उत्तराखंड: किसानों के मुआवजे की राशि फर्जी हस्ताक्षर कर निकाले जाने का मामला चर्चाओं में, 13.51 करोड़ साफ
Farmers Compensation Withdrawal काशीपुर-सितारगंज एनएच-74 के चौड़ीकरण के दायरे में सैकड़ों किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। जिसका मुआवजा किसानों को दिया जा रहा है। मामले में बैंक ने चेक पर छपे डिजिट का मिलान किए बिना ही तीन फर्मों में 13.51 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिये। ट्रांसफर हुए रुपये राजस्थान चंडीगढ़ और मुंबई की दूसरी बैंक शाखाओं में ट्रांसफर हुए हैं।
अरविंद कुमार सिंह, रुद्रपुर। Farmers Compensation Withdrawal: किसानों के मुआवजे की करोड़ों की राशि फर्जी हस्ताक्षर कर निकाले जाने का मामला चर्चाओं में है। इसमें बैंक स्तर से लापरवाही देखने को मिल रही है।
बैंक ने चेक पर छपे डिजिट का मिलान किए बिना ही तीन फर्मों में 13.51 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिये। चेक के नीचे तीसरे भाग पर छह डिजिट होती है। जिसे रिजर्व बैंक आफ इंडिया रिप्रेजेंट करता है। मगर बैंक अधिकारी चेक पर छपे डिजिट को नहीं पकड़ सके। एसएलएओ के हस्ताक्षर को पहचानना तो बाद की बात थी।
खाते से करोड़ों रुपये निकले
इसी का नतीजा रहा कि कंपिटेंट अथारिटी एंड लैंड एक्विजीशन व भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के संयुक्त खाते से करोड़ों रुपये निकल गए। रुपये ट्रांसफर करने से पहले न तो खातेदार के मोबाइल पर फोन कर सत्यापन किया गया न ही ट्रांसफर हुए रुपये के मैसेजे गए। ट्रांसफर हुए रुपये राजस्थान, चंडीगढ़ और मुंबई की दूसरी बैंक शाखाओं में ट्रांसफर हुए हैं। यह सब बैंक के अफसरों की घोर लापरवाही उजागर को दर्शाता है।यह भी पढ़ें- उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत पर फिर भूस्खलन, लगातार बारिश बन रही आफत; 50 परिवारों ने छोड़ा अपना घर
अधिग्रहित की गई है सैकड़ों किसानों की जमीन
काशीपुर-सितारगंज एनएच-74 के चौड़ीकरण के दायरे में सैकड़ों किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है। काफी लोगों को मुआवजा दिया जा चुका है, कुछ किसानों का मुआवजा तकनीकी कारणों से रुका हुआ है। इंडसइंड बैंक में एनएचएआइ का खाता खुला है।किच्छा एसडीएम कौस्तुभ मिश्रा को विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी यानी एसएलएओ ऊधम सिंह नगर बनाया गया है। मिश्रा ही कंपिटेंट अथारिटी एंड लैंड एक्विजीशन यानी काला भी हैं। काला व एनएचएआइ के संयुक्त खाते से 28 व 31 अगस्त को 13.51 करोड़ रुपये फर्जी हस्ताक्षर व चेक के माध्यम से आरोपित ने निकाल लिए।हैरानी है कि दूसरे राज्यों की फर्मों के खाते में रुपये ट्रांसफर करते समय बैंक अधिकारी व कर्मचारयिों ने यह सोचने की जहमत नहीं उठाई कि उन्हें एसएलएओ के नाम से उपलब्ध कराए गए पत्र पर न तो तारीख लिखी गई थी, न ही पत्रांक संख्या। करोड़ों रुपये ट्रांसफर करते समय बैंक की एक नहीं, बल्कि कई लापरवाही उजागर हुई है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।इन फर्मों के खातों में हुए ट्रांसफर
आइसीआइसीआइ बैंक शाखा चंडीगढ़ नानकसर इंफ्रा नामक फर्म के खाते में 4.50 करोड़ रुपये, राजस्थान के जयपुर की सेंट्रल बैंक शाखा में केपीबी मरीन सर्विस के खाते में चार करोड़ 53 लाख 27 हजार सौ रुपये और मुंबई महराष्ट्र में एक्सिस बैंक शाखा में सांवरिया ट्रेडर्स नामक फर्म के खाते में चार करोड़ 47 लाख रुपये 56 हजार 300 रुपये ट्रांसफर हुए हैं। जिस दिन चेक लगाया गया उसी दिन ट्रांसफर कर दिया गया। यह भी पढ़ें- Uttarakhand Weather: आज देहरादून और नैनीताल में भारी वर्षा की चेतावनी, IMD ने जारी किया अलर्टलापरवाही -1
मुआवजा भेजने के लिए बैंक को किसानों की सूची भेजी जाती है। जिसमें किसान का नाम, गांव, अधिग्रहित जमीन का रकबा, बैंक खाता नंबर और मुआवजे की धनराशि दर्ज के साथ में चेक विभागीय कर्मचारी के हाथों से बैंक में भेजा जाता है। यदि एक किसान के चार गाटे की जमीन जाती है तो सभी गाटे का मुआवजा जोड़कर एक साथ किया जाता है। जबकि बैंक में फर्जी चेक के साथ लगाई सूची पर सिर्फ तीन फर्मों के नाम थे, उनके बैंक खाते दूसरे राज्यों में दिखाए गए हैं। प्रत्येक फर्म का पांच-पांच रकबा अलग-अलग दर्शाया गया था। एसएलएओ से भेजी जाने वाली सूची पर बैंक के अफसरों ने गौर नहीं किया गया।लापरवाही- 2
किसानों की सूची के साथ एक पत्र भेजा जाता है, उस पर पत्रांक नंबर और तारीख लिखी जाती है। उस पर सक्षम अधिकारी/विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी ऊधम सिंह नगर का हस्ताक्षर और मुहर होता है। हस्ताक्षर पर डाट लगा होता है। जबकि बैंक में फर्जी तरीके से जो किसानों की सूची लगाई गई थी, उस पर तारीख लिखी गई थी, न ही पत्रांक संख्या। सक्षम अधिकारी व एसएलएओ के बीच आब्लिक गायब था। ऊधम सिंह नगर के स्थान पर उधम सिंह नगर लिखा गया था। फर्जी सूची पर मुहर भी छोटी लगी है, इसे भी बैंक अफसर नहीं पकड़ सके। जबकि काला के सैकड़ों चेक के साथ किसानों की सूची इंडसइंड बैंक शाखा में भेजी जा चुकी है।लापरवाही-3
आरोपित की ओर से बैंक में जिन चेकों को लगाया गया था, उस पर अदा करें और रुपये के कालम में अलग-अलग पेन से लिखा गया है। चेक पर एसएलएओ का हस्ताक्षर में डाट लगा होता है, जबकि फर्जी हस्ताक्षर सामान्य तरीके से किये गये हैं। इसके बावजूद बैंक अफसर राइटिंग व एसएलएओ के हस्ताक्षर पकड़ नहीं सके।लापरवाही-4
इंडसइंड बैंक में आरोपितों ने जो फर्जी चेक लगाए हैं उनके तीसरे भाग पर छपे डिजिट में अंतर है। तीसरे भाग का डिजिट 001054 है, जबकि इस बैंक शाखा की ओर से काला को जारी चेक बुक पर यह डिजिट नंबर नहीं है।जब किसी के खाते से रुपये ट्रांसफर होते हैं तो चेक के नीचे तीसरे भाग में छपे डिजिट का मिलान लगाए गए चेक से किया जाता है। डिजिट में अंतर आने पर भी कैसे ट्रांसफर कर दिया गया। बैंक के अफसरों को अपनी बैंक शाखा के चेक पर छपे डिजिट का ज्ञान भी नहीं है।लापरवाही-5
खाते से रुपये ट्रांसफर करने से पहले खातेदार के मोबाइल पर फोन कर सत्यापन किया जाता है कि वास्तव में खातेदार ने चेक लगाया है या किसी और ने। यही नहीं, रुपये ट्रांसफर होते ही तत्काल खातेदार के बैंक में दर्ज मोबाइल नंबर पर मैसेज जाता है।मगर काला व एनएचएआइ के संयुक्त खाते से करीब साढ़े 13 करोड़ रुपये ट्रांसफर हो गए, मगर न तो सत्यापन किया गया न ही ट्रांसफर हुए रुपये का मैसेज गया। जो फर्जी चेक लगाया गया था, वह करीब दो माह पहले खाता फर्म के नाम खोला गया है, जबकि काला को जारी चेक पुराना है।लापरवाही- 6
एसएलएओ कार्यालय से जो पत्र बैंक को भेजा जाता है, वह क्रुर्तिदेव फांट में लिखा होता है, जबकि बैंक में जो पत्र लगाया गया था, वह मंगल फांट में लिखा हुआ था। पत्र के फार्मेट पर भी बैंक अफसरों की नजर नहीं गई। यही नहीं, काला की ओर से जो किसानों की सूची बैंक को भेजी जाती है।उस पर किसी को प्रतिलिपि नहीं की जाती है। जबकि बैंक में लगाई गई सूची पर जिलाधिकारी और परियोजना निदेशक एनएचएआइ को प्रतिलिपि की गई है। इसमें जिलाधिकारी को सूचनार्थ और परियोजना निदेशक को अग्रेतर कार्रवाई का भी जिक्र है।लापरवाही-7
एसएलएओ दफ्तर के डाक बाबू के माध्यम से आदेश की प्रतिलिपि, मुआवजा ट्रांसफर करने की किसानों की सूची व चेक बैंक में जमा किया जाता है, उसकी रिसीविंग लेकर आता है। जबकि ऐसा किसी कर्मचारी या डाक बाबू के माध्यम से कोई पत्र बैंक से रिसीविंग नहीं उपलब्ध कराई गई।इस खेल में किसी बड़े गिरोह होने की आशंका
बैंक शाखा से काला व एनएचएआइ के संयुक्त खाते से फर्जी तरीके से 13.51 करोड़ रुपये दूसरी फर्मों के खातों में ट्रांसफर हो गए। इसके अलावा बैंक में मेरठ, अमृतसर के भी चेक लगाए गए हैं। हालांकि मामला सामने आने पर इन चेकों के रुपये ट्रांसफर नहीं हो पाए। इस खेल में बड़े गिरोह होने की आशंका जताई जा रही है।इस गिरोह के कई राज्यों में विभिन्न फर्मों के नाम पर खाते खोले गए हैं। पहले मोटी रकम फर्जी तरीके से ट्रांसफर कराते हैं, फिर विभिन्न खातों में इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से ट्रांसफर कर लेते हैं। जिसे पकड़ना आसान नहीं है।प्रिटिंग प्रेस की ओर भी घूम सकती जांच
बैंक के हेड आफिस से चेक बुक जारी होती है। बैंक की चेकबुक की सामान्य प्रिटिंग प्रेस में छपाई मुश्किल है। इसमें ऐसी प्रिटिंग प्रेस के लोग भी शामिल हो सकते हैं, जो चेक बुक की छपाई में एक्सपर्ट होंगे। इस खेल में प्रिटिंग प्रेस की बड़ी भूमिका हो सकती है। क्योंकि चेक के लिए स्टैंडर्ड कागज का प्रयोग किया जाता है, हालांकि यह जांच का विषय है।एसबीआइ चित्रकूट का खाता फ्रीज
जिला प्रशासन, पुलिस व बैंक अधिकारियों की टीम जांच में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक इंडसइंड बैंक से जो फर्जी तरीके से रुपये निकाले गए थे, इनमें एक करोड़ रुपये चित्रकूट में एसबीआइ शाखा में ट्रांसफर हुए हैं। हालांकि जांच कराने पर पता चला है कि चित्रकूट की एसबीआइ शाखा में जिस खाते में रुपये ट्रांसफर हुए हैं, उनमें करीब पांच करोड़ रुपये हैं, जिसे फ्रीज करा दिया गया है।जान लें चेक की कुंडली
- चेक पर कुल 23 डिजिट होता है। जो चार हिस्सों में लिखे होते हैं।
- पहली छह डिजिट चेक की संख्या होती है।
- दूसरे हिस्से में नौ डिजिट होते हैं, वह मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकग्नाइजेशन यानी एमआइसीआरकोड होता है। यह डिजिट तीन अलग-अलग भागों में होता है। इससे चेक जारी होने वाले शहर, बैंक और ब्रांच की जानकारी मिल जाती है।
- तीसरे भाग में छह डिजिट होता है। यह बताता है कि खाता आरबीआइ की ओर से मेंटेन किया जाता है। जब आरबीआइ में प्रोसेसिंग के लिए जाता है तो यह डिजिट प्रोसेसिंग में मदद करता है।
- आखिरी के दो डिजिट ट्रांजिक्शन कोड होते हैं। इससे पता चला कि खाता करंट या सेविंग अकाउंट है।
अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा दिया गया है। रुपये की रिकवरी के लिए तेजी से कार्रवाई की जा रही है।
- कौस्तुभ मिश्रा, विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी यूएस नगर