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हिमाचल की पेटियों में बिक रहा है हर्षिल का सेब, उत्पादकों में है मायूसी

आज भी उत्‍तराखंड के हर्षिल के सेब हिमाचल प्रदेश की पेटियों में बाजार तक पहुंच रहा है। इससे सेब उत्पादकों में मायूसी भी है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 28 Apr 2019 07:41 PM (IST)
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हिमाचल की पेटियों में बिक रहा है हर्षिल का सेब, उत्पादकों में है मायूसी
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। उत्तर प्रदेश से अलग राज्य बने हुए 18 साल हो गए, लेकिन सरकार अभी तक उत्तराखंड के सेब की ब्रांडिंग को लेकर गंभीर नहीं हो पाई है। आज भी यहां सेब हिमाचल प्रदेश की पेटियों में बाजार तक पहुंच रहा है। इससे सेब उत्पादकों में मायूसी भी है। वे कहते हैं कि 'विडंबना ही है कि हमें अपना उत्पादन बेचने के लिए दूसरे राज्य का सहारा लेना पड़ रहा है।' यह अलग बात है कि उद्यान विभाग को इस बारे में कुछ नहीं पता।

प्रदेश में उत्तरकाशी जिले में सेब की सर्वाधिक पैदावार होती है। विशेषकर गुणवत्ता के मामले में हर्षिल क्षेत्र के सेब अव्वल माना जाता है। दरअसल, उत्तरकाशी के पास हर्षिल में वर्ष 1925 में एक ब्रिटिश नागरिक विल्सन ने पहले-पहल सेब का बगीचा लगाया था। वर्ष 1960 के बाद सेब उत्पादन में लोगों की रुचि बढ़ी तो यह व्यवसाय के तौर पर अपनाए जाने लगा। वर्तमान में उत्तरकाशी जिले में करीब दस हेक्टेयर क्षेत्रफल में सेब के बगीचे हैं और प्रतिवर्ष करीब 20500 मीट्रिक टन उत्पादन होता है। 

हर्षिल घाटी की फल एवं विपणन समिति के अध्यक्ष जयेंद्र पंवार ने बताया कि हर्षिल का सेब ए-ग्रेड का है, लेकिन पैकिंग के लिए पेटियां उपलब्ध नहीं हैं। मजबूरन पैकिंग के लिए हिमाचल प्रदेश की पेटियों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। 

हालांकि उत्तरकाशी के अपर उद्यान अधिकारी एके मिश्रा ने बताया कि इस बारे में जानकारी नहीं है। यदि यदि ऐसा है तो इसका निरीक्षण किया जाएगा और अपनी पेटियों में ही हर्षिल के सेब की पैकिंग की जाएगी।

पहले दी गईं थीं निम्न गुणवत्ता की पेटियां 

वर्ष 2015 में उद्यान विभाग ने सेब की पैकिंग के लिए हर्षिल एप्पल नाम से पेटियां बनाईं, लेकिन बागवानों के अनुसार इनकी गुणवत्ता बेहद निम्न थी। पैकिंग के वक्त कई पेटियां फट गईं। वर्ष 2016 में बागवानों ने मजबूरन हिमाचल एप्पल की पेटियां मंगवाई।

उत्तरकाशी में सेब उत्पादन पर नजर 

  • सेब उत्पादन का क्षेत्रफल- 9372 हेक्टेयर 
  • सेब का प्रति वर्ष उत्पादन -20529 मीट्रिक टन 
  • प्रमुख प्रजाति- रॉयल डेलिशस, रेड डेलिशस, रेड गोल्डन, ग्रीन स्वीप, गोल्डन, सेनी, अर्ली सनवरी 
  • उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र- गंगा घाटी में हर्षिल, झाला, सुक्की, मुखबा, धराली और यमुना घाटी में स्योरी, मोराल्टू, कोटियाल गांव, जखोल, सांकरी, आराकोट, नटवाड़। 
बोले मंत्री जी

कृषि और उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि उत्तराखंड के सेब की ब्राडिंग को लेकर सरकार सजग है। उत्तराखंड एप्पल के नाम से पेटियां तैयार करने का जिम्मा मंडी समितियों को दिया गया है। गुणवत्ता पर विशेष फोकस करने के निर्देश दिए गए हैं। पैकिंग से पहले बागवानों को पेटियां उपलब्ध करा दी जाएंगी। 

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