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उत्तरकाशी में प्रशासन का आधा-अधूरा काम बन रहा फजीहत, 24 घंटे जाम में फंसे रहे नौ हजार से अधिक तीर्थयात्री

यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा व्यवस्था कपाट खुलने के तीसरे दिन भी पटरी पर नहीं आ सकी। दोनों धाम जाने वाले नौ हजार से अधिक श्रद्धालु उत्तरकाशी में बड़कोट से जानकीचट्टी के बीच 24 घंटे तक जाम में फंसे रहे। श्रद्धालुओं को पूरी रात अपने वाहनों में या खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी। अधिकांश श्रद्धालुओं के पास भूख मिटाने के लिए बिस्किट-पानी को छोड़कर कोई अन्य विकल्प नहीं...

By Shailendra prasad Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 12 May 2024 09:03 PM (IST)
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24 घंटे जाम में फंसे रहे नौ हजार से अधिक तीर्थयात्री
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा व्यवस्था कपाट खुलने के तीसरे दिन भी पटरी पर नहीं आ सकी। दोनों धाम जाने वाले नौ हजार से अधिक श्रद्धालु उत्तरकाशी में बड़कोट से जानकीचट्टी के बीच 24 घंटे तक जाम में फंसे रहे। श्रद्धालुओं को पूरी रात अपने वाहनों में या खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी।

अधिकांश श्रद्धालुओं के पास भूख मिटाने के लिए बिस्किट और पानी को छोड़कर कोई अन्य विकल्प नहीं था। इस अव्यवस्था का असर रविवार को देहरादून से लेकर ऋषिकेश और हरिद्वार तक दिखा। इस बीच जाम की स्थिति को देखते हुए सुबह प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं से यात्रा स्थगित करने की अपील की गई। विभिन्न स्थानों और पड़ावों पर श्रद्धालुओं को रोक दिया गया, इसको लेकर उनकी पुलिस से नोकझोंक भी हुई।

यात्रा से पहले प्रशासन का आधा-अधूरा काम बन रहा मुसीबत

उत्तरकाशी में चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले किया गया प्रशासन का आधा-अधूरा होमवर्क तीर्थ यात्रियों के लिए मुसीबत बन गया है। न तो धामों को जाने वाले राजमार्गों का चौड़ीकरण कराया गया और न यमुनोत्री धाम में पैदल यात्रा मार्ग ही दुरुस्त है।

पार्किंग सहित अन्य संसाधनों को भी आवश्यकता अनुरूप विकसित नहीं किया गया। इसी का नतीजा रहा कि यात्रा के पहले दिन ही व्यवस्था लड़खड़ा गई। बड़कोट से जानकीचट्टी के बीच शनिवार को पूरा दिन और फिर रात में भी तीर्थयात्री जाम में फंसे रहे।

पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी भी देर रात से लेकर सुबह तक जाम खुलवाने में जुटे रहे। जब हालात नहीं संभले तो रविवार सुबह उत्तरकाशी पुलिस ने तीर्थ यात्रियों से यमुनोत्री धाम की यात्रा एक दिन के लिए स्थगित रखने की अपील की।

बर्नीगाड़ से कुथनौर तक दिनभर जीरो जोन जैसी स्थिति

साथ ही हालात को नियंत्रित करने के लिए यमुनोत्री जाने वाले तीर्थ यात्रियों के वाहनों को हरिद्वार, विकासनगर, बड़कोट, डामटा के पास रोक दिया। जो तीर्थयात्री बर्नीगाड़ तक पहुंच गए थे, उन्हें धारी कफनोल और राडी टाप होते हुए गंगोत्री की ओर भेजा गया। बर्नीगाड़ से कुथनौर तक दिनभर जीरो जोन जैसी स्थिति रही।

इसके बाद यमुनोत्री पैदल मार्ग और जानकीचट्टी में हालात नियंत्रित होते दिखे। वहीं, कुथनौर से पालीगाड़ के बीच पांच हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों को जानकीचट्टी की ओर रवाना होने के लिए सात घंटे इंतजार करना पड़ा।

पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि रविवार सुबह करीब नौ हजार तीर्थयात्री जानकीचट्टी व यमुनोत्री धाम पहुंच चुके थे। धाम की क्षमता को देखते हुए तीर्थ यात्रियों को हरिद्वार, ऋषिकेश, विकासनगर, उत्तरकाशी या अन्य किसी पड़ाव पर ही रुकने के लिए कहा गया है।

अव्यवस्था से तीर्थ यात्रियों में आक्रोश

आकोला (मध्य प्रदेश) से यमुनोत्री धाम आए तीर्थयात्री विशाल ने बताया कि शनिवार रात से परेशान हूं। रात को सड़क पर ही सोना पड़ा। बड़कोट से पालीगाड़ के बीच यातायात पूरी तरह से जाम है। न तो पीने के लिए पानी है और न आसपास कोई दुकान ही।

हिमाचल प्रदेश के सिरमोर निवासी रामेश्वर दत्त शर्मा ने कहा कि उन्हें भी रातभर खुले में सोना पड़ा। प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई। वह तो शुक्र रहा कि वाहन में उनके पास खाने का सामान और पानी था। उन्होंने कहा कि यह प्रशासन की नाकामी है। जब मालूम था कि भीड़ अधिक है तो पंजीकरण क्यों किया।

हरिद्वार या ऋषिकेश में तीर्थ यात्रियों को रोका जाता। पालीगाड़ में जो गेट सिस्टम बनाया है, वह भी सही नहीं है। आठ से 10 घंटे तक वाहनों को रोका जा रहा है। वाहन चालक मोहम्मद अशरफ ने कहा कि उन्हें गाड़ी चलाते 26 वर्ष हो गए, लेकिन ऐसी परेशानी पहली बार झेलनी पड़ी है।

संकरी सड़क जाम का मुख्य कारण

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम का मुख्य कारण संकरी सड़क है। पालीगाड़ से जानकीचट्टी तक करीब 35 किमी सड़क बेहद संकरी है। इस क्षेत्र में पर्यावरणीय कारणों के चलते चारधाम आलवेदर रोड परियोजना का काम नहीं हो पाया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रानाचट्टी से फूलचट्टी के बीच सीसी सड़क बनाई, मगर उसकी चौड़ाई इतनी कम है कि दो बड़े वाहन साथ में नहीं निकल पाते। इस सड़क से 38 से 42 सीटर बस के गुजरने पर जाम लगना तय है। लोगों का कहना है कि इन हालात में पालीगाड़ से जानकीचट्टी तक बसों का संचालन रोका जाना चाहिए, तभी इस संकरे हाईवे पर यातायात सुचारु रखा जा सकता है।

टैक्स वसूलने तक सीमित जिला पंचायत

यमुनोत्री धाम में घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। जिला पंचायत उत्तरकाशी केवल टैक्स वसूलने तक ही सीमित है। इससे धाम में जाम की समस्या और विकट हो जाती है।

दावों तक सिमटा वैकल्पिक मार्ग

यमुनोत्री धाम की पैदल यात्रा जानकीचट्टी से शुरू होती है। यमुना नदी के दायीं ओर से होकर यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाला पांच किलोमीटर लंबा पैदल मार्ग संकरा होने के चलते जाम का कारण बनता है। इस मार्ग पर सुरक्षा इंतजाम भी शून्य हैं। छह वर्ष पहले यमुना नदी के बायीं ओर से वैकल्पिक मार्ग बनाने की चर्चा शुरू हुई थी। वर्ष 2022 में वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए सर्वे का दावा भी किया गया, परंतु सभी दावे हवाई साबित हुए।

अब शनिवार को उत्तरकाशी पहुंचे लोक निर्माण सचिव डा. पंकज कुमार पांडेय ने यमुनोत्री धाम को जोड़ने के लिए नए विकल्प के रूप में ट्रेक मार्ग का सर्वे करने व रिपोर्ट शासन को भेजने के निर्देश बड़कोट लोनिवि के अधिशासी अभियंता को दिए हैं, साथ ही मौजूदा पैदल मार्ग का चौड़ीकरण करने को भी कहा।

पंडा पुरोहित भी नाराज

यात्रा व्यवस्था के बेपटरी होने से यमुनोत्री धाम की पंडा पुरोहित महासभा भी नाराज है। महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने प्रदेश सरकार के साथ उत्तरकाशी के पुलिस और प्रशासन से कहा कि यात्रा व्यवस्था में तत्काल सुधार कीजिए।

उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर व्यवस्था को सुधारना प्रशासन के बस में नहीं है तो यमुनोत्री मंदिर समिति और महासभा व्यवस्था को अपने हाथ में ले लेगी। पुरुषोत्तम उनियाल ने कहा कि रविवार को धाम में सन्नाटे जैसी स्थिति रही।

बड़कोट से शुरू हो जाता है जाम

10,804 फीट की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री धाम जाने के लिए पहले बड़कोट पहुंचना होता है, जिसके लिए तीन प्रमुख मार्ग हैं। पहला ऋषिकेश, चंबा, धरासू होते हुए, दूसरा विकासनगर, यमुना पुल होते हुए और तीसरा मसूरी, यमुना पुल होते हुए बड़कोट पहुंचता है।

बड़कोट से 20 किमी पालीगाड़ तक चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सड़क है। पालीगाड़ से जानकीचट्टी तक 35 किमी सड़क बेहद खराब है। डाबरकोट भूस्खलन जोन भी इसी क्षेत्र में है। ऐसे में जाम की परेशानी बड़कोट से ही शुरू हो जाती है।

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