Uttarkashi Tunnel Collapse: अर्नोल्ड डिक्स ने साझा किया रेस्क्यू का अनुभव, बोले- 'जीवन पैसे से अधिक मूल्यवान'
Uttarkashi Tunnel Collapse इंटरनेट मीडिया पर अर्नोल्ड डिक्स को लेकर तथा उनकी ओर से की जा रही पोस्ट को लेकर खास चर्चा है। अपनी पोस्ट और सवालों के जवाब में अर्नोल्ड डिक्स ने कई महत्वपूर्ण तथ्य बताए हैं। इंटरनेट मीडिया पर पूछे एक प्रश्न के जवाब में अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि उन्हें सिलक्यारा में सहयोग के लिए कुछ भी भुगतान नहीं किया गया।
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों तक चला खोज बचाव अभियान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चाओं में रहा। इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स की अभियान में एंट्री और उनकी गतिविधियों ने सभी का ध्यान खींचा। अब इंटरनेट मीडिया पर अर्नोल्ड डिक्स को लेकर तथा उनकी ओर से की जा रही पोस्ट को लेकर खास चर्चा है।
अपनी पोस्ट और सवालों के जवाब में अर्नोल्ड डिक्स ने कई महत्वपूर्ण तथ्य बताए हैं। इंटरनेट मीडिया पर पूछे एक प्रश्न के जवाब में अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि उन्हें सिलक्यारा में सहयोग के लिए कुछ भी भुगतान नहीं किया गया। जीवन में कुछ चीजें पैसे से भी अधिक मूल्यवान होती हैं। जीवन उनमें से एक है। बस वह खुश हैं कि सब कुछ ठीक हो गया।
ऑगर से लेकर रैट माइनर्स तक ऐसे हुआ रेस्क्यू
इंटरनेट मीडिया पर अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि रेस्क्यू के शुरुआती दिनों से हैंड माइनिंग विधि पर चर्चा की गई थी। शुरुआत में इसे बहुत धीमा बताकर खारिज कर दिया गया था। हैंड माइनिंग के साथ पाइप जैकिंग पर चर्चा की गई थी। फिर ऑगर तैनात की गई थी। जब ऑगर का कटर क्षतिग्रस्त हुआ तो मशीन का केवल पाइप जैकिंग वाला हिस्सा ही बचा। तब हैंड माइनिंग और मशीन से जैकिंग विकल्प को प्राथमिकता दी गई।
रैट माइनर्स ने निभाया अहम योगदान
अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि हैंड माइनिंग के लिए जिन्हें बुलाया गया था, उन्हें रैट माइनर्स कहा जाता है। परंतु उनके विचार से दूसरी टीम जो अद्भुत थी वह वेल्डर की टीम थी। जिन्होंने पाइप के अंदर फंसे औगर के कटर को टुकड़े-टुकड़े करके काटा। 41 श्रमिकों के बचाव में किया गया यह कार्य सबसे बड़ा कार्य था।
59 वर्षों में सीखे सबक का किया उपयोग
अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि रैट माइनर्स हमारे चुने गए विकल्पों में स्पष्ट रूप से अनिवार्य थे, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए सभी लोगों के शिल्प की जरूरत पड़ी है। जिसमें रैट माइनर्स, ऑगर मशीन के पाइप में फंसे कटर को काटने वाले वेल्डर, पाइप जैकिंग, ड्रिलिंग, निगरानी, रिब बनाने वाले, फैब्रिकेटर, भूवैज्ञानिक, इंजीनियर, ड्राइवर, रसोइया आदि लोगों के सहयोग से यह अभियान सफल हुआ है। सिलक्यारा में अपने छोटे से योगदान देने के लिए उन्हें उन सबक की जरूरत पड़ी जो उन्होंने 59 वर्षों में सीखे हैं।
आध्यात्मिकता के केंद्र में है भारतीय
सिलक्यारा में बौखनाग देवता के छोटे मंदिर में मत्था टेकने और श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने के बाद बौखनाग देवता का आभार व्यक्त करने के लिए बौखनाग टाप पहुंचे अर्नोल्ड डिक्स खास चर्चाओं में रहे। आध्यात्म को लेकर पूछे एक सवाल में अर्नोल्ड डिक्स ने अपनी एक पोस्ट में बताया कि भारतीय आध्यात्मिकता के केंद्र में है, और उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया है।
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