Gangotri and Yamunotri yatra 2020 लॉकडाउन के बीच विधि विधान के साथ खोले गए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट
लॉकडाउन के बीच गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट की विधि विधान के साथ खोल दिए गए हैं। भले ही कपाट खुलने के दौरान किसी भी श्रद्धालुओं ने धाम में दर्शन नहीं किए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 26 Apr 2020 09:42 PM (IST)
उत्तरकाशी, जेएनएन। लॉकडाउन के बीच गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट की विधि विधान के साथ खोल दिए गए हैं। भले ही कपाट खुलने के दौरान किसी भी श्रद्धालुओं ने धाम में दर्शन नहीं किए। इसके साथ ही दोनों धामों में शारीरिक दूरी का भी पालन किया गया। रविवार सुबह भैरों घाटी से गंगा की डोली गंगोत्री पहुंची। गंगोत्री में विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई। ठीक दोपहर 12.35 बजे पर गंगोत्री धाम के कपाट खोले गए, वहीं यमुना की डोली घर साली गांव से शनिदेव की अगुआई में सुबह 8 बजे यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। 11 बजे डोली यमुनोत्री धाम पहुंची। यमुनोत्री धाम में पूजा अर्चना के बाद यमुनोत्री धाम के कपाट भी 12:41 बजे खोल दिए गए। वहीं, केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खोले जाने हैं। जबकि, बदरीनाथ के कपाट आगामी 15 मई को खोले जाएंगे।
बता दें कि बीते रोज मुखबा में सुबह तीर्थ पुरोहितों ने मां गंगा की पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी। इसके बाद मां गंगा की उत्सव मूर्ति को सजाकर डोली में विराजमान किया गया। ठीक 12.30 बजे अभिजीत मुहूर्त पर डोली गंगोत्री की ओर रवाना हुई। इस दौरान मुखबा गांव के निवासियों समेत हर्षिल, धराली व बगोरी के ग्रामीणों ने घरों से ही मां गंगा के चरणों में पुष्प अर्पित किए। यह पहला मौका था, जब मुखबा के ग्रामीण शीतकालीन मंदिर परिसर में नहीं आ सके। मुखबा से मार्कंडेय मंदिर व देवी मंदिर होते जब डोली जांगला के निकट आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के कैंप कोपांग के पास से गुजरी तो आइटीबीपी के जवानों ने भी दूर से भी मां गंगा को प्रणाम किया। शाम को डोली रात्रि विश्रम के लिए भैरव घाटी स्थित भैवर मंदिर पहुंची।
इस मौके पर गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल, सह सचिव राजेश सेमवाल, तीर्थ पुरोहित प्रेमकांत सेमवाल, मुकेश सेमवाल, प्रभाकर सेमवाल, अनुज सेमवाल, विष्णु प्रसाद सेमवाल, अजय प्रकाश सेमवाल, अंशुमान सेमवाल, एसडीएम भटवाड़ी देवेंद्र नेगी, सीओ कमल सिंह पंवार, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. डीपी जोशी आदि मौजूद रहे। सबने शारीरिक दूरी के मानकों का विशेष ख्याल रखा।
घर की दहलीज पर छलक पड़ी आस्था की गंगाकोरोना वायरस की चेन तोड़ने के लिए प्रभावी लॉकडाउन आस्था के अनुष्ठान पर भी भारी दिखा। सिर्फ ढोल-दमाऊ की अनुगूंज ने ही हर्षिल घाटी को अहसास कराया की मां गंगा की उत्सव डोली मुखबा से गंगोत्री धाम के लिए रवाना हो गई है। सेना के बैंड की मधुर धुन, श्रद्धालुओं का हुजूम, मां गंगा की जय-जयकार और रणसिंघा की अनुगूंज भी गायब रही। बस! अविरल बह रही भागीरथी का कल-कल, छल-छल नाद ही गंगा की डोली यात्रा में प्राकृतिक संगीत घोल रहा था। लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए हर्षिल घाटी के ग्रामीणों ने घरों की दहलीज से ही मां गंगा को प्रणाम कर गंगोत्री धाम के लिए विदा किया। अपनी अधिष्ठात्री से दूरी ग्रामीणों के लिए बेहद भावुक कर देने वाला क्षण था।
यह भी पढ़ें: Kedarnath Yatra 2020: बाबा केदार की उत्सव डोली गौरीकुंड के लिए रवाना, 29 अप्रैल को खुलेंगे केदारनाथ के कपाटहर्षिल घाटी में स्थित मुखबा को मां गंगा का मायका माना जाता है। यहां लोग गंगा को एक बेटी की तरह स्नेह करते हैं। हर्षिल की पूर्व प्रधान 75 वर्षीय बसंती नेगी कहती हैं कि डोली यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका है, जब मुखबा सहित हर्षिल घाटी के ग्रामीण लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते गंगा को विदा देने नहीं पहुंच पाए। मुखबा गांव की सुलोचना सेमवाल और सुभद्रा सेमवाल कहती हैं वो मां गंगा को विदा करने नहीं जा सकीं, लेकिन नेत्रों से तो भाव खुद-ब-खुद छलक पड़े।
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