Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

चीनी मिल से दूर एथनॉल प्लांट स्थापित करने पर उठे सवाल

चीनी मिल से दूर एथनॉल प्लांट स्थापित करने को लेकर कई सवाल उठ गए हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 23 Aug 2020 11:44 PM (IST)
Hero Image
चीनी मिल से दूर एथनॉल प्लांट स्थापित करने पर उठे सवाल

संवाद सहयोगी, बाजपुर : सहकारिता क्षेत्र की प्रथम सहकारी चीनी मिल बाजपुर की सह इकाई आसवानी को संजीवनी देने के लिए एक दशक से आसवानी परिसर में ही एथनॉल प्लांट स्थापित करने की मांग मुखर होती रही है। इसी सरकार में गन्ना एवं वित्त मंत्री रहे स्व. प्रकाश पंत द्वारा इसकी पूरी डीपीआर भी तैयार करवाई गई थी, लेकिन शासन द्वारा मंजूर दूसरी जगह दिए जाने से जहां चीनी मिल कर्मी मायूस हैं, वहीं प्रस्तावित क्षेत्र को लेकर लोग आंदोलित हैं।

प्रदेश सरकार द्वारा बाजपुर चीनी मिल के स्वामित्व वाली राजस्व अभिलेखों में दर्ज ग्राम मुडिया पिस्तौर खाता संख्या-94 के खसरा संख्या-410/2 रकबा-3.844 हेक्टेयर, खसरा संख्या-411/2 रकबा-4.047 हेक्टेयर, कुल भूमि रकबा-8.095 हेक्टेयर (19.9978 एकड़) भूमि पर 100 केएलपीडी क्षमता के दि उत्तराखंड एथनॉल प्लांट की स्थापना हेतु चयनित करते हुए 13 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इस आशय का एक बोर्ड भी लगाया गया है। इस बोर्ड के लगने के बाद लोगों द्वारा भूमि के चयन पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है। कृषक बल्देव सिंह बताते हैं कि यह भूमि सीलिग में निकली थी, जो किसानों की मांग पर विकास पुरुष स्व. नारायण दत्त तिवारी द्वारा गन्ना शोध की नई प्रजातियों के लिए दी गई थी। जिसे चीनी मिल ठेके पर देकर लाखों रुपये अíजत कर रही है। जबकि जो कार्य यहां होना चाहिए वह नहीं हो रहा है। किसान हरमीत सिंह ने बताया कि यह प्लांट आसवानी व उसके आस-पास के क्षेत्र में ही स्थापित होना चाहिए। ऐसा होने से शीरा ढुलाई का करोड़ों रुपया बचेगा। ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्ढा साहिब ग्रंथीसभा के अध्यक्ष ज्ञानी रणधीर सिंह ने कहा कि प्रस्तावित इस जमीन के ठीक उत्तर दिशा में मात्र 16 फीट की दूरी पर राधाकृष्ण सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बराबर में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित है। प्रस्तावित प्लांट के नजदीक में ही मंदिर तथा हजरत दादा मियां सईद साहब की जारत व बहादुरगंज गुरुद्वारा साहिब आदि धाíमक स्थल स्थापित हैं। जिनमें श्रद्धालुओं का आना-जाना दिनभर लगा रहता है। सभी के द्वारा यह प्लांट चीनी मिल में ही लगाने तथा इस भूमि में कृषि क्षेत्र से जुड़ी शिक्षण संस्थाओं को खोले जाने की मांग की गई।