रुद्रपुर में अंतिम संस्कार के बाद युवक का हुआ पुनर्जन्म, फिर हिंदू रीति-रिवाज से कराया गया नामकरण; जानिए पूरा मामला
धर्मानंद भट्ट के पुत्र नवीन चंद्र भट्ट की परिवार से अनबन थी जिससे उसकी पत्नी अपने बच्चों के साथ लखनऊ में रहती थी। नवीन भी रुद्रपुर में छोटा होटल चलाने वाले भाई केशव दत्त भट्ट के पास काम करने चला गया। वह काफी समय से भाई के पास भी नहीं गया। इस कारण स्वजन को नवीन का पता-ठिकाना भी मालूम नहीं था। इस बीच पुलिस से सूचना मिलने पर स्वजन...
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Sat, 02 Dec 2023 03:06 PM (IST)
जागरण संवाददाता, खटीमा। Khatima Latest News: श्रीपुर बिचुवा गांव में स्वजन ने मरा समझकर जिसका अंतिम संस्कार कर दिया था वह बुधवार को जीवित मिला। गुरुवार को पुरोहित बुलाकर फिर से नामकरण, जनेऊ व विवाह आदि संस्कार कराए। युवक का नाम नवीन के बजाय अब नारायण रखा गया है।
सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी से 24 नवंबर को लावारिस व्यक्ति की मौत की सूचना पुलिस को मिली। मृतक के जेब से मिली फोटो और कोरोना काल के समय का फ्री इंप्लायमेंट मेडिकल चेकअप फार्म देखकर पुलिस ने श्रीपुर बिचुवा निवासी धर्मानंद भट्ट से संपर्क किया और उन्हें घटना की जानकारी दी।
अनबन के चलते लखनऊ में रहता था परिवार
दरअसल, धर्मानंद भट्ट के पुत्र नवीन चंद्र भट्ट की परिवार से अनबन थी, जिस कारण उसकी पत्नी अपने बच्चों के साथ लखनऊ में रहती थी। नवीन भी रुद्रपुर में छोटा होटल चलाने वाले भाई केशव दत्त भट्ट के पास काम करने चला गया। वह काफी समय से भाई के पास भी नहीं गया। इस कारण स्वजन को नवीन का पता-ठिकाना भी मालूम नहीं था।इस बीच पुलिस से सूचना मिलने पर स्वजन हल्द्वानी पहुंचे, जहां उन्होंने शिनाख्त नवीन भट्ट के रूप में की और शव लेकर घर आ गए। यहां उन्होंने शव का अंतिम संस्कार किया और क्रिया पर बैठ गए। बुधवार को केशव दत्त भट्ट को उसके रुद्रपुर स्थित परिचित ने फोन कर नवीन भट्ट के जीवित होने की सूचना दी। इससे स्वजन में खुशी की लहर दौड़ गई। वह पुलिस को सूचना देने के बाद रुद्रपुर से नवीन को ले आए।
नवीन का नामकरण संस्कार कर रखा गया नया नाम
वहीं, गुरुवार को गांव के वरिष्ठ लोगों के साथ स्वजन ने मंत्रणा कर यह तय किया कि नवीन का पुनर्जन्म संस्कार किया जाएगा। हालांकि बच्चों की तरफ से इस पूरे मामले को लेकर आपत्ति भी की गई लेकिन गांव के बुजुर्गों द्वारा परंपरा का हवाला देते हुए समझाने के बाद वह मान गए।इसके बाद गांव के पुरोहित आनंद बल्लभ जोशी को बुलाकर सबसे पहले नवीन का नामकरण संस्कार कर नारायण दत्त भट्ट नाम रखा गया। उसके बाद प्रतीकात्मक तौर पर उसका जनेऊ और विवाह संस्कार भी किया गया, जिसके तहत पत्नी का सुहागन रूप वापस लौटाया गया।
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