Move to Jagran APP

पिता के नाम पर रोपे वन की बेटे की तरह कर रहे सेवा, 20 वर्षों से नहीं फटक पाई आग; जानिए श्याम स्मृति वन की कहानी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल ने अपने पिता की याद में श्याम स्मृति वन बनाया है। इस 15 हेक्टेयर के जंगल में 300 से अधिक प्रजातियों के लाखों पौधे हैं। प्रताप ने इस जंगल को आग से बचाने के लिए हर साल मार्च से मई तक चीड़ के पिरुल और अन्य सूखे पत्तों को इकट्ठा कर खाद बनाते हैं।

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Mon, 30 Sep 2024 07:34 PM (IST)
Hero Image
हजारों पौधे रोप पिता की याद में तैयार किया श्याम स्मृति वन
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। उत्तराखंड के सीमांत उत्तरकाशी नगर से लगे वरुणावत पर्वत की तलहटी में लहलहा रहा ‘ श्याम स्मृति वन ’ पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल के पुरुषार्थ की कहानी बयां कर रहा है।

इस 15 हेक्टेयर भूभाग में निस्वार्थ भाव से 300 प्रजाति के लाखों पौधों रोपित करने के साथ प्रताप ने उन्हें औलाद की तरह पाला-पोसा। यह बात इसी से प्रमाणित हो जाती है कि पिछले 20 वर्षों में इस जंगल को आग की चिंगारी तक नहीं छू पाई। वह भी तब , जब उत्तराखंड में हर वर्ष लाखों हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो जाते हैं।

इसी वर्ष अप्रैल से लेकर जून तक उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लेकर सभी तहसील मुख्यालय क्षेत्र के जंगल आग से नहीं बच पाए।

ऐसा नहीं कि आग इस संरक्षित जंगल के निकट तक नहीं पहुंची , लेकिन पर्यावरण के इस भगीरथ की सतर्कता और कड़ी मेहनत ने धधकती आग पर जंगल में पहुंचने से पहले ही काबू पा लिया। 30 मई 2024 की रात जब उत्तरकाशी में लोग अपनी घरों की छत व खिड़की से धधकते हुए वरुणावत को देख रहे थे , तब रात की तीन बजे तक 66- वर्षीय प्रताप आग की फैलती लपटों को बुझाने के साथ अपने जंगल की पहरेदारी कर रहे थे।

आग से जंगल को बचाने के लिए प्रताप हर वर्ष मार्च से मई तक यहां तीन-चार बार चीड़ के पिरुल व अन्य सूखे पत्तों को एकत्र कर उसकी खाद बना देते हैं। उनकी यह मेहनत जंगल में आग को विकराल होने से पहले ही नियंत्रित करने में मददगार साबित होती है। उत्तराखंड के जंगलों में आग के विकराल होने का एक प्रमुख कारण पिरुल भी है , जो आग को फैलाने में बारूद का काम करता है।

जंगल सुना रहा पर्यावरण सेवा की कहानी

हथौड़ा छोड़कर कुदाल थामने वाले प्रताप ने अपनी कठोर , नियमित और निस्वार्थ मेहनत के बूते पर्यावरण संरक्षण की पटकथा लिखी है। बीते वर्षों में प्रताप ने 300 से अधिक प्रजाति के दस लाख से अधिक पौधों का रोपण किया , इनकी बड़ी संजीदगी से परवरिश की , तब जाकर यह समृद्ध जंगल तैयार हुआ।

इस जंगल को उन्होंने अपने पिता के नाम से ‘ श्याम स्मृति वन ’ नाम दिया है। इसमें ब्राह्मी पादप से लेकर बरगद-पीपल के वृक्ष भी फैल रहे हैं। इसके अलावा प्रताप ने 0.2 हेक्टेयर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से हर्बल गार्डन तैयार किया है। इस पर उन्होंने वर्ष 2014 से कार्य शुरू किया था , जिसने अब घने जंगल का रूप ले लिया है।

शोधार्थी व पर्यटक भी करते हैं सैर

इस जंगल में शोधार्थी और पर्यटक भी पहुंचते हैं। इसलिए प्रताप ने घने मिश्रित जंगल में करीब दो किमी की पगडंडी भी बनाई है। पर्यटक और शोधार्थी इसी पगडंडी से सैर करते हैं। आसानी से पौधों के संबंध में जानकारी मिल सके , इसके लिए उन्होंने अधिकांश पौधों की गोद में नेम प्लेट भी लगाई है।

पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 55 किमी दूर डुंडा ब्लाक के भैंत गांव में वर्ष 1958 में जन्मे प्रताप पोखरियाल आठवीं तक ही पढ़ पाए। बचपन में आजीविका के लिए मोटर मैकेनिक का काम चुना। बचपन में पिता से मिली पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा से भैंत गांव में चार वन तैयार किए , फिर वर्ष 2004 से वरुणावत की तलहटी में पौधा रोपण करना शुरू किया।

निराश्रितों की सेवा

पर्यावरण के साथ समाज सेवा में भी प्रताप पीछे नहीं रहते। कोविड के दौरान स्वास्थ्य , प्रशासन , पुलिसकर्मी और आमजन को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए 10 हजार लीटर से अधिक गिलोय व अन्य जड़ी-बूटियों का काढ़ा और हर्बल चाय निश्शुल्क बांटी। इसके अलावा जिला अस्पताल उत्तरकाशी में 10 से अधिक निराश्रित एवं जरूरतमंद मरीजों की कई महीनों तक नियमित देखभाल की।

यह भी पढ़ें- जल्द बनेगा ऋषिकेश-नीलकंठ महादेव रोप-वे, जमीन की अड़चन हुई दूर; लंबे समय से उठती रही है मांग

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।