घायल आवारा पशुओं का सहारा बनीं ये महिला अफसर, उनकी नेकदिली देख आप भी करेंगे सलाम
नई टिहरी शहर में बतौर पुलिस क्षेत्राधिकारी तैनात जूही मनराल अपनी ड्यूटी निभाने के साथ ही सड़क पर बीमार और घायल अवस्था में घूमने वाले आवारा पशुओं की भी सेवा कर रही हैं। वह बताती हैं कि यह क्रम पिछले कई वर्षों से नियमित चल रहा है।
By Edited By: Updated: Thu, 22 Oct 2020 06:08 PM (IST)
नई टिहरी, जेएनएन। नेक काम की शुरुआत हमेशा छोटे से ही होती है और कभी-कभी यह छोटा सा प्रयास आगे चलकर सेवा कार्य का बड़ा आकार ले लेता है। बात अगर पुलिस प्रशासन की हो तो दिमाग में पहला ख्याल किसी कानूनी मदद का ही आता है, लेकिन जनपद टिहरी गढ़वाल के नई टिहरी शहर में बतौर पुलिस क्षेत्राधिकारी तैनात जूही मनराल अपनी ड्यूटी निभाने के साथ ही सड़क पर बीमार और घायल अवस्था में घूमने वाले आवारा पशुओं की भी सेवा कर रही हैं। वह बताती हैं कि यह क्रम पिछले कई वर्षों से नियमित चल रहा है।
सीओ टिहरी जूही मनराल का यह प्रयास शहरवासियों के साथ ही उनके साथ कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को भी प्रेरणा देने का काम कर रहा है, जो सड़कों पर जीवन बिताने वाले बेजुबान जानवरों के लिए मरहम साबित हो रहा है। जूही मनराल को सड़क पर कोई घायल पशु नजर आता है तो उनसे रहा नहीं जाता और वह उसे अपने घर ले आती हैं। कुछ दिनों की देखभाल के बाद जब पशु ठीक हो जाता है तो उसे वापस छोड़ दिया जाता है। फिलहाल, जूही के घर पर सड़क से उठाकर लाए गए आठ चिड़िया और दो कुत्ते हैं।
वाहन में पशुओं के लिए रखती हैं खाना और दवाएं
सड़क पर बेबस और बीमार पालतू पशु दिख जाए तो सीओ टिहरी जूही मनराल की खाकी के पीछे का पशु प्रेम जाग उठता है। हर वक्त सीओ के वाहन में पशुओं के लिए खाने का सामान और दवाएं भी होती हैं। सड़क से बीमार और घायल कुत्ते, बिल्ली, गाय और चिड़ियाओं को उठाकर घर लाना और उनकी देखभाल करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। बीते जनवरी में भी नई टिहरी में भारी बर्फबारी के दौरान सड़कों से उठाकर चार कुत्ते के पिल्लों को सीओ ने अपने घर पर आश्रय दिया और मौसम सही होने के बाद ही सड़क पर छोड़ा। कुछ दिन पहले भी नरेंद्रनगर के पास सड़क पर घूम रहे पिल्ले को सुरक्षित अपने देहरादून वाले घर में ले गई।
पिता से मिली पशु सेवा की प्रेरणा
माता-पिता से मिले अच्छे संस्कार ही जीवन में सफलता का मार्ग तय करते हैं। सीओ जूही मनराल बताती हैं कि उनके पिता स्व. डॉ. एचजीएस मनराल चिकित्सक थे और बचपन से सड़कों पर घूमने वाले पशुओं के प्रति उनका प्रेम था। ऐसे में उन्हें भी बचपन से ही पशुओं की मदद करने की सीख मिली। अब उनके पिता नहीं हैं। लेकिन, उनकी मां अंजू मनराल देहरादून में उनके घर में आठ चिड़िया और सड़क से उठाकर लाए दो कुत्तों की देखभाल कर रही हैं।
पार्क बनाने की है योजना
सीओ जूही ने बताया कि सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशुओं की देखभाल के लिए भविष्य में अपने कुछ साथियों के साथ एक पार्क बनाने की योजना है। इसमें बीमार और घायल पशुओं का उपचार किया जाएगा। इसमें उनके कुछ साथी हैं जो अपने स्तर पर अभी भी इस काम को कर रहे हैं। वह कहती हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को इस काम के लिए आगे आना होगा।
दुकानों से लेकर आती हैं बीमार चिड़िया
बर्ड शॉप पर पिंजरे में रखी कई चिड़िया घायल और अस्वस्थ होती हैं, लेकिन उनके उपचार पर ध्यान नहीं दिया जाता। सीओ जूही ने बताया कि बर्ड शॉप पर पिंजरे में रखी कई घायल और बीमार चिड़िया को कोई नहीं लेता है। लेकिन, वह दुकान से घायल और बीमार चिड़ियाओं को अपने घर लाती हैं और घर पर उनका इलाज करती हैं। उन्हें इस काम से बड़ा सुकून मिलता है।
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