चीन सीमा पर बनेगा देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज, पढ़िए पूरी खबर
उत्तरकाशी में भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाले गंगोत्री हाईवे पर गंगोरी के पास देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनने जा रहा है। यह वर्तमान बेली ब्रिज का स्थान लेगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 14 Oct 2019 09:03 PM (IST)
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से पांच किमी दूर भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाले गंगोत्री हाईवे पर गंगोरी के पास देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनने जा रहा है। यह वर्तमान बेली ब्रिज का स्थान लेगा। 70 टन से अधिक भार क्षमता का 190 फीट लंबा यह पुल डबल लेन होगा और पक्के मोटर पुल की तरह की काम करेगा। अभी तक इस तरह के पुलों का निर्माण विदेशों में ही होता आया है। पुल के निर्माण को कोलकाता से एंगल, प्लेट व कलपुर्जे पहुंचने लगे हैं। जिन्हें कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) कंपनी ने तैयार किया है। कंपनी इस पुल को अपने पहले मॉडल के रूप में लेगी।
बेली ब्रिज की भार क्षमता कम होती है। साथ ही वह सिंगल लेन ही होता है। नतीजा उससे भारी वाहन नहीं गुजर पाते। गंगोत्री हाईवे पर गंगोरी के पास असी गंगा नदी पर बने बेली ब्रिज के साथ भी यही समस्या आ रही है। इसी के मद्देजनर स्थायी समाधान के लिए कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स कंपनी ने नए पुल का डिजाइन और उसके कलपुर्जे भी तैयार किए हैं। इन दिनों यह सामान गंगोरी पहुंचाया जा रहा है। जीआरएसई कंपनी ने इस प्रस्तावित पुल को 'न्यू जनरेशन ब्रिज' नाम दिया है।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) शिवालिक परियोजना (ऋषिकेश) के मुख्य अभियंता एएस राठौर ने बताया कि अपनी तरह का यह देश का पहला ब्रिज होगा। साथ ही यह बेली ब्रिज की तुलना में हल्का भी होगा, लेकिन इसकी भार क्षमता पक्के मोटर पुल की तरह ही होगी। डबल लेन होने के कारण इस पर आसानी से वाहन भी पास हो सकेंगे। बताया कि इस पुल को जोड़ने की तकनीक बेली ब्रिज की तरह ही होगी और महज 30 दिनों के अंतराल में इसे तैयार किया जा सकेगा।
मुख्य अभियंता ने बताया कि नए पुल के निर्माण के लिए पहले वर्तमान बेली ब्रिज को हटाया जाएगा। वाहनों के संचालन को बीआरओ ने असी गंगा नदी में ह्यूम पाइप डालकर वैकल्पिक मार्ग बना तैयार कर दिया है। जल्दी ही न्यू जनरेशन ब्रिज का निर्माण भी शुरू हो जाएगा।
11 वर्षों में धराशायी हुए चार पुल गंगोरी में असी गंगा नदी को पार करने के लिए 70 के दशक में बना पुल वर्ष 2005 में जर्जर हो गया था। इसके बाद यहां नया पुल स्वीकृत हुआ, जिसे वर्ष 2008 में बनकर तैयार हो जाना था। लेकिन, 18 मार्च 2008 को फिनिशिंग कार्य के दौरान ही यह धराशायी हो गया।
नतीजा, बीआरओ ने यहां स्थायी पुल बनाने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया और वर्ष 2012 की बरसात तक यहां पुराने जर्जर पुल से ही यातायात संचालित होता रहा। तीन अगस्त 2012 को असी गंगा नदी में आई भारी बाढ़ इस पुल को भी बहा ले गई। तब सेना व बीआरओ ने यहां 190 फीट लंबे और 18 टन भार क्षमता के बेली ब्रिज का निर्माण किया।यह भी पढ़ें: मीटर रीडिंग दिए बिना ही बन जाएगा पानी का बिल, जानिए
यह भी 14 दिसंबर 2017 को ओवरलोड ट्रकों के गुजरने से टूट गया। आठ जनवरी 2018 में यहां फिर बेली ब्रिज बनाया गया, जो तीन महीने बाद एक अप्रैल को टूट गया। जून 2018 में एक बार फिर यहां नया बेली ब्रिज बना, जो अब जर्जर स्थिति में पहुंच गया है।यह भी पढ़ें: बीएचईएल बना रहा विश्व की ऐसी पहली टरबाइन, जिसमें कोयले की होगी कम खपत
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