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Chardham Yatra 2024: गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए कब होंगे बंद? हो गई घोषणा

Chardham Yatra 2024 चारधाम यात्रा 2024 की तारीखें घोषित हो चुकी हैं। गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए 2 नवंबर को बंद हो जाएंगे। वहीं गुजरात के स्वामी नारायण गुरुकुल राजकोट से संत स्वामी के नेतृत्व में 60 साधु संतों का समूह उत्तराखंड के चारधाम की यात्रा पर हैं। जानिएकब तक किए जा सकेंगे गंगोत्री धाम के दर्शन।

By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 11 Oct 2024 12:57 PM (IST)
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Chardham Yatra 2024: गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए हो जाएंगे बंद। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Chardham Yatra 2024: विश्व प्रसिद्ध गंगोत्रीधाम के कपाट बंद होने का शुभ मुहूर्त तय हो गया है। गंगोत्री धाम के कपाट 2 नवंबर को दोपहर 12.14 बजे पर बंद होंगे। कपाट बंद होने के बाद देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास मुखीमठ (मुखवा) में कर सकेंगे। यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के अवसर पर 3 नवंबर को बंद होंगे।

यमुना की डोली लेने के लिए खरशाली गांव से शनि महाराज की डोली 3 नवंबर की सुबह यमुनोत्री पहुंचेगी। जिसके बाद शुभ मुहूर्त पर कपाट बंद किए जाएंगे। गंगोत्री धाम के कपाट बंद करने का शुभ मुहूर्त नवरात्र के शुभ अवसर पर तीर्थ पुरोहितों ने निकाला। जिसके बाद मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने कपाट बंद करने की शुभ तिथि और शुभ समय की औपचारिक घोषणा भी की।

गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट के अवसर पर बंद होते हैं। इस बार 2 नवंबर को सुबह 10.00 बजे मां गंगा के मुकुट को उतारा जाएगा। उसके बाद निर्वाण दर्शन होंगे। वेद मंत्रों के साथ मां की मूर्ति का महाभिषेक होगा। उसके बाद विधिवत हवन पूजा-अर्चना के साथ कपाट बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने का अभिजीत मुर्हूत शुभ बेला दोपहर 12.14 बजे तय किया गया है।

विधिविधान से पूजा अर्चना के बाद गंगा की उत्सव डोली को मंदिर परिसर से बाहर निकाली जाएगी। जिसके बाद डोली मुखवा के लिए प्रस्थान करेगी। डोली रात्रि निवास चंडेश्वरी देवी मंदिर (माकेंडेय मंदिर) में निवास करेंगे। 3 नवंबर सुबह विधिविधान के साथ मंदिर से डोली मुखवा के लिए प्रस्थान करेगी। अगले वर्ष गंगोत्री धाम के कपाट खुलने तक मां गंगा के दर्शन मुखवा में होंगे।

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साधु-संतों के दल ने गंगा स्नान कर किया ध्यान पूजन

गुजरात के स्वामी नारायण गुरुकुल राजकोट से संत स्वामी के नेतृत्व में 60 साधु संतों का समूह उत्तराखंड के चारधाम की यात्रा पर हैं। मंगलवार को साधु संतों ने डुंडा के पास गंगा स्नान के साथ ही ध्यान और पूजन भी किया।

संत स्वामी ने कहा कि यमुनोत्री में श्रद्धुलुओं ने भारी मात्रा में वस्त्र यमुना में भेंट किए जा रहे हैं जो कि एक गलत परम्परा है।

सनातन धर्म में नदियों में वस्त्र बहाने की कोई व्यवस्था नहीं है। साधुओं के समूह में आए स्वामी वेदांत स्वरूप ने कहा कि देश की तमाम नदियां खासकर मां गंगा और मां यमुना भगवान की कृतियां हैं। भगवान की विभूति हैं, इन मां समान नदियों को गंदा करने का अर्थ है कि हम भगवान को मैला कर रहे हैं।

नदियों को किसी भी तरह का वस्त्र, प्लास्टिक की बनी चीजें और श्रृंगार भेंट न करें

सनातन धर्म के सभी भक्तजनों को किसी भी धाम की यात्रा में जाने पर नदियों को किसी भी तरह का वस्त्र, प्लास्टिक की बनी चीजें और श्रृंगार भेंट नहीं करना चाहिए। गंगा विचार मंच के प्रान्त संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने गुजरात से आए साधु संतों का स्वागत किया।

इस दौरान उन्होंने बताया कि सभी संतो की एकराय है कि मां गंगा, मां यमुना या देश की किसी भी नदी में वस्त्र एवं श्रृंगार का सामान जलधारा में नहीं भेंट करना चाहिए।

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नागणी देवी में हेलीपैड व धर्मशाला तैयार

नवरात्री में मां नागणी देवी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। खड़ी चढ़ाई पार कर नागणी देवी पहुंचने पर श्रद्धालु और उत्साह से भर रहा है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की ओर से हेलीपैड और धर्मशाला का भी निर्माण किया गया है।

प्रकृति रूप से बेहद ही सुंदर स्थल तक पहुंचने के सड़क मार्ग और कुछ अन्य पर्यटक सुविधाओं की मांग श्रद्धालुओं ने की। समुद्र तल से लगभग 9000 फीट की ऊंचाई बालखिल्य पर्वत पर मां नागणी देवी मंदिर स्थित है।

उत्तरकाशी मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर संकुर्णाधार से चार किलोमीटर का पैदल मार्ग बेहद ही रोमांचक है। घने बांज बुरांश के जंगल से होकर नागणी देवी मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग पर वन्यजीवों का भी दीदार होता है।

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