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पैंतीस साल से डामरीकरण का इंतजार, कच्ची सड़कों पर हो रहा जानलेवा सफर

गजा तमियार मोटर मार्ग को वर्षों से डामरीकरण का इंतजार है। ये मार्ग जब से बना है तब से उसका डामरीकरण नहीं हो पाया है।

By Edited By: Updated: Fri, 05 Apr 2019 02:51 PM (IST)
पैंतीस साल से डामरीकरण का इंतजार, कच्ची सड़कों पर हो रहा जानलेवा सफर
चंबा, जेएनएन। सरकार ने सड़कों की दशा सुधारने के दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही है। अब गजा-तमियार मोटर मार्ग को ही देख लीजिए जो बनने के बाद से डामरीकरण के इंतजार में है। बदहाल कच्ची सड़क में वाहनों की आवाजाही में परेशानी हो रही है।

नगर क्षेत्र गजा और दूरस्थ के एक दर्जन से अधिक गांवों को जोड़ने वाले गजा-तमियार मोटर मार्ग को वर्षों से डामरीकरण का इंतजार है। सरकार सड़क पक्कीकरण के दावे तो बहुत कर रही है, लेकिन गजा-तमियार मोटर मार्ग जब से बना है तब से उसका डामरीकरण नहीं हो पाया है। इस कारण आज भी उबड़-खाबड़ मार्ग पर वाहनों की आवाजाही हो रही है। इससे वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और लोगों को वाहन में सफर करते समय हिचकोले खाने पड़ते हैं। ग्रामीण लंबे समय से मार्ग के डामरीकरण की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

बताते चलें कि ये मार्ग पहले वन विभाग के अधीन था और यह पैंतीस साल से अधिक पुराना मार्ग है। करीब आठ साल पूर्व यह लोक निर्माण विभाग के अधीन हुआ और उसके बाद वर्ष 2015 के शुरूआत में इस मार्ग के चौड़ीकरण व डामरीकरण के लिए करीब साढ़े चार करोड़ की धनराशि स्वीकृति हुई और उसी वर्ष सितंबर माह में मार्ग का विधिवत शिलान्यास भी किया गया। लेकिन शिलान्यास होने के बाद भी मार्ग की स्थिति जस की तस है उसका डामरीकरण अभी तक नही हो पाया है। जिससे क्षेत्र के लोगों में विभाग के प्रति रोष है।

इस मार्ग के ठीक बनने से गजा व तमियार के अलावा चंबा व नरेंद्रनगर प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांव की करीब बीस हजार की आबादी को सुविधा मिलेगी। सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश प्रसाद उनियाल, मान सिंह चौहान आदि का कहना है कि लोक निर्माण विभाग इस मामले में लापरवाह बना हुआ है। इसलिए सड़क का डामरीकरण नहीं हो पाया है। डामरीकरण नहीं होने से मार्ग जोखिम भरा बना है।

लोकनिर्माण विभाग नरेन्द्रनगर के सहायक अभियंता आरके सिन्हा गजा-तमियार मोटर मार्ग की उस समय की स्वीकृति निरस्त हो गई थी। अब मार्ग के डामरीकरण के लिए नए सिरे से करीब साढ़े पांच करोड़ का प्राक्कलन बनाकर शासन को स्वीकृति के लिए भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही डामरीकरण का कार्य किया जाएगा।

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