Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Uttarkashi Tunnel Rescue: सिलक्यारा सुरंग के बाहर प्रकट हुए देवता! चर्चा का व‍िषय बनी पानी से उभरी आकृति; लोगों की बढ़ी आस

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को 16 दिन बीत गए हैं। सुरंग में कुल 41 मजदूर फंसे हुए हैं। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रातभर रेस्क्यू अभियान चला। इस बीच सिलक्यारा सुरंग के मुहाने के पास स्थापित किए गए बाबा बौखनाग के मंदिर की पहाड़ी पर उभरी आकृति चर्चा का विषय बनी...

By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Mon, 27 Nov 2023 02:56 PM (IST)
Hero Image
सिलक्यारा सुरंग के बाहर पानी रिसाव से बनी आकृति बनी चर्चा का विषय

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को 16 दिन बीत गए हैं। सुरंग में कुल 41 मजदूर फंसे हुए हैं। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रातभर रेस्क्यू अभियान चला। वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ मैन्युअल ड्रिलिंग भी शुरू करने के लिए टीम सुरंग के अंदर पहुंच गई है। 

इस बीच सिलक्यारा सुरंग के मुहाने के पास स्थापित किए गए बाबा बौखनाग के मंदिर की पहाड़ी पर उभरी आकृति चर्चा का विषय बनी हुई है। यह आकृति एक देवता के रूप में उभरी है। इस आकृति से लोगों में आगे सकारात्मक होने का विश्वास जगा।

पानी रिसाव से बनी आकृति

सिलक्यारा सुरंग में 16 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य जारी है। वहीं सुरंग के मुहाने के ठीक ऊपर पानी का रिसाव बढ़ गया है। पानी के रिसाव से एक आकृति उभर के सामने आई है। ये उभरी हुई आकृति यह आभास करा रही है कि यह एक देवता हैं और इनके हाथ में कोई हथियार या कोई अन्य दिव्य वस्तु है। इसे शुभ संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

WhatsApp पर हमसे जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.

मलबे में औगर के पार्ट्स फंसने से 24 घंटे रहा था बाधित

बता दें कि पिछले दिनों बचाव कार्य के दौरान मलबे में औगर मशीन का कुछ फंस गया था जिससे 24 घंटे के लिए बचाव कार्य बाधित हो गया था। हालांकि रविवार से रेस्क्यू कार्य लगातार जारी है और आज सुबह 48 मीटर फंसी औगर मशीन के ब्लेड को पाइप से पूरी तरह निकाल दिया गया है। अब पाइप के भीतर अगले 10 मीटर को मैन्युअल ड्रिलिंग की जाएगी।

आज शुरू होगा मैन्युअल ड्रिलिंग

सुरंग के भीतर आज से मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो सकता है। औगर मशीन को पीछे खींच जाएगा। उसके बाद पाइप के मार्बन की सफाई होगी। फिर रेट माइनर की टीम एक बार में 6 घंटे लगातार अपने उपकरणों के साथ अंदर के पत्थर औजारों और राह में आने वाले धातु के हिस्सों को काटकर रास्ता बनाएगी। जैसे ही आगे मलबा काटा जाएगा और पाइप के लिए रास्ता बन जाएगा। अगर मशीन 800 मिलीमीटर के पाइप को आगे की ओर पुस करेगी। लगभग 12 मी का रास्ता तय करना है।

यह भी पढ़ें - Haridwar News: सिलक्यारा सुरंग मे फंसे मजदूरों की सलामती के लिए खानपुर के एक विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने की प्रार्थना