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Uttarkashi News: सावधान! क्या आपका बच्चा भी देखता है मोबाइल, अंधेपन का हो सकता है शिकार

Uttarkashi News ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल बच्चों को कमजोरी व चिड़चिड़ेपन की ओर बढ़ा रहा। इसके साथ ही ये मोबाइल फोन की लत बच्चों की आंखों के लिए हानिकारक हैं। बाल रोग विशेषज्ञों ने दी अभिभावकों को बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की सलाह। वहीं शोध की मानें तो कोरोना महामारी के वक्त लगे लॉकडाउन ने बच्चों को मोबाइल फोन की लत लगा गया।

By Shailendra prasadEdited By: Swati SinghUpdated: Tue, 07 Nov 2023 12:25 PM (IST)
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बच्चों को लग रही है मोबाइल फोन की लत
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। इन दिनों बच्चों के हाथों में किताब कम मोबाइल फोन ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसी की प्रभाव हैं कि कम उम्र में ही बच्चों की आंखों पर नजर का चश्मा चढ़ गया है। मोबाइल का प्रभाव बच्चों की आंखों पर पड़ रहा है। इस बात की पुष्टि केंद्रीय विद्यालय उत्तरकाशी में आयोजित निशुल्क नेत्र जांच शिविर में हुई।

अनिल आइ केयर एंड ऑप्टिकल जोशियाड़ा की ओर से आयोजित नेत्र जांच शिविर में 800 छात्र-छात्राओं की जांच की गई। जिसमें 206 छात्र-छात्राओं में नेत्र संबंधित दिक्कतें पाई गई। केंद्रीय विद्यालय मनेरा में आयोजित नेत्र जांच शिविर में नेत्र विशेषज्ञ अनिल सिंह ने बताया कि 13 से 15 वष्र तक के बच्चों के चश्में का नंबर हर छह महीने बदल रहा है। कोविड के बाद यह बदलाव तेजी से बढ़ा है।

लॉकडाउन में बच्चों को लगी लत

नेत्र विशेषज्ञ अनिल सिंह ने कहा कि लॉकडाउन में बच्चों को मोबाइल की जो आदत लगी थी। वह लगातार बढ़ रही है। बच्चों की आंखो के लिए मोबाइल बेहद ही घातक साबित हो रह है। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों में नेत्र संबंधित परेशानी का सामने आना चिंताजनक है।

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अभिभावक न करें नजरअंदाज

अनिल सिंह ने अभिभावकों से बच्चों पर ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को इसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों की आंखों में दर्द व ड्राइनेस महसूस होने की बात को गंभीरता से लें और चिकित्सकों से उचित सलाह लें।

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