अडिग रहकर खेतों में पसीना बहाया।

By Edited By: Updated: Tue, 07 Jan 2020 08:33 PM (IST)
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गांव वाले उड़ाते थे मजाक, आज बन गई कीवी क्वीन; पढ़िए पूरी खबर
नई टिहरी, अनुराग उनियाल। परंपरागत फसलों वाले क्षेत्र में जब सीता देवी ने विदेशी फल कहे जाने वाले कीवी की खेती शुरू की तो लोगों ने उनका मजाक उड़ाया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने फैसले पर अडिग रहकर जमकर खेतों में पसीना बहाया। मेहनत रंग लाई और सीता देवी बन गई कीवी क्वीन। उद्यान विभाग ने मार्च 2020 में उनके बगीचे में एक क्‍विंटल कीवी का उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

नरेंद्रनगर ब्लॉक के दुवाकोटी गांव निवासी सीता देवी कुछ समय से जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान होता देख सोचती थी कि अब खेती करने में फायदा नहीं है, लेकिन परिवार के आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे कि खेती करना छोड़ दें। इसी बीच वर्ष 2018 में उद्यान विभाग की कीवी को प्रोत्साहन देने की योजना जानकारी सीता देवी को मिली तो उन्होंने कीवी की खेती करने का निर्णय लिया। विभाग की ओर से कीवी फसल उत्पादन का प्रशिक्षण लेने के लिए उन्हें हिमाचल प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। कीवी की खेती करने के उनके इस सपने पर गांव वालों ने उनका मजाक उड़ाया।

सीता देवी बताती हैं कि उन्हें तानें दिए जाने लगे। किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया, लेकिन लोगों के तानों ने उनके अंदर इस कदर हिम्मत भर दी कि उन्होंने कीवी के पौधों की अपने बच्चों की तरह देखभाल की। उनके पति राजेंद्र सिंह व दोनों बच्चों विकास और राहुल ने भी उनके इस काम में पूरी मदद की। जिसकी बदौलत एक साल में बगीचा तैयार हो गया। 

बोले अधिकारी

डॉ. डीके तिवारी (जिला उद्यान अधिकारी टिहरी) का कहना है कि सीता देवी जिले की पहली कीवी किसान हैं। उन्होंने विभागीय सहयोग से मेहनत की और उनका दुवाकोटी में बगीचा बनकर तैयार हो गया है। इस वर्ष मार्च में उनके बगीचे से एक क्‍विंटल कीवी का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। 

 

45 लोगों में पहले नंबर पर सीता 

उद्यान विभाग ने वर्ष 2018 में जिले के 45 काश्तकारों को कीवी के पौधे बगीचा लगाने के लिए वितरित किए थे। इन 45 लोगों में से सीता देवी ने सबसे बढ़ि‍या परिणाम दिया और उनके सभी पौधे जीवित बचे। कई काश्तकारों के कीवी के पौधे लगाने के कुछ समय बाद ही देखरेख के अभाव में सूख गए। सीता देवी के हौंसले को देख राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका परियोजना से भी उन्हें सहयोग मिला। जिसमें सिंचाई के लिए 15 हजार लीटर पानी भंडारण क्षमता के टैंक निर्माण कराया गया। परियोजना प्रबंधक हीराबल्लभ पंत ने बताया कि सीता देवी की सफलता की कहानी अन्य काश्तकारों के लिए भी प्रेरणा का काम कर रही है।

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दूसरों के लिए बनीं नजीर 

कीवी उत्पादन में सफलता प्राप्त करने वाली महिला काश्तकार सीता देवी आज क्षेत्र के अन्य किसानों को भी कीवी उत्पादन का प्रशिक्षण दे रही हैं। जिसमें फसल के लिए बगीचा तैयार करने से लेकर पौधों की उचित देखभाल और अन्य जरूरी बातें शामिल होती है। उनकी सफलता को देखकर अन्य किसान भी परंपरागत फसलों के स्थान पर नगदी फसलें और फल उत्पादन को महत्व देने लगे हैं।

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