Silkyara Tunnel का अलाइनमेंट गलत, निगरानी में भी चूक; प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में सुरंग में भूस्खलन के कई कारण आए सामने
Silkyara Tunnel Collapse News सिलक्यारा सुरंग में हुए भूस्खलन की विस्तृत जांच जारी है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में हादसे की प्रमुख वजह शीयर जोन (चट्टान का संवेदनशील हिस्सा) के लिहाज से परियोजना के गलत अलाइनमेंट पिछली घटनाओं से सबक नहीं लेने पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी और प्रोजेक्ट की री-प्रोफाइलिंग नहीं किए जाने को बताया गया है। पढ़ें पूरी खबर...
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Silkyara Tunnel Collapse News: सिलक्यारा सुरंग में हुए भूस्खलन की विस्तृत जांच जारी है। फिलहाल, उच्चस्तरीय जांच समिति ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें सुरंग में हुए हादसे के लिए कई कारण गिनाए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में हादसे की प्रमुख वजह शीयर जोन (चट्टान का संवेदनशील हिस्सा) के लिहाज से परियोजना के गलत अलाइनमेंट, पिछली घटनाओं से सबक नहीं लेने, पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी और प्रोजेक्ट की री-प्रोफाइलिंग नहीं किए जाने को बताया गया है।
प्रारंभिक रिपोर्ट से निर्माणदायी कंपनी के अधिकारियों में हड़कंप
यह बात भी सामने आई है कि निर्माण कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग को कार्यदायी संस्था नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के नियुक्त प्राधिकारी से काम करने की पद्धति की मंजूरी नहीं मिली थी। इसके अलावा कार्यदायी संस्था की निगरानी की कमी भी उजागर हुई है। प्रारंभिक रिपोर्ट से कार्यदायी संस्था के साथ ही निर्माणदायी कंपनी के अधिकारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर सिलक्यारा में चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर की सुबह 5:30 बजे सिलक्यारा की ओर कैविटी खुलने के कारण भारी भूस्खलन हुआ था। इससे सुरंग का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया और 41 श्रमिक 17 दिन अंदर फंसे रहे।
22 दिसंबर को मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट
इस घटना की जांच के लिए दिसंबर के दूसरे सप्ताह में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति सिलक्यारा पहुंची थी। समिति ने यहां चार दिन तक गहन जांच की, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट 22 दिसंबर को मंत्रालय को सौंपी गई।
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में सुरंग में सेंसर और उपकरणों की कमी की ओर इशारा किया गया है, जो री-प्रोफाइलिंग के दौरान जमीनी व्यवहार को पकड़ते हैं ताकि जरूरी सावधानी बरती जा सके। विशेषज्ञों के अनुसार, सुरंग निर्माण के दौरान फाइनल लाइनिंग से पहले कैविटी (खोखला स्थान) या किसी अन्य तरह की विकृति की मरम्मत के लिए री-प्रोफाइलिंग की जाती है। इतना ही नहीं, सिलक्यारा में सुरंग की खोदाई के बाद पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं की गई।
कंपनी की एक और लापरवाही आई सामने
कंपनी ने शीयर जोन को उचित सहारा दिए बिना ही सुरंग की आगे की खोदाई जारी रखी। शीयर जोन चट्टान का संवेदनशील हिस्सा होता है, जिसमें कमजोर और पतली चट्टानें होती हैं। इस जोन में सुरंग निर्माण में अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट में नवयुग कंपनी की एक और लापरवाही इंगित की गई है कि पिछले चार वर्ष में सुरंग निर्माण के दौरान 21 बार भूस्खलन से कैविटी बनी, मगर कंपनी ने सावधानी नहीं बरती।
एसओपी का सुझाव
सूत्रों के अनुसार, जांच समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए हैं, जिससे सिलक्यारा हादसे की पुनरावृत्ति न होने पाए। पहला सुझाव दिया गया है कि सड़क और रेलवे की सुरंग निर्माण के लिए एक सुरंग केंद्र स्थापित किया जाए। साथ ही सुरंग सुरक्षा के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित करने और विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र में परियोजनाओं की बेहतर योजना व निष्पादन के लिए भूवैज्ञानिक सहयोगात्मक ढांचे की आवश्यकता बताई गई है।
एचआइडीसीएल तकनीकी निदेशक टीके वैद्य के अनुसार, प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मंत्रालय को दिए जाने की जानकारी मिली है, लेकिन रिपोर्ट में क्या है, इस बारे में नहीं मालूम। अभी सुरंग में निर्माण कार्य बंद है। रिपोर्ट के अनुसार ही सुरंग निर्माण और कैविटी का उपचार शुरू किया जाएगा।
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