सिलक्यारा सुरंग हादसे का एक साल पूरा, भूस्खलन का मलबा हटाने को बनाई जा रही तीन ड्रिफ्ट सुरंग… अब तक क्या-क्या बदला?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य चल रहा है। बीते वर्ष 12 नवंबर को इस सुरंग में भूस्खलन होने से 41 श्रमिक अंदर फंस गए थे जिन्हें 17 दिन बाद बचाया गया था। हादसे के बाद सुरंग में सुरक्षा को लेकर कुछ बदलाव हुए लेकिन निर्माण की गति में प्रभावी तेजी नहीं आ पाई।
अभी भी निर्माण में बाधा बन रहा भूस्खलन का मलबा
सिलक्यारा छोर से भूस्खलन का मलबा सुरंग निर्माण में अभी भी बाधा बना हुआ है। भूस्खलन के कारण सुरंग के अंदर बनी कैविटी का भी उपचार नहीं हुआ है। भले ही मलबा हटाने के लिए ऑस्ट्रिया के विशेषज्ञ सहयोग दे रहे हैं। विशेषज्ञों के सुझाव पर 55 मीटर क्षेत्र में फैले मलबे को हटाने के लिए तीन ड्रिफ्ट सुरंग बनाई जा रही हैं। एक ड्रिफ्ट सुरंग का निर्माण सितंबर में हो चुका था, इसके बाद सुरंग में जमा पानी की डीवाटरिंग की गई। दूसरी 40 प्रतिशत बन चुकी है, जबकि तीसरी पर निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं हुआ। निर्माण कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, ड्रिफ्ट सुरंग की सुरक्षा के लिए फाइबर ग्लास के रॉक बोल्ट से ड्रिलिंग और ग्राउटिंग की जा रही। अभी 3,000 फाइबर ग्लास के रॉक बोल्ट चीन से मंगवाए गए हैं। 70 एमएम के ये फाइबर रॉक बोल्ट भारत में उपलब्ध नहीं हैं। इन रॉक बोल्ट का उपयोग भूस्खलन के कारण बनी कैविटी के उपचार और ड्रिफ्ट सुरंग की मजबूती के लिए किया जा रहा है। जिन्हें बाद में सुरंग के डिजाइन के अनुसार काटकर हटाया जा सके।आपदा प्रबंधन से सुझाव के बाद भी लागू नहीं हुई एसओपी
सिलक्यारा सुरंग हादसे में खोज-बचाव अभियान के दौरान कई खामियां सामने आईं। जब घटना घटी तो कंपनी 12 से लेकर 16 नवंबर तक श्रमिकों की संख्या 40 बताती रही। 17 नंवबर को यह संख्या 41 बतायी गई। इसलिए सुरंग निर्माण में सुरक्षा और सुरंग के ढहने जैसी घटनाओं में खोज-बचाव अभियान के लिए सेफ्टी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) की कमी खली। राज्य सरकार ने उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन से सुझाव भी मांगे, लेकिन अभी एसओपी लागू नहीं हुई है।काम पर वापस नहीं लौटे 29 श्रमिक
सिलक्यारा हादसे में जो 41 श्रमिक सुरंग में 17 दिन तक फंसे रहे, उनमें से केवल 12 ही काम पर वापस लौटे। इनमें अधिकांश श्रमिक ठेकेदार के अधीन काम करते थे। सिलक्यारा सुरंग हादसे से पहले इस परियोजना में 800 श्रमिक काम करते थे, अब यह संख्या 500 के आसपास सिमट गई है।कहां गई विज्ञानियों की रिपोर्ट
सिलक्यारा हादसे के बाद शासन की ओर से विस्तृत अध्ययन के लिए जांच कमेटी गठित की गई, जिसमें सर्वे ऑफ इंडिया और वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानी शामिल किए गए, लेकिन यह रिपोर्ट कहां है और इस पर क्या कार्यवाही हुई, इसका पता नहीं है।सुरंग पर अभी तक हुआ 70 प्रतिशत कार्य
इस सुरंग का निर्माण 1,119.69 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। यह कार्य नौ जुलाई 2018 को शुरू हुआ, जिसे आठ जुलाई 2022 तक पूरा किया जाना था। अब इस कार्य को पूरा करने की तिथि 28 जनवरी 2026 तय की गई है। अभी तक करीब 70 प्रतिशत काम ही हुआ है।सिलक्यारा में जारी है बौखनाग मंदिर का निर्माण
सिलक्यारा सुरंग हादसे के दौरान बौखनाग देवता भी काफी चर्चाओं में रहे। इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. अर्नोल्ड डिक्स भी खोज-बचाव अभियान के दौरान सुरंग के बाहर स्थापित छोटे मंदिर में पूजा करते दिखे। साथ ही सिलक्यारा सुरंग के खोज-बचाव अभियान के निरीक्षण को राज्य व केंद्र सरकार के जो मंत्री व अधिकारी सिलक्यारा पहुंचे, उन्होंने भी निरीक्षण से पहले बौखनाग देवता की पूजा-अर्चना अवश्य की। स्थानीय ग्रामीणों की मांग पर नवयुग कंपनी की ओर से सिलक्यारा सुरंग के प्रवेश द्वार के पास मंदिर निर्माण शुरू किया गया। इन दिनों मंदिर की छत और गुंबद का निर्माण किया जा रहा है।सिलक्यारा सुरंग हादसे को लेकर उच्चस्तरीय कमेटी ने इसी सितंबर में अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी है। अभी तक मंत्रालय की ओर से कार्यवाही से संबंधित कोई आदेश नहीं मिला है। सिलक्यारा सुरंग का निर्माण चल रहा है। बीते वर्ष दीपावली के दिन जब हादसा हुआ, तब सुरंग की खुदाई का कार्य करीब 450 मीटर शेष था। वर्तमान में 211 मीटर शेष रह गया है। मलबा हटाने के लिए तीन ड्रिफ्ट सुरंग बनाई जा रही हैं। एक तैयार हो चुकी है। इससे सुरंग के अंदर जमा आठ लाख क्यूबिक मीटर पानी की डीवाटरिंग की गई।
-अंशु मनीष खलखो, निदेशक, एनएचआईडीसीएल, दिल्ली