Uttarakhand Flood: उत्तराखंड में बाढ़ जैसे हालात, खटीमा में तीन दिन से छत पर बैठे परिवार को किया रेस्क्यू; गौला में डूबे रेलवे के काम
Uttarakhand Flood सीमांत क्षेत्र में मूसलधार बारिश का पानी घर में घुसने से नौसर के इसाई फार्म का एक परिवार तीन दिनों तक छत पर बैठा रहा। मानसून की शुरुआती बारिश व गौला की बाढ़ ने रेलवे के काम को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। गौला की बाढ़ का बहाव रेलवे पटरी की ओर हो चुका है। जिस कारण काम पूरी तरह से ठप हो गया है।
जागरण संवाददाता, खटीमा । Uttarakhand Flood: सीमांत क्षेत्र में मूसलधार बारिश का पानी घर में घुसने से नौसर के इसाई फार्म का एक परिवार तीन दिनों तक छत पर बैठा रहा। जिसे एनडीआरएफ व सिविल पुलिस के जवानों ने नाव से रेस्क्यू कर निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
तीन दिन तक हुई मूसलधार बारिश का पानी नौसर के इसाई फार्म निवासी बुजुर्ग महिला बशिरा के घर में घुस गया, जिसके बाद उन्होंने परिवार के अन्य लोगों निर्मला, अंकित मसीह व 12 वर्षीय अंश मसीह को लेकर छत पर शरण ले ली। इसके बाद यह परिवार छत पर ही बैठा रहा।
अपने रिश्तेदारों के घर चले गए
आसपास कोई मकान नहीं होने के कारण किसी को भी इसकी जानकारी नहीं हो पाई। मंगलवार को ब्लाक प्रमुख रंजीत सिंह नामधारी को जब इसका पता चला तो उन्होंने कोतवाल मनोहर सिंह दसौनी को इसकी सूचना दी। जिस पर कोतवाल एनडीआरएफ व सिविल पुलिस के खीम गिरि, किशोर कुमार के साथ नाव से मौके पर पहुंचे एवं राहत-बचाव कार्य शुरू किया। उन्होंने छत में फंसे चारों लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
कोतवाल ने बताया कि सभी लोग गांव में ही अपने रिश्तेदारों के घर चले गए। इधर, मंगलवार को टीम ने दाह फार्म में फंसे 30 लोगों को भी रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया।
फंसे लोगों को निकालने में जुटी रही एनडीआरएफ की टीमें
खटीमा क्षेत्र में मूसलधार बारिश की सूचना पर एनडीआरएफ की टीम तत्काल मौके पर पहुंची, जहां उन्होंने एनडीआरएफ के सेनानी सुदेश कुमार दराल के मार्गदर्शन में नौसर इसाई फार्म व दाहफार्म में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला।
उनकी एक टीम ने देवीपुरा में भी रेस्क्यू अभियान चलाया। सोमवार को चार टीमें व मंगलवार को दो टीमों में शामिल 120 जवान रेस्क्यू अभियान में जुटे रहे। सहायक सेनानी अजय पंत व निरीक्षक सपन कुमार दुबे के नेतृत्व में रेस्क्यू किए गए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी एनडीआरएफ जवानों के कार्य की प्रशंसा की।
स्वर्णिका ज्वेलर ने की प्रभावितों की मदद
स्वर्णिका ज्वेलर की ओर से आपदा प्रभावितों को राहत सामग्री बांटी गई। स्वर्णिका की टीम नाव में बैठकर पकड़िया पहुंची, जहां उन्होंने प्रभावितों को खाद्य सामग्री व पेयजल बांटा। मदद करने वालों में स्वर्णिका ज्वेलर के एमडी नागेंद्र भट्ट, मैनेजर विक्रम मेहता आदि शामिल रहे।
गौला की बाढ़ में धंसे ब्लाक, 15 करोड़ की हिली बुनियाद
हल्द्वानी। मानसून की शुरुआती बारिश व गौला की बाढ़ ने रेलवे के काम को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। बाढ़ के संग सीमेंट व कंक्रीट के ब्लाक गौला नदी की ओर धसने लगे हैं और दावे खोखले साबित हो रहे हैं। गौला की बाढ़ का बहाव रेलवे पटरी की ओर हो चुका है। जिस कारण काम पूरी तरह से ठप हो गया है।
अब अपनी नाकामी को छुपाने व बाढ़ से अधूरे निर्माण कार्य को बचाने के लिए बुलडोजर सालों पुराने ब्लाक को निकालकर नदी में डाल खतरे को टालने में लगे हैं। असल में रेलवे ने पूरे साल काम शुरू नहीं किया। बारिश सिर पर आई तो 15 करोड़ का बजट जारी हुआ और निर्माण कार्य शुरू हुआ। जबकि रेलवे वर्ष 2022 व 2023 में गौला की बाढ़ के खतरे को स्वयं देख चुका है।
रेलवे की लाइन नंबर तीन बहने की कगार पर पहुंच चुकी थी। इसलिए समय रहते इस काम को शुरू कर मानसून आने तक खत्म किया जाना चाहिए था। गौला की बाढ़ अब उफान पर आ चुकी है और बहान रेलवे लाइन की ओर हो गया है। जहां पर ब्लाक डाले गए हैं, वह जगह अभी तक सुरक्षित थी।
मगर सोमवार की रात बाढ़ से ब्लाक भी गौला की तरह धसने लगे हैं। ब्लाक धसने से 15 करोड़ के काम की बुनियाद भी हिल चुकी है। गौला नदी अभी और उफान पर आएगी। ऐसे में बड़े खतरे से मना नहीं किया जा सकता है।
गौला की बाढ़ के कारण काम को रोका गया है। रेलवे लाइन के खतरे में पहले थी। इस बार खतरे को पहले के अपेक्षा टाला गया है। बाढ़ का पानी कम होते ही काम शुरू किया जाएगा।
- राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, रेलवे