जांबाज मोहनलाल बेटियों से सुनते थे गीत-कहानियां, सुनाते थे संघर्ष के किस्से
जांबाज मोहनलाल बेटियों से गीत और कहानियां सुनाते थे। साथ ही उन्हें भी अपने संघर्ष के किस्सों के बारे में बताया करते थे।
By Edited By: Updated: Mon, 18 Feb 2019 01:31 PM (IST)
बनकोट(उत्तरकाशी), शैलेंद्र गोदियाल। 'बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रही थीं, 'पिता तुम पर गर्व है' चुपचाप जा कर बोल आई'। कवि कुमार विश्वास की ये पंक्तियां शहीद मोहन लाल रतूड़ी की बेटियों पर चरितार्थ होती हैं।
शहीद की सबसे छोटी बेटी गंगा कहती है, 'जब पापा छुट्टी आते थे तो मैं उन्हें गीत सुनाया करती थी। जिस पर पापा खुश होते थे। पापा पहले मुझे डॉक्टर बनने के लिए कहते थे। पर, जब पापा नवंबर 2018 में छुट्टी आए तो मैंने उनसे संगीत सीखने की जिद की। तब पापा बोले, ठीक है! संगीत के क्षेत्र में ही आगे बढ़ना चाहती है तो खूब मेहनत कर, कभी पीछे मत देखना।' इतना कहते-कहते गंगा की आंखें नम हो गईं।
फिर सुबकते-सुबकते बोली, 'मेरी ख्वाहिश थी कि मैं पापा को कुछ करके दिखाऊंगी और कुछ गीत भी सुनाऊंगी। पर, पापा तो बिन बताए ही चले गए। मेरे पापा मेरे सबसे बड़े हीरो हैं।' इसके बाद गंगा रोने लगी, तो बड़ी बहन वैष्णवी ने उसे जैसे-तैसे ढाढस बंधाया। गंगा(16 वर्ष) 12वीं की छात्रा है और केंद्रीय विद्यालय सीमाद्वार (देहरादून) में पढ़ रही है। वैष्णवी(18 वर्ष) कहती है, 'पापा जब भी छुट्टी आते थे तो यह नहीं बताते थे कि कब आ रहे हैं। उनका छुट्टी आना हमारे लिए सरप्राइज होता था। पापा हमें अपने संघर्ष के बारे में बताते थे और मैं उन्हें कहानियां सुनाती थी। मैंने पापा से पूछा था कि हमारे देश में आतंकवादी कैसे घुस जाते हैं। तब पापा ने बताया कि कुछ लोग हैं, जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं। जिस दिन ऐसे गद्दारों का देश से खात्मा हो जाएगा, देश में खुशियां लौट आएंगी।'
गांव में बसना चाहते थे मोहन लाल
शहीद मोहन लाल रतूड़ी उत्तरकाशी जिले के बनकोट गांव के निवासी थे। बनकोट जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 55 किमी की दूरी पर है। गांव तक सड़क भी पहुंच चुकी है। वर्ष 1987 में मोहन लाल सीआरपीएफ में भर्ती हुए। उन्हें वर्ष 2024 में सेवानिवृत्त होना था। मोहन लाल की तीन बेटियां और दो बेटे हैं। सबसे बड़ी बेटी अनुसूया की वर्ष 2012 में शादी हो चुकी है। जबकि, बड़ा बेटा शंकर ऋषिकेश में योगाचार्य है। तीसरे नंबर की बेटी वैष्णवी है, जिसने स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली है। गंगा चौथे नंबर की बेटी है और सबसे छोटा बेटा श्रीराम देहरादून में नवीं में पढ़ रहा है। मोहन लाल का देहरादून में अपना मकान नहीं है। उनकी इच्छा सेवानिवृत्ति के बाद गांव में ही बसने की थी।
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