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महिलाओं के सामुदायिक जल प्रबंधन ने बुझाई 78 गांवों की प्यास, पढ़ि‍ए पूरी खबर

उत्तरकाशी में जामक और जखोल गांव की महिलाओं के सामुदायिक जल प्रबंधन के जरिये दोनों गांवों के 78 परिवारों को पीने का पानी मिल रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 01 Jul 2019 08:46 PM (IST)
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महिलाओं के सामुदायिक जल प्रबंधन ने बुझाई 78 गांवों की प्यास, पढ़ि‍ए पूरी खबर
उत्‍तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। उत्तराखंड के सीमांत जिले उत्तरकाशी में जामक और जखोल गांव की महिलाओं ने सामुदायिक जल प्रबंधन की अनूठी मिसाल पेश की है। महिलाओं के इस जल प्रबंधन के जरिये दोनों गांवों के 78 परिवारों को पीने का पानी मिल रहा है। महिलाओं का यह प्रयास यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि जल स्रोत का रिचार्ज बढ़ाने के लिए वे बीते दो साल से कैचमेंट एरिया में पौधरोपण भी कर रही हैं। इन महिलाओं को पेयजल योजना तैयार करने के लिए जरूरी सामान और तकनीकी ज्ञान रिलायंस फाउंडेशन ने मुहैया कराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' में भी इन महिलाओं केइन प्रयासों को सराहा। 

1991 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 15 किमी दूर स्थित जामक गांव चर्चा में आया था। गांव में 76 ग्रामीणों की मौत हो गई थी। इसी के साथ गांव में पानी का संकट भी बढ़ गया। इसे देखते हुए पेयजल निगम ने गांव के लिए जामक गदेरे से पेयजल लाइन बिछाई, जो 2006 के बाद हर बरसाती गदेरे में उफान आने के कारण क्षतिग्रस्त होती रही और ग्रामीण पेयजल संकट से जूझते रहे। 2016-17 में रिलायंस फाउंडेशन ने ग्रामीणों की समस्याएं जानी।

इस दौरान महिलाओं ने फाउंडेशन के सामने जामक गांव से ढाई किमी दूर स्थित प्राकृतिक स्रोत से पेयजल योजना बनाने का प्रस्ताव रखा। योजना पर श्रमदान शुरू हुआ और जुलाई 2017 में जामक सामुदायिक पेयजल योजना तैयार भी हो गई। योजना के संचालन के लिए महिलाओं ने मां राजराजेश्वरी ग्राम कृषक समिति का गठन किया। समिति की अध्यक्ष अमरा देवी बताती हैं कि इस योजना को तैयार करने में उन्हें छह माह का समय लगा। गांव की हर महिला ने श्रमदान में हिस्सा लिया। आज गांव के 60 परिवारों के हर सदस्य को रोजाना 70 लीटर से अधिक पानी मिल रहा है। जबकि पहले पानी के लिए भटकना पड़ता था। 

सब्जियां भी उगा रहीं

अमरा देवी कहती हैं कि इस योजना की मरम्मत के लिए उन्होंने 15 हजार रुपये की धनराशि समिति के खाते में जमा करवाई है। प्रत्येक परिवार हर माह शुल्क के रूप में 30 रुपये जमा करता है। गांव की ही देवेंद्री देवी कहती हंै कि घर में पर्याप्त पानी आने से वे घर के आस-पास ही सब्जियां भी उगा रही है। बीते वर्ष उन्होंने छह हजार रुपये का लहसुन और प्याज बेचा। 

जखोल भी जूझ रहा था संकट से

जामक की ही तरह जखोल गांव में 50 परिवारों की महिलाओं ने भी रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से सामुदायिक पेयजल योजना बनाई। इस योजना से उन 18 परिवारों को पीने का पर्याप्त पानी मिल रहा है, जो वर्षों से पानी के संकट से जूझ रहे थे। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 50 किमी दूर स्थित जखोल गांव में यह सामुदायिक पेयजल योजना महिलाओं ने जनवरी 2019 में बनाई। योजना के संचालन को महिलाओं ने मां दुर्गा ग्राम कृषक समिति गठित की है। समिति की अध्यक्ष कुसुमलता रमोला कहती हैं कि यह सब कुछ महिलाओं की मेहनत से संभव हो पाया। योजना की मरम्मत के लिए महिलाओं ने 10 हजार रुपये की राशि भी जमा की हुई है।

कमलेश गुरुरानी (परियोजना निदेशक, रिलायंस फाउंडेशन, उत्तरकाशी) का कहना है कि पेयजल संकट से निपटने को जामक और जखोल गांव की महिलाओं ने सामुदायिक योजना तैयार की हैं। योजनाओं पर स्वामित्व भी महिलाओं का ही है। पेयजल संकट से जूझ रहे पहाड़ में इससे बेहतर जल प्रबंधन कुछ और नहीं हो सकता। यह सामुदायिक भागीदारी का अनुपम उदाहरण है। 

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