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Bangladesh में फंसा उत्‍तराखंड का परिवार, कहा- दंगाइयों ने फूंक डाली दुकान; बेहद भयावह हैं हालात

Bangladesh Crisis बांग्लादेश में तख्तापलट के साथ हुई हिंसा की पीड़ा उत्‍तराखंड के रुद्रपुर में रह रहे बंगाली समुदाय के लोगों में भी हैं। संतोष सरकार पुत्र वासुदेव सरकार 14 वर्ष की आयु में अपने चार भाइयों संग उत्तराखंड आ गए थे। बांग्लादेश में उनके पैतृक आवास से महज आठ किलोमीटर दूर दंगाई पहुंच चुके हैं। बाजार में घुसकर भतीजे की दो हार्डवेयर की दुकानों को फूंक दिया है।

By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 08 Aug 2024 10:58 AM (IST)
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Bangladesh Crisis: दो वर्ष पूर्व पैतृक गांव गया था संतोष, तब सब कुछ था सामान्य
जासं रुद्रपुर। Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में तख्तापलट के साथ हुई हिंसा की पीड़ा उत्‍तराखंड के रुद्रपुर में रह रहे बंगाली समुदाय के लोगों में भी हैं। यहां के कई लोगों के रिश्तेदार बांग्लादेश में रहते हैं। उनकी सुरक्षा की चिंता सबको सता रही है।

आदर्श इंदिरा बंगाली कालोनी रुद्रपुर के संतोष सरकार ने बताया कि बांग्लादेश में उनके पैतृक आवास से महज आठ किलोमीटर दूर दंगाई पहुंच चुके हैं। बाजार में घुसकर भतीजे की दो हार्डवेयर की दुकानों को फूंक दिया है। परिवार के सभी सदस्य सहमे हुए हैं। पूर्व में हुए युद्ध के दौरान वाली स्थिति फिर बन रही है। लोग वहां से भाग रहे हैं।

बड़े भाई अनिल सरकार बांग्लादेश में रहे

मूल रूप से ग्राम विष्णुपुर थाना कालीगांस जिला सतखोरा बांग्लादेश एवं हाल निवासी आदर्श इंदिरा बंगाली कालोनी के संतोष सरकार पुत्र वासुदेव सरकार 14 वर्ष की आयु में अपने चार भाइयों संग उत्तराखंड आ गए। जबकि दो भाई कोलकाता में बस गए।

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बड़े भाई अनिल सरकार बांग्लादेश यानी पैतृक गांव में रह गए। अनिल सरकार की मृत्यु के बाद उनके भतीजे वहां परिवार संग निवास करते हैं। इन दिनों बांगलादेश में तख्तापलट के बाद हिंसा चरम पर हैं। हिंदुओं को जिंदा जलाया जा रहा है।

दैनिक जागरण की टीम ने बुधवार को संतोष सरकार से बात की तो उनकी आंखें भर आईं। बोले-उनका भतीजा पैतृक आवास में रह रहा है। बड़े भाई अनिल की कालीगोंस बाजार में हार्डवेयर की दुकान थी। उसी व्यापार को भतीजों ने आगे बढ़ाया। बड़ा भतीजा ही पूरा व्यापार देखता है। जबकि दो अन्य भतीजे खेतीबाड़ी संभाल रहे हैं।

अभी दंगा सबसे अधिक उग्र

उन्होंने बताया कि घर से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर ढाका में अभी दंगा सबसे अधिक उग्र है। वहीं हार्डवेयर की दुकान भी है। भतीजा भी वहीं रहता था, लेकिन दंगाइयों ने उसकी दुकान फूंक दी। जिसके बाद भतीजा अब गांव आ चुका है। जहां खतरा बना हुआ है। जैसे-तैसे घरों में रह रहे हैं।

संतोष ने बताया कि वह दो वर्ष पहले पैतृक गांव गए थे। तब वहां सब कुछ सामान्य था। अब रात में अचानक आंख खुल रही है तो फिर पूरी रात चिंता में बीत रही है कि परिवार के लोग कैसे होंगे? यहां से फोन करने पर नहीं बात हो रही है। वहां से सिर्फ फोन आया है। बताया कि घर से आठ किलोमीटर दूर तक गोलियां चल रही है। दुकान फूंक रहे हैं। हिंदुओं को जिंदा जलाने तक का मामला पता चला है।

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