गंगा का उद्गम देख चिंतित हुए बंगाल के पर्वतारोही, जानिए क्या कहा
बंगाल का एक पर्वतारोही दल गंगा के उद्गम की हालत देख काफी चिंतित हुआ। बता दें गोमुख क्षेत्र में भारी बारिश होने से नील ताल टूट गया। जिससे यहां मलबे का ढेर लग गया है।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: ईशापुर (पश्चिम बंगाल) के पर्वतारोहियों ने जब भागीरथी (गंगा) के उद्गम स्थल गोमुख में लगे मलबे के ढेर और गोमुख की बदली हुई आकृति को देखा तो वे काफी चिंतित हुए। दल में शामिल विप्लव चटर्जी बोले, 'वर्ष 2001 से अब तक मैं छह बार गोमुख-तपोवन आ चुका हूं, लेकिन गंगा के उद्गम का ऐसा बदला हुआ रूप कभी नहीं देखा। पहले गोमुख में गंगोत्री ग्लेशियर काफी ऊंचा था, लेकिन मेरू पर्वत की ओर से आए मलबे के कारण अब इसकी ऊंचाई आधी रह गई है।' गोमुख में इस तरह का बदलाव देख अन्य पर्वतारोही भी खासे चिंतित थे।
16 जुलाई 2017 को गोमुख क्षेत्र में जबरदस्त बारिश होने से मेरू पर्वत की तलहटी में नील ताल टूट गया था। नतीजा, सैलाब के साथ आया पूरा मलबा गोमुख क्षेत्र में जमा हो गया, जिससे भागीरथी की धारा भी प्रभावित हुई। पश्चिम बंगाल ईशापुर राइफल फैक्ट्री स्पोर्ट्स संघ के महासचिव विप्लव चटर्जी बताते हैं कि वे जोगिन, भागीरथी-टू सहित कई चोटियों के आरोहण अभियान में शामिल हो चुके हैं।
इस बार भी वे भागीरथी-टू के आरोहण अभियान के सात सदस्यीय दल में शामिल थे। उनका दल हाई विंड ट्रैकिंग एंड माउंटेनियरिंग एजेंसी के नेतृत्व में आठ जून को गंगोत्री से रवाना हुआ था। जब वे गोमुख के निकट पहुंचे तो गंगा के उद्गम का बदला स्वरूप देख कर हैरान रह गए।
भागीरथी-टू का आरोहण करने वाले ईशापुर के राधेश्याम हलदार कहते हैं, गोमुख क्षेत्र में मलबे के ढेर के कारण भागीरथी की धारा पहले बायीं ओर से करीब सौ मीटर दायीं ओर आ रही है और फिर गंगोत्री की ओर बढ़ रही है। जबकि, वर्ष 2010 में भागीरथी का उद्गम स्थल गाय के मुंह की तरह दिखता था।
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