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गंगोत्री धाम को भागीरथी से खतरा, फिर जमा हुआ मलबा

गंगोत्री धाम में भागीरथी के दोनों ओर इतना मलबा जमा हो चुका है कि इससे बरसात में कभी भी भागीरथी का प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है। जो गंगोत्री में भारी तबाही का सबब बन सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 24 Apr 2018 02:31 PM (IST)
गंगोत्री धाम को भागीरथी से खतरा, फिर जमा हुआ मलबा
उत्‍तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम को भागीरथी (गंगा) नदी से ही बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। गंगोत्री धाम से 500 मीटर गोमुख की ओर अपस्ट्रीम में भागीरथी के दोनों ओर बीते तीन वर्षों में इतना मलबा जमा हो चुका है कि इससे बरसात में कभी भी भागीरथी का प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है। जो गंगोत्री में भारी तबाही का सबब बन सकता है। खतरे की इसी आशंका को देखते हुए गंगोत्री मंदिर समिति ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा है। 

उधर, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान भी गंगोत्री के पास भागीरथी नदी में बीते कुछ सालों से मलबा जमा होने की बात स्वीकारते हैं। कहते हैं कि मलबे से खतरे की आशंका की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी को दिए गए हैं। 

कमेटी में वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक और अन्य तकनीकी जानकार शामिल करने को कहा गया है। ताकि एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार हो सके।

गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल बताते हैं कि पहले गंगोत्री से लेकर गोमुख तक के क्षेत्र में बारिश की हल्की फुहारें ही देखने को मिलती थी। लेकिन, बीते पांच सालों से इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में मूसलाधार बारिश ने भूस्खलन की तीव्रता को बढ़ाने का काम किया है। 

गंगोत्री से एक किमी गोमुख की ओर वर्ष 2014 में देवऋषि गदेरे में आया उफान अपने साथ भारी मलबा भी लाया था। सबसे अधिक मलबा भगीरथ शिला घाट से लेकर गोमुख की ओर मोनी बाबा आश्रम के बीच जमा है। वर्ष 2016 में चीड़बासा के पास स्थित गदेरे में हुए भूस्खलन का मलबा भी यहां जमा है। इसके अलावा वर्ष 2017 में मेरू ग्लेशियर के पास नीलताल टूटने के कारण गोमुख में मची तबाही के मलबे ने भी भागीरथी के तल को काफी ऊपर उठा दिया। 

सेमवाल के अनुसार यदि बरसात से पहले इस मलबे को नहीं हटाया गया तो इससे भागीरथी के अवरुद्ध होने से डाउन स्ट्रीम में गंगोत्री धाम की ओर तबाही का खतरा है। क्योंकि पिछले पांच वर्षों से भागीरथी अपनी दाहिनी ओर यानी गंगोत्री धाम की ओर बने घाटों पर कटाव कर रही है। 

इस सबके बावजूद अब तक गंगोत्री पर मंडरा रहे इस खतरे को टालने के लिए कोई पहल सामने नहीं आई है। वहीं, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल कहते हैं कि जिलाधिकारी के निर्देश पर कमेटी बनाई जा रही है। वाडिया समेत अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों से सहयोग के लिए इस संबंध में शासन को भी पत्र भेजा जा रहा है।

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