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Road Safety With Jagran: पहाड़ों में मैनुअली होती है वाहन फिटनेस जांच, छह माह में काटे हैं 164 वाहनों के चालान

पहाड़ों में वाहन दुर्घटना का एक बड़ा मुख्य कारण वाहनों की फिटनेस न होना भी है। इन वाहनों की जांच के लिए जनपद उत्तरकाशी में सही व्यवस्था नहीं है। वाहन स्वामी भी पैसे बचाने के चक्कर में समय से वाहनों की फिटनेस नहीं कराते हैं।

By Shailendra prasadEdited By: Sunil NegiUpdated: Wed, 16 Nov 2022 02:55 PM (IST)
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पहाड़ों में वाहन दुर्घटना का एक बड़ा मुख्य कारण वाहनों की फिटनेस न होना भी है।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : Road Safety With Jagran: पहाड़ों में वाहन दुर्घटना का एक बड़ा मुख्य कारण वाहनों की फिटनेस न होना भी है। इन वाहनों की जांच के लिए जनपद उत्तरकाशी में सही व्यवस्था नहीं है। वाहन स्वामी भी पैसे बचाने के चक्कर में समय से वाहनों की फिटनेस नहीं कराते हैं। कुछ के पास नाम के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र तो होता है, जबकि टायरों और अन्य जरूरी मोटर पार्ट्स के प्रयोग को लेकर सबसे अधिक लापरवाही बरती जाती है। उत्तरकाशी परिवहन विभाग ने फिटनेस न होने पर पिछले छह माह में 164 वाहनों के चालान काटे हैं।

फिटनेस जांचने के लिए एक आरआइ की तैनाती

उत्तरकाशी के परिवहन विभाग के कार्यालय में 16633 वाहन पंजीकृत हैं, जिनमें निजी वाहन 13950 हैं और कामर्शियल वाहनों की संख्या 2683 है। वाहनों की फिटनेस जांचने के लिए एक संभागीय निरीक्षक (आरआइ) की तैनाती है। फिटनेस जांच आरआइ की ओर से मैनुअली करते हैं। मौजूदा नियमों के मुताबिक, केवल कामर्शियल वाहनों को दो वर्ष में एक बार मैनुअली फिटनेस जांच करानी होती है। जबकि निजी वाहनों को 15 वर्ष तक कोई जांच नहीं करानी होती है। कई वाहन चालक नियमों के अनुसार फिटनेस जांच नहीं कराते हैं। अगर सड़क पर जांच के दौरान वाहन पकड़ में आया, तो तभी ऐसे वाहनों का चालान होता है। वाहनों की फिटनेस ठीक न होने के चलते अक्सर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।

पुराने टायर के ऊपर चढ़ाया जाता है रबड

उत्तरकाशी के राजकीय वाहन चालक महासंघ के अध्यक्ष शिवदयाल महंत कहते कि निजी व कामर्शियल वाहन चालक व स्वामी वाहनों की नियमित मैकेनिक से जांच नहीं कराते हैं। पुराने टायर के ऊपर रबड चढ़ाकर फिर से उपयोग में लाना खतरनाक है। रबड़ चढ़े टायर जल्दी गर्म होते हैं और दुर्घटना का खतरा बनते हैं। इसी तरह से वाहनों में नकली पार्ट्स का प्रचलन भी अधिक है, जिससे वाहनों में कभी तकनीकी खामी आ सकती है। उत्तरकाशी के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी मुकेश सैनी कहते हैं कि वाहनों की फिटनेस जांच अभी तक मेनुअली की जा रही है, परंतु अब शासन की ओर से फिटनेस जांच के लिए पहाड़ों में मोबाइल वैन देने की तैयारी है।

आंखों-आंखों में ही हो जाती है वाहनों की फिटनेस जांच

पौड़ी: जनपद में सड़क सुरक्षा के लिहाज से वाहनों की फिटनेस की जांच के लिए कोई सुविधा नहीं है। उपकरण की जगह आंखों-आंखों में ही वाहनों की जांच कर फिटनेस प्रमाण पत्र दे दिया जाता है। नतीजा, वाहन के दुर्घटना के बाद ही परिवहन विभाग को फिर होश आता है।

पौड़ी, कोटद्वार, श्रीनगर, लैंसडौन जैसे शहरों के अलावा जनपद में ग्रामीण परिवेश वाला क्षेत्र काफी है, जहां के मार्गों पर कई बार अनफिट वाहनों के संचालित होने के मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से वाहनों की फिटनेस की सुविधा बाजारों में कहीं नहीं हैं। किसी खामी पाए जाने पर वर्कशाप में ही उसे दूर किया जाता है, जबकि वाहनों की फिटनेस की जांच पौड़ी स्थित संभागीय परिवहन विभाग की तकनीकि टीम करती है।

कोटद्वार में तो तकनीकी टीम वाहनों के टायर से लेकर उसकी बाडी की सरसरी जांच करती है। कोई भी उपकरण उसके पास नहीं है, जिससे कि वाहनों की फिटनेस की जांच की जा सके। पुराने वाहनों में एंटी फोगिंग लाइट, सीट बेल्ट कम ही होती है, लेकिन नए वाहनों में यह मौजूद होती है।

सीट बेल्ट को लेकर भी ज्यादा जागरूकता नहीं है। परिवहन विभाग विभिन्न रुटों पर चेकिंग के दौरान इन सब बातों की पड़ताल करता है, लेकिन इसके बावजूद सड़कों पर बिना फिटनेस वाहन दौड़ते देखे जा सकते हैं। संभागीय निरीक्षक (तकनीकी) आनंदवर्धन ने बताया कि विभाग की टीम ही वाहनों की फिटनेस की जांच करती है। जांच में सब कुछ सही पाए जाने के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।

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