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Chardham Yatra के मुख्य पड़ाव पर पड़ा 'सूखा', जल स्रोतों पर 82 प्रतिशत डिस्चार्ज कम

Water Crisis चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव और यमुना किनारे बसी नगर पालिका बड़कोट घोर पेयजल संकट में हैं। दो दशक से बड़कोट को पेयजल आपूर्ति करने वाली तीन पेयजल योजनाओं और एक माह पहले बोरिंग की की गई योजना से 410 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) पानी की मिल रहा है। जबकि बड़कोट नगर पालिका क्षेत्र की आबादी को वर्तमान में 1000 एलपीएम पानी की जरूरत है।

By Shailendra prasad Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 23 Jun 2024 11:37 AM (IST)
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Water Crisis: नगर पालिका बड़कोट घोर पेयजल संकट में

शैलेंद्र गोदियाल, जागरण बड़कोट (उत्तरकाशी)। Water Crisis: चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव और यमुना किनारे बसी नगर पालिका बड़कोट घोर पेयजल संकट में हैं। पेयजल संकट का मुख्य कारण वही है जो पहाड़ के अन्य हिस्सों में है। प्राकृतिक पेयजल स्रोतों पर डिस्चार्ज बेहद ही कम गया है। दूसरी ओर नगर पालिका बड़कोट क्षेत्र में आबादी बढ़ती जा रही है और बड़कोट को पेयजल आपूर्ति कराने वाले जल स्रोतों पर 82.18 प्रतिशत पानी का डिस्चार्ज कम हुआ है और पेयजल किल्लत ने विकराल रूप लिया है।

दो दशक से बड़कोट को पेयजल आपूर्ति करने वाली तीन पेयजल योजनाओं और एक माह पहले बोरिंग की की गई योजना से 410 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) पानी की मिल रहा है। जबकि बड़कोट नगर पालिका क्षेत्र की आबादी को वर्तमान में 1000 एलपीएम पानी की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि बड़कोट में पेयजल आपूर्ति को सुचारू बनाने के लिए धनराशि खर्च नहीं हो रही। परंतु स्थाई समाधन के लिए पर्याप्त धनराशि न मिलना भी एक कारण है। अब 2.90 करोड़ से नलकूप योजना के तहत जल संस्थान ने निविदा जारी की है।

1430 संयोजन हैं बड़कोट में

उत्तरकाशी : जलसंस्थान के अनुसार नगर पालिका बड़कोट के सात वार्डों में 1353 घरेलू संयोजन है। जबकि 77 संयोजन व्यवसायिक हैं। बड़कोट में पानी की आपूर्ति के लिए दो दशक पहले तीन पेयजल योजनाओं का निर्माण किया गया।

शुरुआती वर्षों में तो इन पेयजल योजनाओं से पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति हुई। परंतु फिर स्रोत पर पानी कम हुआ तो पेयजल संकट बढ़ता गया। जल संस्थान के अवर अभियंता कुलदीप बिजल्वाा ने बताया कि 2023 में पेयजल आपूर्ति को सुचारू रखने के लिए जल संस्थान ने पालिका क्षेत्र में तीन टैंकरों के जरिये भी पानी की आपूर्ति की। परंतु इस बार पेयजल संकट इतना अधिक बढ़ा कि 12 टैंकर लगाए जाने के बाद भी पेयजल की आपूर्ति सामान्य नहीं हो पाई है।

पेयजल योजनाओं की स्थिति

नगर पालिका बड़कोट को आपूर्ति करने वाली सबसे बड़ी और पुरानी योजनाओं में भोटू खड्ड पेयजल योजना शामिल है। इस योजना का पानी 2.20 लाख लीटर क्षमता वाले टैंक में एकत्र होता हैं। इस पेयजल योजना की आपूर्ति की क्षमता 1200 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) थी। परंतु स्रोत पर पानी कम होने के कारण इन दिनों 260 एलपीएम रह गई है। अगर वर्षा हुई तो तब स्रोत पर डिस्चार्ज बढ़ सकता है।

दूसरी पेयजल योजना स्वीली खड्ड पेयजल योजना है। इस योजना का पानी 1.80 लाख लीटर क्षमता वाले टैंक पर एकत्र होता है। इस योजना की क्षमता 300 एलपीएम थी। परंतु स्रोत पर पानी की मात्रा 20 एलपीएम पानी मिल पा रहा है। तीसरी योजना मुराल्टू खड्ड पेयजल योजना है ।

इस योजना का पानी 1.50 लाख लीटर के टैंक में एकत्र होता है। इस पेयजल योजना की क्षमता 500 एलपीएम थी, परंतु स्रोत पर पानी कम होने के कारण 40 एलपीएम पानी की आपूर्ति हो रही है। कुल मिलाकर तीन पेयजल योजनाओं और हाल में की गई बोरिंग की क्षमता 2300 एलपीएम थी। परंतु इनसे 410 एलपीएम पानी मिल रहा है।

घोषणाएं होती रही, धरातल पर नहीं उतरी

उत्तरकाशी : नगर पालिका बड़कोट में पेयजल संकट से पार पाने के लिए सबसे पहले 2013 में घोषणा हुई। जिसमें 19 करोड़ की धनराशि से पालीगाड़ से बड़कोट में पानी पहुंचाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। 2015 में 19 करोड़ के स्थान पर 32 करोड़ का प्रस्ताव बनाया गया। परंतु यह योजना ठंडे बस्ते में डाली गई। 2018-19 में जायका परियोजना के तहत 72 करोड़ की पंपिंग पेयजल योजना की घोषणा की गई।

इस योजना के लिए अभी तक धनराशि स्वीकृत नहीं हो पाई है। भले ही जल संस्थान पेयजल आपूर्त सुचारू बनाने के नाम पर हर वर्ष धनराशि खर्च करता आ रहा है। 2023 में 70 लाख खर्च किए। जिसमें एक टैंक का निर्माण और सात किलोमीटर लंबी लाइन बनाई गई। जिला पंचायत से मिली 20 लाख की धनराशि से यमुनोत्री यात्रा मार्ग पर हैंडपंप व तीर्थयात्रियों के लिए पेयजल सुविधा देने का कार्य किया गया।

24 लाख की बोरिंग से मिल रहा 90 एलपीएम पानी

उत्तरकाशी : शासन से गत मई माह में 36 लाख रुपये की धनराशि मिली। जिसमें 24 लाख की धनराशि से जल संस्थान ने पोलगांव के निकट बोरिंग की। इस बोरिंग की लाइन को जल संस्थान ने भोटू खड्ड पेयजल योजना से जोड़ा। इस बोरिंग से जल संस्थान को उम्मीद थी कि 300 एलपीएम पानी मिलेगा। परंतु इससे करीब 90 एलपीएम पानी ही मिल पा रहा है। यानि इस क्षेत्र में भूगर्भीय जल स्तर की स्थिति भी अच्छी नहीं है।

यमुना किनारे बनेगी मिनी ट्यूबवेल

उत्तरकाशी : यमुना नदी के किनारे तिलाड़ी के पास मिनी ट्यूबवेल में 300 एमएम व्यास का पाइप से बोरिंग होगी। जिसमें 150 एमएम व्यास के पाइप से पानी खींचा जाएगा। फिर पंप हाउस से पानी का लिफ्ट कर जल संस्थान के पुराने टैंको तक पहुंचाया जाएगा। इसकी क्षमता एक हजार एलपीएम मापी गई। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता विनोद पांडे ने बताया कि बड़कोट की तीनों पेयजल योजनाएं हैं। इन दिनों स्रोत पर पानी की डिस्चार्ज बहुत कम है। जिससे पेयजल संकट बढ़ा है। मिनी ट्यूबवेल के लिए निविदा जारी कर दी गई।

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