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सेना के सहयोग से सीमा पर बसे गांवों को मिल रहा पुनर्जीवन, ऑपरेशन सद्भावना के लिए सीडीएस ने दिया था निर्देश

देश की सीमाओं को दुश्मन से सुरक्षित रखने वाली सेना अब प्रथम गांवों के विकास में भी योगदान देगी। इस कड़ी में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चीन सीमा के नजदीक स्थित वाइब्रेंट विलेज नेलांग और जादूंग की पुनर्स्थापना के लिए सेना ने सात योजनाएं तैयार की हैं। जल्द ही इन योजनाओं को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 16 Jul 2024 08:08 PM (IST)
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नेलांग घाटी स्थित जादूंग गांव में खंडहर में तब्दील हो चुके ग्रामीणों के घर। जागरण

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। देश की सीमाओं को दुश्मन से सुरक्षित रखने वाली सेना अब प्रथम गांवों के विकास में भी योगदान देगी। इस कड़ी में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चीन सीमा के नजदीक स्थित वाइब्रेंट विलेज नेलांग और जादूंग की पुनर्स्थापना के लिए सेना ने सात योजनाएं तैयार की हैं। जल्द ही इन योजनाओं को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

केंद्र सरकार वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सीमावर्ती गांवों को उनकी खोई रौनक लौटाने जा रही है। इसके तहत इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं का विकास करने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे गांव जीवंत होंगे तो पलायन भी थमेगा। उत्तराखंड के नेलांग और जादूंग गांव भी इस योजना में शामिल हैं।

सुरक्षा के लिहाज से करवाया गया था खाली 

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 125 किमी दूर स्थित नेलांग घाटी के इन दोनों गांवों को वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सुरक्षा के लिहाज से सेना ने खाली करवा दिया था। उस समय नेलांग में 80, जबकि जादूंग में 23 से अधिक परिवार थे। तब से ये परिवार डूंडा वीरपुर और बगोरी गांव में रह रहे हैं।

अब नेलांग और जादूंग को फिर से जीवंत बनाने के लिए सरकार ने यहां आजीविका संवर्द्धन व पर्यटन विकास की दिशा में कसरत शुरू की है। पहले चरण में जादूंग गांव में छह होम स्टे बनाने की स्वीकृति मिली है। 

यह कार्य पर्यटन विभाग और प्रशासन की ओर से किया जा रहा है। इसके बाद 17 और होम स्टे बनाए जाएंगे। इन गांवों में संचार और विद्युत सुविधा का विस्तार भी किया जाना है। साथ ही भैरव घाटी से लेकर जादूंग तक ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की संभावना भी तलाशी जा रही है।

इसी कड़ी में फरवरी 2024 में सीडीएस अनिल चौहान ने स्थानीय सैन्य इकाइयों को भी उत्तराखंड में चीन सीमा पर स्थित गांवों के पुनर्वास में मदद करने के निर्देश दिए थे। इसमें उन्होंने विशेष तौर पर नेलांग और जादूंग गांव का उल्लेख किया था। 

सीडीएस के निर्देशों के अनुपालन में सेना ऑपरेशन सद्भावना के तहत इन गांवों में बुनियादी ढांचा विकसित करने जा रही है। सेना ने यहां पेयजल योजनाएं, सामुदायिक भवन बनाने और युवाओं को पर्वतारोहण एवं साहसिक खेलों के लिए प्रशिक्षित करने समेत सात परियोजनाएं तैयार की हैं। 

राजपूताना राइफल्स के ले. कर्नल हर्षवर्धन ने यह जानकारी पिछले दिनों वाइब्रेंट विलेज के तहत केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजी गई योजनाओं के संबंध में आयोजित बैठक में जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट को दी। उन्होंने कहा कि नेलांग और जादूंग गांव की पुनर्स्थापना में सेना हरसंभव सहयोग करेगी।

नेलांग-जादूंग में ये काम करेगी सेना

  • जादूंग में कम्युनिटी हाल का निर्माण
  • नेलांग में पेयजल आपूर्ति की योजना
  • जादूंग में पेयजल आपूर्ति की योजना
  • पुराने भवन-मंदिरों का जीर्णोद्धार
  • नीलापानी में स्थानीय पशुपालकों के लिए चरवाहा झोपड़ी का निर्माण
  • नाला नंबर तीन के पास स्थानीय पशुपालकों के लिए चरवाहा झोपड़ी का निर्माण
  • स्थानीय युवाओं को पर्वतारोहण एवं साहसिक खेलों के लिए प्रशिक्षित करना

6.57 करोड़ के प्रस्तावों को अनुमोदन

वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत भारत सरकार ने उत्तरकाशी के आठ गांवों में विद्यालयों को सुदृढ़ करने व विद्युतीकरण के लिए 6.57 करोड़ रुपये की योजनाओं के प्रस्तावों को अनुमोदित कर दिया है। कृषि, बागवानी, पर्यटन, सांस्कृतिक विरासत, कौशल विकास, उद्यमिता प्रोत्साहन, सड़क, संचार, आवास एवं ग्रामीण अवसंरचना और आजीविका सृजन जैसी योजनाएं भी स्वीकृति के लिए भारत सरकार को भेजी गई हैं। इनमें टकनौर क्षेत्र के आठ गांवों को रिंग रोड से जोड़ने और हर्षिल सैन्य क्षेत्र के बाहर बाईपास सड़क निर्माण की योजना भी शामिल है।

वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत नेलांग और जादूंग गांव के मूल निवासियों की आवश्यकता एवं अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए इन गांवों की पुनर्स्थापना की योजना है। सेना भी इसमें मदद कर रही है। इसके लिए सेना ने सात परियोजनाएं प्रस्तावित की हैं। जादूंग में होम स्टे तैयार करने को कार्यवाही गतिमान है।

-जय किशन, मुख्य विकास अधिकारी, उत्तरकाशी