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स्वतंत्रता के सारथी: शिक्षकों के संकल्प ने बनाया नए स्वरूप का आदर्श विद्यालय

उत्तरकाशी जिले का प्राथमिक विद्यालय बड़ेथी अंधेरे में प्रकाश की बनकर उभरा है। विद्यालय में शिक्षा में गुणात्मक सुधार के साथ साल-दर-साल नौनिहालों की संख्या भी रही है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 12 Aug 2019 09:07 PM (IST)
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स्वतंत्रता के सारथी: शिक्षकों के संकल्प ने बनाया नए स्वरूप का आदर्श विद्यालय
उत्‍तराकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। सरकारी स्कूलों में लटके ताले, 'शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल', 'शिक्षक न होने से पढ़ाई चौपट' जैसी खबरों के बीच उत्तरकाशी जिले का प्राथमिक विद्यालय बड़ेथी अंधेरे में प्रकाश की बनकर उभरा है। विद्यालय में शिक्षा में गुणात्मक सुधार के साथ साल-दर-साल नौनिहालों की संख्या भी रही है। यह सब संभव हो पाया विद्यालय के प्रधानाध्यापक समेत छह शिक्षकों के बेहतर शिक्षा प्रबंधन से। इन शिक्षकों ने विद्यालय को आदर्श से भी बेहतर बना दिया है। जो शिक्षा के निजीकरण के दौर में सरकारी शिक्षा पर भरोसा जगा रहा है। 

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 28 किमी दूर चिन्यालीसौड़ नगर पालिका क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय बड़ेथी वर्ष 1972 में अस्तित्व में आया था। लेकिन, यहां परिवर्तन की पटकथा वर्ष 2016 से लिखनी शुरू हुई। तब तक विद्यालय में पंजीकृत 38 छात्र-छात्राओं को टाट-पट्टी पर बैठना पड़ता था और वह खेल व कंप्यूटर के ज्ञान से भी महरूम थे। अप्रैल 2016 में विद्यालय के आदर्श घोषित होने के बाद यहां चार नए शिक्षकों की तैनाती हुई। इसके बाद विद्यालय में शिक्षकों की संख्या प्रधानाध्यापक समेत छह हो गई। इन सभी ने मिलकर सरकारी शिक्षा में सुधार लाने का संकल्प लिया और विद्यालय में नर्सरी व यूकेजी की कक्षाएं भी शुरू हुई। वर्ष 2017 में बच्चों की संख्या 74 पहुंच गई। अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से हटाकर यहां दाखिला दिलाने लगे। इसका नतीजा यह हुआ कि बड़ेथी में एक प्राइवेट स्कूल पर ताला लटक गया। अब इस विद्यालय में शिक्षा का स्तर इतना बेहतर हो गया है कि इस बार यहां से दो छात्रों का चयन नवोदय विद्यालय के लिए हुआ और कई छात्र राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए चुने गए। वर्तमान में विद्यालय की छात्र संख्या 113 है। विशेष यह कि विद्यालय के शिक्षक बच्चों के जरूरत की वस्तुएं ही नहीं, उन्हें शैक्षिक भ्रमण भी खुद के खर्चे पर ही कराते हैं।

बोलचाल में अंग्रेजी अनिवार्य 

बच्चों को पाठ्यक्रम के अलावा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी दिया जा रहा है। ङ्क्षहदी व गढ़वाली के साथ बोलचाल में अंग्रेजी को भी अनिवार्य किया गया है। प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर बच्चे ड्रेस, ट्रैकसूट, टाई-बेल्ट के साथ स्कूल पहुंचते हैं। उन्हें पढ़ाई के साथ शिष्टाचार, नैतिक व सामान्य ज्ञान और जिला व राज्य में होने वाली सरकारी व राजनीतिक हलचल के बारे में भी बताया जाता है। बच्चों के लिए मिड-डे मील की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

शिक्षक भी रहते हैं ड्रेस में 

प्रदेश में सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों के लिए सरकार ने ड्रेस कोड लागू किया हुआ है। लेकिन, जिले में सिर्फ प्राथमिक विद्यालय बड़ेथी ही एकमात्र सरकारी विद्यालय है, जहां शिक्षक ड्रेस कोड का पालन किया जा रहा है।

विद्यालय में उपलब्ध सुविधाएं

अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण, सभी विषयों के शिक्षक, कंप्यूटर की कक्षाएं, स्मार्ट क्लास की तर्ज पर शिक्षण, लाइब्रेरी की सुविधा, गणित किट एवं टीएलएम कॉर्नर, शैक्षिक भ्रमण कैलेंडर, प्रत्येक कक्षा के लिए बैठने की व्यवस्था, मासिक टेस्ट की अनिवार्यता, सामान्य ज्ञान के साथ प्रार्थना सभा, बोलचाल में अंग्रेजी भाषा पर विशेष ध्यान, बैठने के लिए आरामदायक फर्नीचर, खेल मैदान व खेल सामग्री, दैनिक अखबार व बाल पत्रिकाओं का वाचन, छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय आदि।

इन शिक्षकों के प्रबंधन ने बदली तस्वीर 

संजय कुकसाल (प्रधानाध्यापक), सुशीला रावत, मुरारी राणा, डॉ. मुकेश नौटियाल, मीना भट्ट व बिंदु गुसार्इं पडियार (सहायक अध्यापक)। 

इस तरह से बढ़ी छात्र संख्या 

  • वर्ष---------------छात्र
  • 2016---------------38
  • 2017---------------74
  • 2018---------------101 
  • 2019---------------113

बोले मुख्‍य शिक्षा अधिकारी

रमेश चंद्र आर्य (मुख्य शिक्षा अधिकारी, उत्तरकाशी) का कहना है कि इस आदर्श विद्यालय से जिले के अन्य आदर्श विद्यालयों के शिक्षकों को भी सीख लेनी चाहिए। किस तरह से आपसी समन्वय स्थापित कर शिक्षकों ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाई है। गांव के बच्चों को शिक्षकों ने देहरादून में एफआरआइ, विज्ञान धाम व विधानसभा का शैक्षणिक भ्रमण तो कराया ही, उन्हें रेल यात्रा भी कराई। शिक्षा की बेहतरी के लिए शिक्षक भी अपने स्तर से इस तरह के प्रयास करते रहते हैं।

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