पति की हत्या के बाद पत्नी ने नहीं मारी हार, आठ महीने बाद पुलिस ने दर्ज किया केस; आखिरकार पकड़ में आया कातिल
Murder in Kashipur पति की हत्या के मामले में कोतवाली पुलिस की ढीली जांच के बाद भी मृतक की पत्नी ने हार नहीं मानी। वह अदालत तक गई। बीते साल 22 मार्च को अदालत ने तत्कालीन कोतवाली प्रभारी निरीक्षक को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। पीड़िता की गुहार पर एसएसपी ने मामले की जांच तत्कालीन कुंडा थाना प्रभारी दिनेश सिंह फर्त्याल को सौंपी थी।
खेमराज वर्मा, जागरण
काशीपुर। Murder in Kashipur: पति की हत्या के मामले में कोतवाली पुलिस की ढीली जांच के बाद भी मृतक की पत्नी ने हार नहीं मानी। हत्यारे पर कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर वह दर-दर भटकती रही। कोतवाली पुलिस के मुकदमा दर्ज नहीं करने पर वह अदालत तक गई।
इसके बाद भी फाइनल रिपोर्ट लगाने में पुलिस सुस्त रही तो उसकी गुहार पर एसएसपी ने मामले की जांच कुंडा थाना पुलिस निरीक्षक को स्थानांतरित की। इस पर कुंडा थाना पुलिस दो साल बाद राजफाश में सफल रही।
कोतवाली थाना क्षेत्र पांडेय कालोनी निवासी जगदीश उर्फ साधू पुत्र बीरबल के सिर की पैराइटल बोन टूटने से मौके पर ही मौत हो गई थी।
मृतक की पत्नी दुर्गावती की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया तो उसने अदालत में 156 (3) दाखिल किया। इस पर आठ महीने बाद बीते साल 22 मार्च को अदालत ने तत्कालीन कोतवाली प्रभारी निरीक्षक को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
कोतवाली पुलिस ने जांच में ढील बरती तो पीड़िता की गुहार पर एसएसपी ने मामले की जांच तत्कालीन कुंडा थाना प्रभारी दिनेश सिंह फर्त्याल को सौंपी थी। उन्होंने सीएफएसएल दिल्ली से संदिग्ध व्यक्ति की पालीग्राफ टेस्ट एवं फारेन्सिक विधि विज्ञान से जांच कराई थी।
पीड़िता को मिल रही है धमकी
मृतक साधू की पत्नी ने बताया कि उनके तीन बेटियां और एक बेटा है। जैसे-तैसे वह मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं। अब पुलिस की कार्रवाई से आरोपित उन्हें धमकी दे रहे हैं। बताया कि उन्हें बच्चों के साथ अनहोनी का डर सता रहा है।
जब किसी के सिर में ज्यादा चोट लगती है तो उसकी पैराइटल बोन टूट जाती है। ऐसे में कोमा में जाने से उसकी मौत हो जाती है। ऐसा ही जगदीश उर्फ साधू की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया था।
- डा. अमरजीत साहनी, एलडी भट्ट राजकीय अस्पताल, काशीपुर
साधू हत्याकांड में एफआर लगाना तो आसान था, लेकिन सिर में चोट के निशान को गंभीरता से लेकर बारीकियों से जांच करना कठिन काम था। इसमें जांच अधिकारी एसआइ होशियार सिंह ने मानवता व गंभीरता दर्शा कार्य किया है।