Joshimath Sinking: जोशीमठ की तरह ही दरारों के दर्द से कराह रहे उत्तराखंड के कई गांव, पढ़ें खास रिपोर्ट
Joshimath Sinking जोशीमठ में भूधंसाव और घरों में दरारें आने से वहां के निवासी राहत कैंपों में हैं। इसी तरह उत्तराखंड के कई गांव दरारों के दर्द से कराह रहे हैं। ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर बनी सुरंग के ऊपर भूधंसाव से मठियाण गांव के कई मकानों में दरार आई है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 13 Jan 2023 11:38 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: Joshimath Sinking: बदरीनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल जोशीमठ में भूधंसाव और घरों में दरारें आने से वहां के निवासी राहत कैंपों में हैं। इसी तरह उत्तराखंड के कई गांव दरारों के दर्द से कराह रहे हैं।
इसी क्रम में टिहरी जिले में बांध प्रभावित भिलंगना और भागीरथी क्षेत्र के 16 गांवों के निवासियों की चिंता भी बढ़ने लगी है। भट कंडा, लुणेठा और पिपोलाखास गांव में तो इन दिनों फिर से दरारें गहरी होने लगी हैं। वहीं टिहरी जिले में ही ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर बनी सुरंग के ऊपर भूधंसाव से मठियाण गांव के कई मकानों में दरारें पड़ने से वो रहने लायक नहीं रहे।
उधर, चमोली जिले के कर्णप्रयाग में भी लगभग 60 घरों में दरारें आने के बाद तहसील प्रशासन ने आठ भवनों को रहने लायक नहीं बताते हुए परिवारों को रैन-बसेरे में शिफ्ट कर दिया है। वहीं, रुद्रप्रयाग जिले में गुप्तकाशी के पास सेमी भैसारी गांव पूरी तरह भूधंसाव की चपेट में है। यहां आवासीय भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने से प्रभावित घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर रहने को मजबूर हैं।
44 गांवों के भूगर्भीय सर्वेक्षण में 17 गांवों निकले संवेदनशील
वर्ष 2010 में टिहरी झील के जलस्तर में भारी वृद्धि होने से जलस्तर आरएल 830 से ऊपर पहुंच गया था। इसके बाद भागीरथी व भिलंगना के कई गांवों में भूस्खलन सक्रिय होने के साथ ही भूमि और मकानों में दरारें आ गई थी। इसके बाद 44 गांवों के भूगर्भीय सर्वेक्षण में 17 गांवों को संवेदनशील मानते हुए तुरंत हटाने की सिफारिश की गई थी। ग्रामीणों के आंदोलन के बाद वर्ष 2021 में विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की गई।
भटकंडा गांव के पूर्व प्रधान प्रदीप भट्ट बताते हैं, वर्तमान में 415 प्रभावित परिवारों में से करीब 200 परिवारों का 50 प्रतिशत भुगतान हुआ है, जबकि अन्य परिवारों को कुछ नहीं मिला।
वहीं टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा कहते हैं कि वर्तमान में जोशीमठ की जो स्थिति है, 2010 के बाद से भिलंगना और भागीरथी क्षेत्र के गांवों की भी वहीं स्थिति है। इससे पहले कि कोई अनहोनी हो ग्रामीणों का विस्थापन होना चाहिए।
यह भी पढ़ें: जोशीमठ में क्यों हो रहा भूधंसाव? 1976 से आई हर रिपोर्ट में जताई खतरे की आशंका, लेकिन नहीं हुआ अमलवहीं ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर चंबा बाजार के ठीक नीचे बाईपास बनाने के लिए जनवरी 2019 में 440 मीटर लंबी भूमिगत सुरंग का निर्माण शुरू हुआ। खोदाई शुरू होते ही सुरंग के ठीक ऊपर मठियाण गांव के खेतों में दरार पड़ गई थी।
सुरंग की खोदाई आगे बढ़ने के साथ ही कई आवासीय भवनों में भी दरारें पड़ने लगी। प्रभावित चंडी प्रसाद कोठियाल बताते हैं, ग्रामीणों के धरना-प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने सुरक्षात्मक उपाय का लिखित आश्वासन दिया था। जांच टीमों और भूविज्ञानियों की टीमों ने भी मौका-मुआयना किया। लेकिन कुछ नहीं हुआ।टिहरी के जिलाधिकारी सौरव गहरवार ने बताया कि पिपोला खास और भटकंडा गांव के भूगर्भीय सर्वे के आदेश दिए गए हैं। हालांकि चंबा में मकानों में आई दरारें पुरानी हैं, लेकिन वहां भी सर्वे कराया जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी।
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