Chardham Yatra 2024 यमुनोत्री के बाद अब गंगोत्री राजमार्ग पर भी यातायात व्यवस्था कुछ संभली है। अनावश्यक स्थानों पर गेट सिस्टम (वन-वे) बंद करने से जाम की समस्या कुछ कम हुई है। एक सप्ताह पूर्व 10 मई को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खोले जाने के साथ ही दोनों यात्रा मार्गों पर अव्यवस्था का क्रम शुरू हो गया था।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: Chardham Yatra 2024: यमुनोत्री के बाद अब गंगोत्री राजमार्ग पर भी यातायात व्यवस्था कुछ संभली है। अनावश्यक स्थानों पर गेट सिस्टम (वन-वे) बंद करने से जाम की समस्या कुछ कम हुई है। जिसके बाद बुधवार को तीर्थ यात्रियों को उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम तक पहुंचने में 10 से 12 घंटे लगे। मंगलवार तक यही यात्रा बामुश्किल 15 से 20 घंटे में पूरी हो पा रही थी।
इस कारण गंगोत्री राजमार्ग पर रातभर 12 हजार से अधिक तीर्थयात्री फंसे रहे। यमुनोत्री धाम की बात करें तो सड़क मार्ग पर स्थित अंतिम यात्रा पड़ाव जानकीचट्टी से 35 किमी पहले पालीगाड़ में श्रद्धालुओं को पांच से सात घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। डामटा बैरियर पर भी तीर्थ यात्रियों को रोका जा रहा है।
इसके अतिरिक्त अब राजमार्ग पर कहीं जाम की स्थिति नहीं है। तीर्थ यात्रियों को विभिन्न स्थानों पर रोके जाने से होटल संचालक भी नाराज हैं। इसके विरोध में यमुना घाटी होटल एसोसिएशन ने बुधवार को प्रशासन और सरकार के विरुद्ध जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। इस बार केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में भी तीर्थ यात्रियों की आमद गत वर्ष से कहीं अधिक है, लेकिन वहां अभी तक जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है।
10 मई को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के खुले कपाट
एक सप्ताह पूर्व 10 मई को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खोले जाने के साथ ही दोनों यात्रा मार्गों पर अव्यवस्था का क्रम शुरू हो गया था। पहले दिन ही तीर्थ यात्रियों को पार्किंग की कमी और राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाल स्थिति के कारण जगह-जगह जाम का सामना करना पड़ा। अगले दिन पुलिस-प्रशासन ने मोर्चा संभाला, मगर हालात नहीं सुधरे। ऐसे में यात्रा मार्गों पर गेट सिस्टम (वन-वे) लागू किया गया।
इससे यमुनोत्री धाम में तो व्यवस्था पटरी पर लौटती दिखी, मगर गंगोत्री में हालात नहीं संभले। ऐसे में प्रशासन ने बुधवार को गंगोत्री राजमार्ग पर कुछ जगह गेट सिस्टम खत्म कर दिया। इसके बाद यातायात ने कुछ गति पकड़ी और उत्तरकाशी शहर सहित तेखला, नेताला, हीना, गंगनानी में जाम से कुछ मुक्ति मिली।
मंगलवार सुबह जो वाहन उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए रवाना हुए थे, वो बुधवार सुबह गंगोत्री पहुंचे। वहीं, जो तीर्थयात्री सोमवार रात उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए चले थे, वह बुधवार दोपहर उत्तरकाशी वापस पहुंच पाए। इस मार्ग पर अब जाम की स्थिति सोनगाड़ से गंगोत्री के बीच 40 किमी में ही है।
गेट सिस्टम के तहत तीर्थ यात्रियों को रोका जा रहा घंटों
यमुनोत्री राजमार्ग पर पालीगाड़ में गेट सिस्टम के तहत तीर्थ यात्रियों को घंटों रोका जा रहा है। इससे कुथनौर तक वाहनों की लगभग चार किमी लंबी कतार लग रही है। शाम के समय जानकीचट्टी से वाहनों के लौटने के बाद रात नौ बजे पालीगाड़ से तीर्थ यात्रियों के वाहनों को जानकीचट्टी भेजा जा रहा है।ऐसे में तीर्थयात्री जानकीचट्टी में भोजन आदि करने के बाद रात डेढ़ बजे पैदल यात्रा शुरू कर रहे हैं और सुबह चार बजे धाम पहुंच रहे हैं। तीर्थ यात्रियों के अनुसार, जानकीचट्टी से धाम तक करीब छह किमी लंबे पैदल मार्ग पर प्रकाश का उचित प्रबंध नहीं है। धाम में जाम लगने का मुख्य कारण घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी के लिए समुचित पार्किंग नहीं होना है, जिससे घोड़ा-खच्चर और श्रमिक रास्ते में ही खड़े रहते हैं। यही स्थिति जानकीचट्टी में भी है।
पंजीकरण बंद होने से भी राहत
चारधाम यात्रा के सुगम और सुरक्षित संचालन के लिए बुधवार को यात्रा पंजीकरण नहीं किए गए। इससे बिना पंजीकरण ऋषिकेश और हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालु चारधाम यात्रा मार्गों पर नहीं जा पाए। यह भी एक प्रमुख कारण रहा कि गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग पर वाहनों का दबाव नहीं बढ़ा और जाम में कमी देखने को मिली। गुरुवार को भी यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं किए जाएंगे।
खाना-पानी के लिए भी जूझ रहे श्रद्धालु
गंगोत्री राजमार्ग पर तीर्थ यात्रियों को जाम के साथ जन सुविधाओं की कमी से भी जूझना पड़ रहा है। जिन स्थानों पर गेट सिस्टम के तहत तीर्थ यात्रियों को घंटों तक रोका जा रहा है, वहां पेयजल और शौचालय तक का प्रबंध नहीं है। यही नहीं, तीर्थ यात्रियों को खाने-पीने का सामान भी आसानी से नहीं मिल पा रहा।इस कारण वह यात्रा व्यवस्था से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि जाम के कारण यात्रा में समय अधिक लगने से शेड्यूल तो विगह ही रहा है, जहां उन्हें रोका जा रहा है वहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रहीं। इससे सवाधिक परेशानी बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को हो रही है।
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर हीना के पास स्वास्थ्य जांच शिविर है और पंजीकरण जांच केंद्र भी। बावजूद इसके यहां न तो शौचालय है और न पीने के पानी का प्रबंध ही। यहां कच्ची सड़क पर वाहनों की आवाजाही के कारण तीर्थगात्री धूल के गुबार से परेशान हो रहे हैं, सो अलग। यह हाल तब है, जब सभी तीर्थ यात्रियों के वाहन इस केंद्र से होकर गुजरते हैं और यहां चौबीस घंटे 40 से 50 वाहन खड़े रहते हैं।
बुधवार को यहां नागरिक सुविधाओं की पड़ताल की गई तो स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और पंजीकरण जांच केंद्र के कर्मचारी मुस्तैद दिखे। जबकि, जन सुविधाओं के नाम पर अस्थायी शौचालय का निर्माण किया जा रहा था, जिसे तैयार होने में अभी एक सप्ताह लग सकता है। फिलहाल, तोर्थ यात्रियों को शौच के लिए भागीरथी नदी के किनारे जाना पड़ रहा है। पेयजल की सुविधा भी आसपास नहीं दिखी। केंद्र से काफी दूर एक दीवार के पास नल लगा है, मगर वहां तक तीर्थ यात्रियों की दृष्टि नहीं पहुंचती।
विना पंजीकरण यात्रा करने वालों से सख्ती से निपटे प्रशासन
सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुंदरम ने उत्तरकाशी में यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा व्यवस्थाओं की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने पुलिस-प्रशासन को निर्देश दिए कि चिना पंजीकरण धामों की यात्रा करने वालों से सख्ती से निपटें। बिना पंजीकरण वाले यात्रियों को सीधा चेकिंग बैरियर से वापस भेजें। इसके लिए वैरियरी और अन्य स्थानों पर चेकिंग की जाए। उन्होंने यमुनोत्री धाम में बिना पंजीकरण के डंडी-कंडी, घोड़ा-खच्चरों के संचालन पर भी प्रभावी रोक लगाने के निर्देश दिए है।
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में यात्रा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुंदरम व सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी बुधवार को उत्तरकाशी पहुंच गए। इसके बाद सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुंदरम ने जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट के साथ गंगोत्री क्षेत्र का भ्रमण कर यात्रा व्यवस्था का जायजा भी लिया और फिर समीक्षा बैठक की। वहीं टिहरी के सीडीओ अभिषेक त्रिपाठी ने भी उत्तरकाशी पहुंचकर यात्रा मजिस्ट्रेट के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
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