उत्तराखंड में आकार ले रहा देश का पहला जिम्नोस्पर्म पार्क, 90 फीसदी काम हुआ पूरा; जुरासिक युग का दुर्लभ पौधा भी है यहां
उत्तराखंड में देश का पहला जिम्नोस्पर्म पार्क बनकर तैयार है। समुद्रतल से 7500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस पार्क में जिम्नोस्पर्म पौधों की 25 प्रजातियां रोपी गई हैं। इनमें जिन्कगो और थुनेर जैसे दुर्लभ पौधे भी शामिल हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की सूची में लुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया है। यहां व्याख्यान केंद्र भी बनाया गया है जहां जिम्नोस्पर्म पौधों के बारे में जानकारी प्रदर्शित की जाएगी।
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद बौखनाग देवता मंदिर के कारण चर्चा में आए राड़ीटाप के पास देश का पहला जिम्नोस्पर्म पार्क तैयार होने वाला है। समुद्रतल से 7,500 फीट की ऊंचाई पर जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 80 किमी दूर बन रहे इस पार्क को शोधार्थियों समेत आमजन के लिए खोल दिया गया है।
ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस पार्क को उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान शाखा तैयार कर रही है, जिसका 90 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो चुका है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस पार्क में जिम्नोस्पर्म पौधों की 25 महत्वपूर्ण प्रजाति रोपी गई हैं।
इनमें जिन्कगो व थुनेर जैसे दुर्लभ पौधे भी शामिल हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की सूची में लुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया है। वर्ष 2021 में अनुसंधान सलाहकार समिति ने देश का पहला जिम्नोस्पर्म पार्क विकसित करने की योजना को मंजूरी दी थी। उद्देश्य था जिम्नोस्पर्म पौधों का समूह स्थापित करना, ताकि इनका संरक्षण हो सके।
नग्न बीज वाले पौधे हैं जिम्नोस्पर्म
वन अनुसंधान शाखा के मुख्य संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के अनुसार उत्तराखंड में जिम्नोस्पर्म की लगभग 16 प्रजाति मिलती हैं। जिम्नोस्पर्म (नग्न बीज वाले पौधे) वनस्पति के महत्वपूर्ण समूह हैं। पौधों के विकास के इतिहास में ये पौधे दूसरे चरण से संबंधित हैं, जो वन्यजीव और मनुष्य, दोनों के लिए भोजन का एक अच्छा स्रोत हैं। सजावटी और इमारती लकड़ी भी इनसे प्राप्त होती है। चीन और जापान में इन पौधों से कई प्रकार की औषधि बनाई जाती हैं।उत्तराखंड में हुए हैं उल्लेखनीय कार्य
अनुसंधान शाखा की ओर से बीते वर्षों के दौरान राज्य में कुछ खास वनस्पति केंद्र स्थापित किए गए हैं। इनमें पिथौरागढ़ में लाइकेन गार्डन, नैनीताल में मास गार्डन, देहरादून में क्रिप्टोगैमिक गार्डन, अल्मोड़ा में फर्नरी व हल्द्वानी में एरोमैटिक गार्डन शामिल हैं। इसके अलावा रानीखेत में हिमालयन मसाला उद्यान और उत्तरकाशी में अष्टवर्ग संरक्षण केंद्र भी शामिल है।
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