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भार क्षमता जांच में पास हुआ देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज Uttarkashi News

गंगोत्री नेशनल हाईवे पर गंगोरी के पास बने भारत के पहले न्यू जनरेशन ब्रिज की भार क्षमता की जांच पूरी हो चुकी है और ब्रिज पर यातायात भी शुरू हो चुका है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 06 Jul 2020 07:32 PM (IST)
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भार क्षमता जांच में पास हुआ देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज Uttarkashi News
उत्तरकाशी, जेएनएन। गंगोत्री नेशनल हाईवे पर गंगोरी के पास बने भारत के पहले न्यू जनरेशन ब्रिज की भार क्षमता की जांच पूरी हो चुकी है और ब्रिज पर यातायात भी शुरू हो चुका है। इंजीनियरिंग टीम ने 100 टन का भार ब्रिज के मध्य में रखा है। 

शनिवार की शाम सात बजे से सोमवार सुबह दस बजे तक ब्रिज की भार क्षमता मापी गई। अपनी भार क्षमता में यह ब्रिज पास हुआ। अब इस पुल से 70 टन के वाहनों का आवागमन आसानी से हो सकेगा। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह पुल सेना के वाहनों के लिए भी किफायती होगा। सोमवार की सुबह दस बजे भार क्षमता का कार्य पूरा होने पर ब्रिज को यातायात के लिए सुचारु किया गया है। जिसके बाद गंगोत्री धाम सहित भारत-चीन बॉर्डर और भटवाड़ी ब्लाक के 80 गांवों का यातायात संपर्क  जुड़ा।

गंगोरी के पास वर्ष 2008 से 2019 तक गंगोत्री हाईवे पर बने चार पुल टूटे। इसके बाद बीआरओ की मांग पर कोलकाता की गार्डन रीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स कंपनी ने न्यू जनरेशन ब्रिज का डिजाइन तैयार किया। साथ ही उसके कलपुर्जे भी तैयार किए। बीआरओ ने मई माह में न्यू जनरेशन ब्रिज बनाया, जिसके बाद से इस ब्रिज से वाहनों का संचालन भी शुरू हुआ। 

लेकिन, इस ब्रिज की भार क्षमता की जांच नहीं हुई थी। शनिवार को भार क्षमता की जांच करने के लिए टीम पहुंची। शनिवार की शाम से लेकर सोमवार सुबह तक जांच चली। बीआरओ के कमांडर विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गंगोरी में असी गंगा पर स्थित न्यू जनरेशन ब्रिज भार क्षमता की जांच में पास हो गया है। ब्रिज में 24 घंटे से अधिक समय तक 100 टन का भार दिया गया। अब यह पुल 70 टन की भार क्षमता के लिए पूरी तरह से पास है। 

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इसलिए दिया न्यू जनरेशन ब्रिज नाम

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि बेली ब्रिज की भार क्षमता 20-25 टन और चौड़ाई 3.75 मीटर होती है। बेली ब्रिज के निर्माण में सिर्फ लोहे का उपयोग होता है, लेकिन गंगोरी के पास बीआरओ ने जो न्यू जनरेशन ब्रिज बनाया है, उसमें स्टील और लोहे के कलपुर्जों का भी उपयोग हुआ है। इसी कारण बेली ब्रिज की तुलना में न्यू जनरेशन ब्रिज का भार कम होता है। बताया कि इस पुल की चौड़ाई 4.25 मीटर और भार क्षमता 70 टन है। हाइवे के पक्के मोटर पुल की भार क्षमता भी 70 टन के आसपास होती है। सिर्फ इस पुल को जोड़ने की तकनीक बेली ब्रिज की तरह है, जो 30 दिनों के अंतराल में तैयार हो जाता है। इसलिए पुल का डिजाइन तैयार करने वाली जीआरएसई कंपनी ने इसे न्यू जनरेशन ब्रिज नाम दिया है।

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